विश्वविद्यालय कर्मियों को सातवें वेतनमान के के लाले , चहेतों को रेवड़ी की तरह दी जा रही सातवें वेतनमान एवं वार्षिक वेतन वृद्धि की सुविधाएं

मिल्कीपुर / अयोध्या: आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज कार्यरत विश्वविद्यालय कर्मियों की वेतन विसंगतियों सहित उनकी समस्याओं को दूर किए जाने का ढिंढोरा पीटने वाले बयान और आदेश कृषि विश्वविद्यालय वेतन समस्या एवं वेतन विसंगतियों से जूझ रहे कर्मियों को मुंह चढ़ा रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा सातवां वेतन आयोग लागू किया गया था जिसके अनुपालन में प्रदेश सरकार द्वारा भी सातवें वेतन का लाभ कर्मचारियों को दिए जाने का निर्णय लिया था। जिस क्रम में आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कर्मी 5 साल बीत जाने के बावजूद भी आज तक सातवें वेतन आयोग के वेतनमान एवं वार्षिक वेतन वृद्धि की समस्याओं से जूझ रहे हैं।

बताते चलें कि कृषि विश्वविद्यालय कुमारगंज में वेतन विसंगति एवं विनियमितीकरण का मामला उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचा था जिस क्रम में बीते 16 मार्च 2018 को तत्कालीन निदेशक प्रशासन एवं परवीक्षण प्रकाश सिंह द्वारा लंबित वेतन का भुगतान किए जाने का आदेश देते हुए उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि किए जाने का आदेश दिया गया था। यही नहीं विश्वविद्यालय कर्मियों को सातवें वेतन का लाभ दिए जाने हेतु तीन तीन बार कमेटी गठित की गई कमेटी द्वारा सर्वसम्मति से निर्णय भी लिया गया कि जिन कर्मियों का मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन है को छोड़ते हुए शेष विश्वविद्यालय कर्मियों को सातवें वेतन का लाभ देते हुए उन्हें वार्षिक वेतन वृद्धि प्रदान की जाए इसके बावजूद भी कृषि विश्वविद्यालय में कर्मचारियों को उनके वार्षिक वेतन भुगतान एवं सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने में दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है। सबसे मजे की बात तो यह है कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ विजेंद्र सिंह विश्वविद्यालय द्वारा प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एवं राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के सामने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए अपनी उपलब्धियों में विश्वविद्यालय कर्मियों की वेतन विसंगति का मामला दूर किए जाने का ऐलान किया जाता रहा है यही नहीं राष्ट्रीय पर्व 15 अगस्त एवं 26 जनवरी पर भी विश्वविद्यालय कर्मियों को संबोधन के समय इन्हीं कुलपति द्वारा जोर-जोर से चिल्ला कर कहा जाता है कि मेरा पूरा प्रयास है। विश्वविद्यालय के सभी कर्मियों को वेतन विसंगति से कतई नहीं जुड़ने दिया जाएगा उन्होंने भी ऐलान किया था कि सातवां वेतन मान सहित वार्षिक वेतन वृद्धि भी अब किसी भी कर्मचारी की समस्या नहीं रहेगी। किंतु आलम यह है कि विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परवीक्षण डॉ आरके जोशी जोकि कृषि विश्वविद्यालय अंतर्गत पशुपालन महाविद्यालय अधिष्ठाता भी हैं उनके द्वारा विश्वविद्यालय कर्मियों को सातवां वेतन मान संयुक्त वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिए जाने में दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है उनके द्वारा अपने अधीन पशुपालन महाविद्यालय के कर्मियों को सातवें वेतन मान सहित वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ रेवड़ी की तरह बांटा जा रहा है जो देसी अवधि कहावत आंधर परसे घरै घरान को चरितार्थ कर रही है। बताते चलें कि अभी बीते 27 फरवरी को इनके द्वारा अपने चहेते सुभाष चंद्र प्रयोगशाला सहायक एवं सुजीत सिंह प्रयोगशाला सहायक तथा इंद्रजीत पाल सिंह को सातवें वेतनमान का लाभ दिए जाने सहित वार्षिक वेतन वृद्धि किए जाने का आदेश दे दिया गया है। ज्ञातव्य हो कि अभी एक वर्ष पूर्व पशुपालन महाविद्यालय में मृतक आश्रित कोटे से सेवा पाए एक महिला जिसको तत्काल सातवें वेतनमान का लाभ कदापि नहीं दिया जा सकता उसको भी अपनी कृपा बरसाते हुए सातवें वेतनमान एवं वार्षिक वेतन वृद्धि का लाभ दिए जाने का आदेश विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परीक्षण द्वारा कर दिया गया है। विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अपने मातहतों को उनका पारिश्रमिक स्वरूप वेतनमान एवं वार्षिक वेतन वृद्धि दिए जाने में खुलेआम दोहरा मापदंड अपनाया जा रहा है जिसके चलते विश्वविद्यालय कर्मी परेशान होने को मजबूर हैं। स्वतंत्र प्रभात ने मामले में जानकारी  विश्वविद्यालय के निदेशक प्रशासन एवं परीक्षण डॉक्टर आरके जोशी से दूरभाष पर संपर्क करना चाहा तब उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया वहीं दूसरी ओर विश्वविद्यालय के वित्त नियंत्रक नीलम श्रीवास्तव का कहना है कि मेरा अपना मानना है कि जिस व्यक्ति से जिस पद पर कार्य लिया जाए उसे उसी पद के अनुरूप वेतनमान हर हाल में मिलना चाहिए उन्होंने कहा कि मामला मेरे संज्ञान में है और मेरी पूरी कोशिश है कि ऐसी समस्याओं को तत्काल दूर करा दिया जाएगा।

 

रिपोर्टर : सुनील

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