बदायूँ इलाज के नाम पर मरीज के तीमारदारों से मोटी रकम वसूलना बरेली के अस्पतालों का शगल बना

बदायूँ  इलाज के नाम पर मरीज के तीमारदारों से मोटी रकम वसूलना बरेली के अस्पतालों का शगल बन गया है। राज्य सरकार भले ही बेहतर इलाज बेहतर सुविधाओं का ढोल बजा कर जनता को यकीन दिलाए कि सरकार मरीज की बेहतरी के लिए प्रतिबद्ध है मगर निजी क्षेत्र के अस्पतालों में न सिर्फ कमाई बल्कि मरीज की बाकायदा बोली लगाई जाती है और उसकी वसूली भी होती है। यह अलग बात है कि ये वसूली तमंचे की नोक पर नहीं बल्कि जुबान के बेहतर इस्तेमाल से होती है। मसलन,-" आपके मरीज की हालत बहुत खराब है, जितनी जल्दी हो सके धन की व्यवस्था कीजिए या फिर ले जाइए।" यह वो जुमला है जिसे सुनने के बाद एक बाप अपना घर-कारोबार , बेटा जमीन-जायदाद, मां अपने गहने -जेवर की परवाह किए

बगैर सब कुछ दांव पर लगा देता है सिर्फ इस उम्मीद पर कि उसके मरीज की जान बच जाए। और यह सफेद कोट धारी तीमारदार की इसी कमजोरी का फायदा उठाना बखूबी जानते हैं।अपने पिता को डाक्टर्स की लापरवाही स्वरूप खो चुके अभिनव ने बताया कि पिता शुगर पेशेंट थे मेडीसिटी में इलाज चल रहा था। इत्तेफाक से जिस दिन उनकी हालत खराब हुई मेडीसिटी में चिकित्सक उपलब्ध नहीं थे बेहतर इलाज के लिए लाइफ लाइन में ले आए जहां 15 हजार प्रतिदिन बैडचार्ज पर उनका दाखिला हो गया। डाक्टर ने देखा भी नहीं। अटेंडेंट ने उन्हे दवाई लिखी रात में दो यूनिट ब्लड भी लगाया। शुगर तो कंट्रोल नहीं हुई अलबत्ता उन्हें ब्लीडिंग जरूर शुरू हो गई। घबराए अभिनव ने पुनः मेडीसिटी में डाक्टर के उपलब्ध होने पर संपर्क किया तो उन्होंने फौरन डिस्चार्ज करवाने को कहा तब तक लाइफलाइन में लगभग ढाई लाख बिल मुकम्मिल हो चुका था जिसे अदा करने के बाद जब वह मेडीसिटी पहुंचा तो चिकित्सक पैनल ने सिर्फ यही कहा कि गलत डोज की वजह से उनकी यह हालत हुई है।

और बेचारा समय से पहले ही पिता के साए से महरूम हो गया। बदायूँ के शमसुल हसन अपने बहनोई अजी अहमद को लेकर अमृतधारा अस्पताल में भर्ती कराया था उन्हे लीवर संक्रमण बताया गया था 14 दिन बाद डाक्टर ने उन्हें कहा कि कल आपको आप इन्हें घर ले जा सकते हैं। और पंद्रहवे रोज आई एक्स-रे रिपोर्ट ने बताया कि उनका एक फेफड़ा पूरी तरह डेमेज है। शमसुल हसन बताते है कि 14 दिन में स्वस्थ हुए व्यक्ति का फेफड़ा अचानक 80 फीसदी खराब कैसे हो गया? जाहिर है कि इसमें धांधली की बू आ रही है।यही नहीं अस्पताल द्वारा दवाई और बैड चार्ज के रूप में लगभग तीन लाख रुपये भी वसूल किए और जिन्दा मरीज लाने वाले शमसुल हसन उसकी लाश लेकर ही गए।यही हाल शहर के नामचीन अस्पताल लाइफ लइन का भी है।सूत्रों की मानें तो यहाँ बाकायदा  बैड की बोली मरीज के दाखिले अस्पताल में दाखिल होने से पूर्व लगाई जाती है वो भी डाक्टर द्वारा नहीं बल्कि उसके द्वारा संरक्षित किए गए गुंडों द्वारा जिन्हें अस्पताल प्रबंधक और मैनेजर से संबोधित किया जाता है। जिनकी योग्यता स्नातक व गुंडागर्दी में स्पेशलिटी हो।बैड की कीमत 12 से 25 हजार प्रतिदिन तक हो सकती है। किस मरीज से कितनी राशि वसूलनी है किसे कब तक रखना है किसे बाहर करना है यह सब यही तय करते हैं डाक्टर तो कोविड मरीजो से आठ फिट दूर रहकर मरीज से कम से कम 700/= अधिकतम 1200/=सिर्फ दर्शन देने के लेते हैं छूने के नहीं।

वह भी रोज न कि साप्ताहिक। बाकी का काम डिस्पेंसरी के जरिए होता है जहां सिर्फ वही दवाएं मिलतीं हैं जो शहर में कहीं और न मिलें। एक तरफ देश कोविड महामारी से जूझ रहा है। वहीं देश का प्रधानमंत्री- मुख्यमंत्री लगातार जनता को संबोधित कर दो गज दूरी मास्क जरूरी का संदेश देकर जागरूक करने को प्रयास रत हैं वहीं लाइफ लाइन अस्पताल की ओपीडी को कभी भी चैक किया जा सकता है कोविड एडवाइजरी की धज्जियां उडाने के लिए। बतौर सुबूत कैम्पस के सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा सकते हैं कि किस तरह दो गज दूरी अभियान का मखौल बनाया जाता है यहाॅ।डाक्टर साहब मरीज से सामान्य पर्चे के 700 और इमजेंसी के नाम पर 1200 प्रतिदिन वसूलना अपना हक तो समझते हैं

मगर मरीज को प्रोपर बैठने की व्यवस्था करना कोविड एडवाइजरी पर अमल करना अपनी तौहीन।  यही वजह है कि अधिकांश मरीज एक दूसरे से सटकर बैठना या खडे रहना अपनी नियति ही समझ लेते हैं। चिकित्सा के नाम पर हो रहे इस गोरखधंधे की भनक स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को भी है लेकिन अस्पताल परिसर में हो रही चर्चा के मुताबिक सबके पास वक्त पर हिस्सा पहुंच जाता हैं इसीलिए साहब भी धन बल पर मरीजो का खून पूरे जोर शोर से खींचते हैं। बहरहाल एडी हैल्थ कार्यवाही के नाम पर मामला सीएसओ पर और सी एम ओ दिखवाता हूँ कहकर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं और स्वास्थ्य लाभ की भावना के साथ ऐसे डाक्टर्स की शरण में आया मरीज या तो लुट कर जाता मर जाता है।

संवाददाता: शमसुल हसन

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.