अयोध्या में चमत्कारी पत्थर से बनेगी श्री राम और जानकी जी की भव्य प्रतिमा, जानिए अध्यात्मिक महत्व

अयोध्या में भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का कार्य तेजी से पूरा किया जा रहा है। अब जानकारी मिली है कि भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा को चमत्कारी शालिग्राम पत्थर से बनाया जाएगा। यह पत्थर विशेष रूप से नेपाल के गंडकी नदी से निकाले गए हैं और हिन्दू धर्म में इनका विशेष महत्व होता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो शालिग्राम पत्थर भगवान विष्णु के स्वरूप मानें जाते हैं और कई हिन्दू घरों में इनकी विशेष पूजा की जाती है। बताया गया है कि अयोध्या में शालिग्राम पत्थर से बनने वाले भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा को अगले साल मकर संक्रांति तक तैयार कर लिया जाएगा। आइए जानते हैं शालिग्राम शिला का अध्यात्मिक महत्व।

शालिग्राम पत्थर की पूजा का महत्व

अयोध्या में भगवान श्री राम और माता सीता की मूर्ति शालिग्राम पत्थर से बनाया जा रहा। यह शालिग्राम पत्थर गंडकी नदी के तट पर पाए जाते हैं और यह 33 प्रकार के होते हैं। जिनमें से 24 प्रकारों की पूजा भगवान विष्णु जी के 24 अवतारों के रूप में की जाती है। ऐसी मान्यता है कि जिस घर में शालिग्राम भगवान होते हैं और नियमित रूप से उनकी पूजा की जाती है, वहां सदैव मां लक्ष्मी का वास होता है। साथ ही उस घर में आने वाले सभी प्रकार के संकट भी दूर रहते है।

विभिन्न प्रकार से की जाती है पूजा

हिन्दू धर्म में त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु एवं महेश की पूजा अलग-अलग प्रकार से की जाती है। जैसे ब्रह्मा जी की पूजा शंख के रूप में और भगवान शिव की उपासना शिवलिंग के रूप में की जाती है, ठीक उसी तरह भगवान विष्णु की उपासना भगवान शालिग्राम के रूप में की जाती है। भगवान शालिग्राम की पूजा करने से जीवन में सुख-समृध्दि शांति व वैभव और यश बना रहता है। इसलिए भगवान विष्णु जी के स्वरुप भगवान शालिग्राम की पूजा नितदिन करनी चाहिए। 

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