बहराइच : ईरा पत्रकारों का उत्पीड़न बिल्कुल बर्दास्त नहीं करेगा-प्रदेश अध्यक्ष , प्रदेश अध्यक्ष बहराइच के बाबागंज पहुँचे, की प्रेस वार्ता

बहराइच : माननीय सुप्रीम कोर्ट तथा केंद्र व राज्य सरकार के आदेश के बाउजूद प्रसासनिक अधिकारी पत्रकारों का बड़े पैमाने पर उत्पीड़न कर रहे हैं। सरकार से साफ आदेश के बाउजूद अपनी कार्य शैली में बदलाव नहीं ला रहे हैं। कलम के सिपाहियों को ओछी नज़रों से देखते हैं और जो चाटुकार होते हैं सिर्फ उन्हीं को सम्मान देते हैं। प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश का भी पालन नही कर रहे हैं। विगत दिनों कोतवाली प्रभारी नानपारा ने आधा दर्जन पत्रकारों को अपने दफ्तर में अपमानित करने का कार्य किया जो सीधे सीधे शासन और कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है जो हमारा संगठन बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगा। इस प्रकरण की शिकायत मंडल के उच्च अधिकारियों सहित मुख्यमंत्री ,राज्यपाल, और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में की गई है। उक्त विचार इंडियन रिपोर्ट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष राशिद अली ने ब्लॉक नवाबगंज के बाबागंज में न्यू मीडिया हाउस पर आयोजित एक प्रेस वार्ता में कही। श्री अली ने कहा कि हमारा संगठन लम्बे समय से पत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने की मांग उठा रहा है मगर सरकारें इस पर ध्यान नहीं दे रही हैं। अगर पूरे देश में पत्रकार सुरक्षा कानून लागू कर दिया जाए  तो जो पत्रकारों के उत्पीड़न का प्रकरण आये दिन सामने आता है उस पर अंकुश लग सकता है। श्री अली ने कहा कि कोतवाली प्रभारी की तानाशाही इस प्रकार सर चढ़ कर बोल रही है कि वह कहते हैं कि सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकार ही हमारी कोतवाली में दाखिल हो सकते हैं। अब ऐसे में सवाल यह उठता है कि सिर्फ मान्यता प्राप्त पत्रकार ही क्या पत्रकार होंते हैं और जो मान्यता प्राप्त नहीं है वह पत्रकार नहीं होते हैं। पत्रकारों का अधिकार पत्र देखने का अधिकार कोतवाली प्रभारी को कब से हो गया है ? ऐसे अधिकरियों को दिक्कत हो तो संस्थान के एडिटर एन्ड चीफ या संपादक से जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। किसी सम्मानित पत्रकार को अपमानित करने का अधिकार उनको नही दिया गया है। इस दौरान प्रदेश प्रवक्ता संतोष कुमार मिश्र ने बताया कि हम पत्रकार अपनी जान जोखिम में डालकर समाज की बुराई उजागर करने का कार्य करते हैं जिसके लिए हम पत्रकार को कोई वेतन या मानदेय नही दिया जाता है। अब ऐसे में अगर सम्मान के बदले अपमान मिले तो यह प्रेस की आज़ादी पर एक बहुत बड़ा सवाल है। मीडिया की आज़ादी को छीनने का कार्य कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा और अगर आवश्यकता पड़ती है तो हम पत्रकार पूरे देश में आंदोलन करने को भी मजबूर होंगे। हम जिस प्रकार से समाचार के माध्यम से प्रसासनिक अधिकारियों का सहयोग करते हैं, उसी प्रकार से अधिकारियों को भी चाहिए कि अगर सम्मान नही दे सकते हैं तो अपमान करने का भी कोई अधिकार उनको नहीं है।

रिपोर्ट- संतोष मिश्र

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