76वाँ स्वतंत्रता दिवस: सिर्फ जश्न नहीं बल्कि एक ज़िम्मेदारी भी!

आज भारत को स्वतंत्र हुए 75 साल पूरे हो गए और पूरा देश हर्षोल्लास के साथ 76वाँ स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। ये वो दिन है जब भारत को अंग्रेजी हुकूमत की ज़ंजीरों से भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों ने आज़ादी दिलाई थी। आज हम जिस आज़ादी को मना रहे हैं वो दिन हमें यूँ ही नहीं मिला बल्कि इसके लिए अनेकों देशभक्तों ने अपने प्राणों का बलिदान दे कर हमें दिन दिया है और ये सिर्फ उत्साह मनाने का ही नहीं बल्कि ज़िम्मेदारी के साथ इसे सहेज कर भारत को निरंतर उन्नति के शिखर की ओर ले जाने के लिए अपने दायित्वों का निर्वहन करना चाहिए। आज स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सी न्यूज़ भारत के साहित्य में पेश है देश भक्ति से लबरेज़ कुछ कविताएँ...।

सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है,
देखना है ज़ोर कितना बाज़ू-ए-क़ातिल में है।

ऐ शहीद-ए-मुल्क-ओ-मिल्लत मैं तिरे ऊपर निसार,
ले तिरी हिम्मत का चर्चा ग़ैर की महफ़िल में है।

वाए क़िस्मत पाँव की ऐ ज़ोफ़ कुछ चलती नहीं,
कारवाँ अपना अभी तक पहली ही मंज़िल में है।

रहरव-ए-राह-ए-मोहब्बत रह न जाना राह में,
लज़्ज़त-ए-सहरा-नवर्दी दूरी-ए-मंज़िल में है।

शौक़ से राह-ए-मोहब्बत की मुसीबत झेल ले,
इक ख़ुशी का राज़ पिन्हाँ जादा-ए-मंज़िल में है।

आज फिर मक़्तल में क़ातिल कह रहा है बार बार,
आएँ वो शौक़-ए-शहादत जिन के जिन के दिल में है।

मरने वालो आओ अब गर्दन कटाओ शौक़ से,
ये ग़नीमत वक़्त है ख़ंजर कफ़-ए-क़ातिल में है।

माने-ए-इज़हार तुम को है हया, हम को अदब,
कुछ तुम्हारे दिल के अंदर कुछ हमारे दिल में है।

मय-कदा सुनसान ख़ुम उल्टे पड़े हैं जाम चूर,
सर-निगूँ बैठा है साक़ी जो तिरी महफ़िल में है।

वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ,
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है।

अब न अगले वलवले हैं और न वो अरमाँ की भीड़,
सिर्फ़ मिट जाने की इक हसरत दिल-ए-'बिस्मिल' में है।
                                                          -बिस्मिल अज़ीमाबादी

चाह नहीं, मैं सुरबाला के
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में बिंध
प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं सम्राटों के शव पर
हे हरि डाला जाऊँ,
चाह नहीं देवों के सिर पर
चढूँ भाग्य पर इठलाऊँ,
मुझे तोड़ लेना बनमाली,
उस पथ पर देना तुम फेंक!
मातृ-भूमि पर शीश- चढ़ाने,
जिस पथ पर जावें वीर अनेक!
                           -माखनलाल चतुर्वेदी

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