14 जुलाई को फ़्रांस दौरे पर जायेंगे प्रधानमंत्री, बैस्टिल डे परेड में होंगे शामिल

पीएम मोदी एक बार फिर यूरोपीय देश फ़्रांस के दौरे पर जायेंगे. भारत-फ्रांस सामरिक साझेदारी की 25वीं वर्षगांठ के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 14 जुलाई 2023 को पेरिस में सम्मानित अतिथि के रूप में इस वर्ष के बैस्टिल डे परेड में भाग लेने के लिए राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन के निमंत्रण को स्वीकार कर लिया है. आधिकारिक बयान के अनुसार, एक भारतीय सशस्त्र बल अपने फ्रांसीसी समकक्षों के साथ परेड में भाग लेगा.

14 जुलाई 1789 को सैन्य किले और जेल के रूप में मशहूर बैस्टिल पर गुस्साई भीड़ ने हमला कर उस पर कब्जा कर लिया था. इस घटना को फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत माना जाता है. यही वजह है कि साल 1880 से लगभग हर साल 14 जुलाई को फ्रांस में बैस्टिल डे परेड आयोजित की जाती है. इस दौरान पेरिस में सैन्य परेड निकाली जाती है और आतिशबाजी की जाती है. इस दिन को फ्रांस के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. यही वजह है कि पीएम मोदी का इस परेड में मुख्य अतिथि बनना भारत-फ्रांस के मजबूत होते संबंधों का उदाहरण है.

राष्ट्रपति मैक्रों ने बयान में कहा, "भारतीय सशस्त्र बलों का एक दल फ्रांसीसी बलों के साथ परेड में भाग लेगा." पीएम मोदी की यात्रा को फ्रांस और भारत के बीच "रणनीतिक साझेदारी" की 25 वीं वर्षगांठ के साथ जोड़ा जाएगा. राष्ट्रपति ने कहा कि, "यह ऐतिहासिक यात्रा हमारे समय की बड़ी चुनौतियों, जैसे जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता की हानि और सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति की संयुक्त पहल को भी आगे बढ़ाएगी."

14 जुलाई 1789 को सैन्य किले और जेल के रूप में मशहूर बैस्टिल पर गुस्साई भीड़ ने हमला कर उस पर कब्जा कर लिया था. इस घटना को फ्रांसिसी क्रांति की शुरुआत माना जाता है. यही वजह है कि साल 1880 से लगभग हर साल 14 जुलाई को फ्रांस में बैस्टिल डे परेड आयोजित की जाती है. इस दौरान पेरिस में सैन्य परेड निकाली जाती है और आतिशबाजी की जाती है. इस दिन को फ्रांस के इतिहास के सबसे महत्वपूर्ण दिनों में से एक माना जाता है. यही वजह है कि पीएम मोदी का इस परेड में मुख्य अतिथि बनना भारत-फ्रांस के मजबूत होते संबंधों का उदाहरण है.

पीएम मोदी की यह ऐतिहासिक यात्रा हमारे समय की प्रमुख चुनौतियों का जवाब देने के लिए आम पहल भी करेगी, जिसमें जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता का नुकसान और सतत विकास लक्ष्यों की उपलब्धि शामिल है और यह भारत और फ्रांस के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करने का अवसर होगा. आधिकारिक बयान में कहा गया है कि बहुपक्षवाद, जिसमें भारत की जी20 अध्यक्षता भी शामिल है.

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