मिट्टी के घर का बनाया ऐसा बैंक , जो बना दुनिया में मिसाल

शिक्षा...ये एक ऐसा शब्द है , जो इंसान को परिपूर्ण बनाता है ...शिक्षा के सहारे ही इंसान इंसान बन पाता है ...लेकिन क्या ये शिक्षा केवल स्कूल में ही मिल सकती है .... क्या स्कूल जाए बिना शिक्षा नहीं मिल सकती ....क्या जो कभी स्कूल ना गया हो वो जिंदगी में कुछ नहीं कर पाएगा ..............ऐसा कहना अब यकीनन गलत होगा ....क्योंकि इस देश में कई लोग हैं जो ये बात साबित कर चुके हैं कि शिक्षा का अस्तित्व जीवन से मिलता है ..जिंदगी ही सबसे बड़ी शिक्षक है जो घर बैठे ही शिक्षा दे देती है .. और जो इस शिक्षा से खुद को शिक्षित कर लेता है , वहीं तो जिंदगी मे जीत पाता है ...आज कहानी हम लेकर आए हैं एक ऐसी महिला की ,जो बैगा समुदाय से तालुक रखती है , जिसने कभी स्कूल की दहलीज पर कमद तक नहीं रखा ..लेकिन आज वो फिर भी लाखों लोगों की प्ररेणा बन चुकी है . 

आज एक आदिवासी महिला अपने जुनून से अपनी सफलता की कहानी लिख चुकी है ...और वो करके दिखाया है जो आम सोच से परे हैं ...औऱ उस आदिवासी महिला का नाम है ...लहरी बाई .... आपको जनाकर हैरानी होगी कि लहरी बाई ने  विलुप्त हो रहे मिलेट क्राप्स यानी की मोटे अनाज को सुरक्षित रखने के लिए अपना सबकुछ कुर्बान कर दिया ... कभी एक अक्षर न पढ़ी लहरी ने अपने ही मिट्टी के घर में बीज बैंक बना ली है .... और यकीन मानिए ये काम कोई मोटा नहीं बल्कि बहुत मेहनत का काम है .....इसलीए आज यूनओ यानी कि संयुक्त राष्ट्र संघ तक उनका नाम बड़े ही अदब से लेता है ... और देश के प्रधानमंत्री खुद ही लहरी बाई की  तारीफों की कसीदे पढ़ चुके हैं .

लहरी बैगा समुदाय से आती है , और मध्यप्रदेश में रहती है ...बेगा समुदाय यहां का प्राचीन समुदाय है .... बताया जाता है कि बेगा जनजाति के लोगों को पर्यावरण और जैव विविधता का गहरा ज्ञान है, जिसे वे एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक पहुंचाते रहते हैं..औऱ यही शिक्षी लहरी को भी मिली है ... अपने पूवर्जों से ही प्रेरित होकर महज 18 साल की उम्र में ही लहरी ने मोटे बीजों को इकट्ठा करना शुरू कर दिया था... आज भी लहरी बाई पढ़ लिख नही सकती है .... लेकिन जिस तरह से वो अनाज के संरक्षण का काम करती हैं, वो जुनूनियत देखकर बहुत गजब का एकसास है ....सोचिए जिन बीजों के लिए लोग तरसते हैं उन बीजो का सरंक्षण लहरी कर रही है .. दूसरी ओर स्वास्थ के लिहाज से देश को वो दिशा देना चाह रही हैं , जो बहुत जरूरी है ... क्योंकि मिलेट क्राप्स  या मोटे अनाज वाली फसलों का स्वास्थ के लिहास जे बहुत महत्व होता है .. मोटे अनाजों में  ज्वार,बाजरा,कोदो,कुटकी,साँवा,रागी,कुट्टू और चीना आदि अनाज आते है. मिलेट क्राप्स को सुपरफूड भी कहा जाता है क्योंकि इनमे पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं.
लहरी आदिवासी गांव में पली बढ़ी ..उनके पास किसी भी तरह की कोई सुविधाएं नहीं थी.. ना ही पैसा औऱ ना ही घर के बाहर कोई जगह ...इसीलिए आखिरकार लहरी ने उसी आंगन को चुना जिस आंगन में बचपन से वो अपने माता पिता के साथ रहे ... अपने मिट्टी के घर के एक कमरे को उन्होनें बीज बैंक बना लिया .. आज भी उसी घर में लहरी बाई रहती है और अपने माता पिता की सेवा करती है ...अपने माता पिता की सेवा के लिए आज भी उन्होंने कोई जीवनसाथी नहीं चुना ...लहरी बाई की मिसाल जितनी दी जाए उतनी कम है .क्योंकि क्योकि लहरी  आस-पास के किसानों को अपने दुर्लभ बीज बांटती भी रहती हैं.. बदले में वह पैसे नहीं बल्कि बीज से उगाई फसलें लेती हैं
उनके इस बीज संरक्षण की कहानी जब जिला कलेक्टर को पता चली, तो उन्होंने लहरी के घर जाकर उनका बीज बैंक देखा। उन्हीं की मदद से लहरी का नाम मिलेट एंबेसडर के लिए केंद्र सरकार तक पंहुच पाया। लहरी को एक के बाद एक कई जगहों पर पहचान मिली। 

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