इगलास में गोल्ड मोहर गुटखा की काला बाजारी से किराए के मकान में रह रहे बने करोड़पति - प्रशासन मौन
इगलास : नगर व आस पास के कस्बा एवं ग्रामीण क्षेत्र में गोल्ड मोहर गुटखा पर भारी लूट मार की जा रही है। छोटे दुकानदारों का कहना है कि थोक व्यापारियों द्वारा रेट बढ़ाकर उन्हें गोल्ड मोहर गुटखे दिए जा रहे हैं। उसी हिसाब से वह ग्राहकों को दे रहे हैं। लोगों का कहना है कि ऐसा शायद कोई वर्ष गया हो गोल्ड मोहर गुटखा पर ब्लैकखोरी न हुई हो। आखिर गोल्ड मोहर गुटखा की ही काला बाजारी क्यों इगलास नगर में गोल्ड मोहर गुटखा की काला बाजारी को लेकर छोटे छोटे दुकानदार बेहद परेशान हैं। उनका कहना है कि इगलास में हरस्वरूप अग्रवाल, सतीश चन्द्र उर्फ मौसा व जगदीश प्रसाद आदि गुटखा व पान मसाले के थोक व्यापारी है। तथा इनको जरा भी भनक लग जाए कि गुटखा या पान मसाले पीछे से कम आने की संभावना है तो ये लोग छोटे दुकानदारों को माल देना बंद कर देते हैं। इगलास नगर के दुकानदारों को गोल्ड मोहर गुटखा की सप्लाई न देकर औने पौने दामों में ग्रामीण क्षेत्र के दुकानदारों को गोल्ड मोहर बेची जा रही है। इगलास में गुटखा पान मसाले के जो थोक व्यापारी बने बैठे हैं उनकी असलीयत इगलास क्षेत्र का हर एक व्यक्ति जनता है कि मामूली लोग करोड़ो की संपत्ति के मालिक कैसे बन गए हैं।
कोरोना काल एवं लॉकडाउन के समय गुटखा व पान मसालों पर जिस तरह काला बाजारी हुई थी उस समय पांच रुपए की बिक्री वाला गुटखा 30 से 40 रुपए तक बेचा गया था। यानी एक तीस रुपए में बेचे जाने वाला गुटखा का पैकेट थोक व्यापारियों द्वारा पांच सौ रुपए से लेकर सात सौ रुपए तक बेचा था और जो कोटा छोटे छोटे दुकानदारों को देना था वह उन्हें नहीं दिया गया। गाड़ी का गाड़ी माल स्वयं ही बेचा गया। एक ही लॉकडाउन में बल्ले बल्ले हो गई। किराए के मकान में रहकर साइकिल पर सैलमैनी करने वाला करोड़ों की संपत्ति का मालिक बन गया। वहीं चस्का गुटखा के थोक व्यापारियों को लगा हुआ है कि शायद इस बार गुटखा की काला बाजारी में एक बड़ी मोटी रकम पैदा कर लें। यही कारण है गोल्ड मोहर गुटखा इगलास में दुकानों पर बहुत कम दिखाई दे रहा है।
रिपोर्टर : इंद्रजीत प्रेमी
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