आख़िर कौन है आनंद मोहन, जिसकी चर्चा बिहार से लेकर दिल्ली तक हो रही है?

बिहार में लालू की सरकार हो चाहे नितीश कुमार कि बिहार के सियासत में हमेशा बाहुबलीयों का दबदबा रहा है, और इसमें से एक नाम है कोसी बेल्ट में सवर्णों का नेता कहे जाने वाले आनंद मोहन सिंह का, जिनकी आज रिहाई हुए है. और उनकी स्वागत में भारी मात्रा में समर्थकों की भीड़ उमड़ी हुई थी. आनंद मोहन ये एक ऐसा नाम है जिसने इन दिनों बिहार से लेकर दिल्ली तक ख़लबली मचा रखी है. आनंद मोहन ने 17 साल के उम्र में ही अपना राजनीति केरियर को शुरू कर दिया था, 2 बार संसद रहे आनंद मोहन बिहार के एक मात्र ऐसे नेता है,

जिन्हें मौत की सजा सुनाई गई थी, लेकिन बाद में पटना की हाई कोर्ट ने उस सजा को उम्र कैद में बदल दिया था. हालांकि आनंद मोहन का परिवार एक बहुचर्चित परिवार रहा है, आनंद मोहन का जन्म एक स्वतंत्रता सेनानी राम बहादुर सिंह के परिवार में हुआ था. लेकिन आनंद ने अपने केरियर की शुरुवात एक गैंगस्टर के रूप में की थी, उनके खिलाफ कई मामले दर्ज किये गए थे. 

लेकिन जेपी के सम्पूर्ण क्रांति आन्दोलन में उन्होंने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया जिसके वजह से उन्हें दो साल के लिए जेल भी जाना पड़ा था, इसके बाद उन्होंने सक्रीय राजनीति में अपना कदम रखा और जनता दल के टिकट पर पहली बार 1990 विधायक बने. 90 के दशक के समय बिहार में जातिगत राजनीति और हिंसा का दौर चरम पर था, तब आनंद मोहन ने बिहार पीपल्स पार्टी बनाई थी. इसके जरिये उन्होंने राजपूतों और सवर्णों के हक में आवाज उठाई और लालू यादव के खिलाफ़ मोर्चा खोल दिया,आनंद मोहन, जिसने बिहार की राजनीति में आसमां तक पहुंचने का नया रास्ता बनाया था.

इससे पहले उन्होंने सामाजिक क्रांति सेना भी बना चुके थे. जिसका मकसद था, सवर्णों का उत्थान करना और उनका दबदबा कायम रखना . सही माइने में देखा जाये तो लालू की अदावत ने आनंद मोहन को बिहार की राजनीति में चमक दिलाई और सवर्णों का सबसे बड़ा नेता भी बनाया..... लेकिन 5 दिसंबर 1994 की एक घटना ने आनंद मोहन के तेजी से चल रही राजनीति सफ़र  को ब्रेक लगा दिया.

ये बात है मुजफ्फरपुर जिले की, तारीख थी 5 दिसंबर 1994 उस दिन आनंद मोहन अपने बेहद खास छोटन शुक्ला के हत्या का सडकों पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे. तभी गोपलगंज के तात्कालिक डीएम G krishnaiah की लाल बत्ती की गाड़ी वहां से गुजरती है, उकसाई और नाराज़ भीड़ ने डीएम को पीटने लगी,  G krishnaiah ने भीड़ से चीखते हुए बोले कि मैं गोपालगंज का डीएम हूं. मुजफ्फरपुर का नहीं. फिर भी भीड़ पीटती रही. और फिर कहा जाता है कि आनंद मोहन के उकसाने पर भुटकुन शुक्ला ने डीएम की कनपटी पर गोली मार दी गई थी.

जिससे खून से लथपथ डीएम की वहीं पर मौत हो गई थी. अदालत में जब आनंद की पेशी हुई तब कोर्ट में आनंद मोहन के खिलाफ 14 में से 10 गवाह ऐसे मिले थे जो जुलूस में थे. घटनास्थल के बिल्कुल पास . उन्होंने कोर्ट में कहा था कि आनंद मोहन ने भुटकुन शुक्ला को गोली मारने के लिए कहा था. गुनाह साबित होने पर उन्हें उम्र कैद की सजा सुनाई गई थी,

 16 साल की सजा काटने के बाद आनंद मोहन के लिए बिहार सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने कानूनों में बदलाव किये है जिससे आनंद मोहन की रिहाई हो गई है, बिहार सरकार ने जेल नियमावली में संशोधन किया है.  इसमें बदलाव करते हुए उस पार्ट (बिहार जेल नियमावली, 2012 के नियम 481 (1) ए) को हटा दिया गया जिसमें लिखा था कि सरकारी अधिकारी की हत्या के दोषी को किसी भी आधार पर जेल से रिहा नहीं किया जाएगा.

अब तक ये नियम बाहुबली आनंद मोहन पर लागू हो रहा था.  लेकिन अब उस पार्ट को हटा दिए जाने से बिहार में चाहे किसी सरकारी अफसर का हत्यारा क्यों ना हो, उसे जेल नियमावली के आधार पर रिहाई मिल सकती है. इसी कानून की वजह से आनंद मोहन के साथ-साथ लगभग 27 लोगो की रिहाई हुई है. 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.