जानें क्यों महत्व रखता है , ज्येष्ठ का महिना , धर्म के नजरिए से क्यों है खास

आज से पूरे भारत वर्ष में जेष्ठ का महिना शुरू हो चुका है , आज है इस माह का पहला मंगल .इसकी अपनी अलग पहचान है .आज के दिन हनुमान जी को पूजा जाता है .कहा जाता है.हनुमान हैं वो सार ,जो हर लेतें हैं सारे दुख , जिनकी भक्ति में हैं संसार के सारे सुख.....उन्ही हनुमान की आराधना का दिन है आज , और 400 साल पुराना माना जाने वाला यह त्योहार लखनऊ के लिए है बेहद खास. मान्यता है कि श्री हनुमान पहली बार अपने आराध्य प्रभु श्रीराम से ज्येष्ठ माह के मंगलवार को मिले थे. इतिहास की मानें तो लखनऊ में ये पर्व एकता का मिसाल है. इसीलिए ये जानना भी बहुत जरूरी हो जाता है कि आखिर जेष्ठ की माह इतनी महत्वपूर्ण क्यों हैं ...जेष्ठ माह में बड़े मंगल के अलावा और भी त्योहार मनाए जाते हैं तो चलिए जानते हैं इसके बारे में –

हिन्दू पंचाग के अनुसार ज्येष्ठ मास हिन्दू वर्ष का तीसरा माह है. हिन्दी माह में हर माह की एक विशेषता रही है. सभी की कोई न कोई खासियत होती ही है. जीवन में आने वाले उतार-चढा़वों में ये सभी माह कोई न कोई महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करते ही हैं. मौसम में होने वाले जबरदस्त बदलाव को भी इन सभी 12 माह के दौरान देखा जा सकता है.

ज्येष्ठ माह को सबसे गर्म माह की श्रेणी में रखा जाता है. इसे सामान्य बोल-चाल की भाषा में जेठ का महीना भी कहा जाता है, क्योंकि ये सबसे गर्म महीना होता है. इसी माह में सबसे अधिक ऎसी वस्तुओं के दान की बात कही जाती है जो ठंडक और छाया देने वाली होती हैं जैसे कि - छाता, पंखा, पानी इत्यादि वस्तुओं का दान देने की जरुरत होती ही है.ज्येष्ठ माह में विशेष रुप से गंगा नदी में स्नान और पूजन करने का विधि-विधान है. इस माह में आने वाले पर्वों में गंगा दशहरा और इस माह में आने वाली ज्येष्ठ शुक्ल एकादशी और निर्जला एकादशी प्रमुख पर्व है. गंगा नदी का एक अन्य नाम ज्येष्ठा भी है. गंगा को गुणों के आधार पर सभी नदियों में सबसे उच्च स्थान दिया गया है.

ज्येष्ठ मास के त्यौहारों में गंगा दशहरा, निर्जला एकादशी, वटसावित्री व्रत, ज्येष्ठ पूर्णिमा, योगिनी एकादशी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं. इन त्यौहारों का महत्व ही हमारे जीवन में एक नई चेतना और विकास देने वाला होता है. इस माह के दौरान तीर्थ स्थलों पर जाकर नदियों में स्नान करने और लोगों को ठंडा पानी इत्यादि बांटा जाता है. जग-जगह पर लोगों को पानी पिलाने के लिए मटकों इत्यादि की व्यवस्था भी की जाती है.

 

इस माह के दौरान मौसम का प्रकोप इतना अधिक प्रचंड रहता है कि मनुष्य तो क्या जीव जन्तु भी इस समय में गर्मी की अधिकता से व्याकुल हो जाते हैं. ऎसे में इस तपन को शांत करने के लिए ही पशु-पक्षिओं के लिए पानी इत्यादि की व्यवस्था की जाती है. लोग मीठा पानी इत्यादि चीजों को सभी में बांटते हैं.

 

 

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