पशुपालकों के बीच जाकर , पशु चिकित्सा वैज्ञानिकों ने साझा किए पशु रोग बचाव के तरीके

मिल्कीपुर/अयोध्या : आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्व विद्यालय स्थित पशु चिकित्सा एवं पशुपालन महा विद्यालय के पशु औषधि विभाग एवं पशु विकृत विभाग के वैज्ञानिकों ने ग्राम बिरौली झाम में वर्षा ऋतु के समय होने वाले विभिन्न रोगों की जानकारी पशुपालकों से साझा की तथा पशुओं में होने वाले अपापचयी रोग़ कीटोसिस एवं थनैला की  जांच पशु मूत्र एवं दूध की ग्रामीण वासियों को इन रोगों से बचने के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की । मोबाइल के इस युग में वैज्ञानिकों ने अपना नंबर देकर पशुपालकों से पशु स्वास्थ्य संबंधित किसी भी समस्या का उचित परामर्श लेने हेतु  प्रोत्साहित किया ।    विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ बिजेंद्र सिंह के ग्रामीण वासियों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का निवारण करने का आह्वान किया ।

कृषकों से सीधे संपर्क स्थापित करना ही विश्वविद्यालय की प्राथमिकता है तथा ग्रामीण वासियों को सीधा लाभ पहुंचाना ही विश्वविद्यालय का प्रमुख लक्ष्य है ।पशु चिकित्सा पशुपालन महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉक्टर आर के जोशी ने बताया कि वर्षा ऋतु के समय हमारे पशु अनेक रोगों से ग्रसित  हो जाते हैं जिससे कि पशुपालकों को अधिक आर्थिक हानि होती है जिसे  कुछ सरल उपायों से रोका जा सकता है ।

इस शिविर में पशु विकृत विभाग  के प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष डॉ देवाशीष  नियोगी  एवं पशु औषधि विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ सत्यव्रत सिंह एवं डॉ रामाकांत  प्रतिभाग किया । पशुपालकों के द्वारा पशु रोग संबंधित प्रश्नों एवं  समस्याओं का बहुत ही सरल तरीके से  निवारण कर ग्रसित पशुओं मैं विरबैक एनिमल हेल्थ की सहायता से औषधि का भी वितरण किया गया । पशुओं में किलनी  नाशक द्रव्य का छिड़काव भी कराया गया । इस शिविर में लगभग 45 पशुपालकों शमिल हुए ।   विश्वविद्यालय के मीडिया प्रभारी डॉ अखिलेश कुमार सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक किसान भाइयों के बीच जाकर उनकी समस्याओं का निवारण करने के लिए प्रतिबद्ध हैं तथा  भविष्य में भी इस प्रकार के कई कार्यक्रम आयोजित करने का लक्ष्य भी है ।

रिपोर्टर : सुनील तिवारी

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