सफ़लता की राह दिखाते है, गुरु रबिन्द्रनाथ टैगोर

इनको साहित्य के क्षेत्र में ‘गीतांजलि’ के लिए नोबल पुरस्कार से नवाजा जा चुका है. भारत का राष्ट्र-ज्ञान ‘जन-गण-मन’ और बांग्लादेश का राष्ट्र-ज्ञान ‘आमार-सोनार-बांग्ला’ रबिन्द्रनाथ टैगोर जी की रचनाओं की देन है. रबिन्द्रनाथ टैगोर अपने जीवन मे तीन बार अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिक से मिले थे, जो रबिन्द्रनाथ टैगोर जी को रब्बी टैगोर के नाम से बुलाते थे. "सिर्फ खड़े होकर पानी देखने से आप नदी पार नहीं कर सकते." यह विचार है प्रसिद्ध कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, चित्रकार और नाटककार रवींद्रनाथ टैगोर का.

भारत समेत तमाम देश इस महामारी के खिलाफ दिन-रात काम कर रहे हैं. रवींद्रनाथ टैगोर, देश की महान विभूतियों में से एक हैं. वे अकेले ऐसे कवि हैं, जिनकी रचनाएं दो देशों का राष्ट्रगान बनीं. रवींद्रनाथ टैगोर भारत के राष्ट्रगान 'जन गण मन' के अलावा बांग्लादेश के राष्ट्रगान 'आमार सोनार बांग्ला' के भी रचियता हैं. रवींद्रनाथ टैगोर का जन्म सात मई 1861 को कोलकाता में हुआ था. सात अगस्त 1913 में उनकी मृत्यु हो गई थी. आज उनकी पुण्यतिथि पर आइए जानते हैं उनके अनमोल विचारों के बारे में: 

टैगोर के अनमोल विचार

~ तथ्य कई हैं, लेकिन सच एक ही है.

~ मनुष्य की सेवा भी ईश्वर की सेवा है.

~ आयु सिर्फ सोचती है तो जवानी करती है.

~ उपदेश देना सरल है, पर उपाय बताना कठिन.

~ ये पेड़ धरती द्वारा स्वर्ग से बोलने की कोशिश है.

~ संगीत दो आत्माओं के बीच के अंतर को भरता है.

~ हमें जीवन दिया गया है और हम इसे देकर कमाते हैं.

~ मिटटी के बंधन से मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है।

- शिक्षा का मुख्य उद्देश्य स्पष्टीकरण देना नहीं है, बल्कि मन के दरवाजे खटखटाना है.

- हम यह प्रार्थना न करें कि हमारे ऊपर समस्या न आए, बल्कि यह प्रार्थना करें कि हम उनका सामना निडरता से करें.

-उच्च शिक्षा वो नहीं जो हमें सिर्फ जानकारी देती है, बल्कि वह है जो हमारे जीवन को सफलता का एक नया आयाम देती है.

- प्रसन्न रहना बहुत साधारण है परंतु साधारण होना बहुत मुश्किल है.

-अगर आप सभी त्रुटियों के लिए अपना दरवाजा बंद कर लेंगे, तो सत्य बाहर ही रह जाएगा. अर्थात सच्चाई मर जाएगी.

- जीवन को गर्मियों के फूलों की तरह और मौत को पतझड़ के पत्तों की तरह सुंदर होने दें.
 हम महानता के सबसे करीब तब होते हैं जब हम विनम्रता में महान होते हैं.

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