बलरामपुर : श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन वाराह अवतार, महर्षि कपिल व सती कथा प्रसंग सुनाया गया

बलरामपुर : वीर विनय चौक स्थित हनुमान गढ़ी पर  चल रहे श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन कथा व्यास भीष्म पितामह महाराज ने भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि के विस्तार, वाराह अवतार, महर्षि कपिल द्वारा सांख्य शास्त्र का वर्णन व देवी सती की कथा का प्रंसग सुनाया । कथा  के दौरान सुनाये गये भजनों पर श्रोता झूमते नजर आये ।  कथा व्यास भीष्म पितामह महाराज ने कहा कि मनु जन्म उपरांत अपने समान गुणी संतान उत्पन्न करने के लिए जलमग्न पृथ्वी का उद्घार करने हेतु ब्रह्मा की नाक से भगवान विष्णु वराह रूप में प्रकट हुए। भगवान विष्णु के इस रूप को देखकर सभी देवताओं व ऋषि-मुनियों ने उनकी स्तुति की। सबके आग्रह पर भगवान वराह ने पृथ्वी को ढूंढना प्रारंभ किया। अपनी थूथनी की सहायता से उन्होंने पृथ्वी का पता लगा लिया और समुद्र के अंदर जाकर अपने दांतों पर रखकर वे पृथ्वी को बाहर ले आए। हिरणायक्ष द्वारा भगवान वाराह को युद्ध के लिए ललकारने पर युद्ध होता है जिसमें हिरणायक्ष का संहार होता है । कथा व्यास ने कहा कि महर्षि कपिल ने भगवान विष्णु के पंचम अवतार के रूप में जन्म लिया जिन्हें आदि विद्वान कहा जाता है जिन्होंने अपनी माता देवहूति को सांख्यज्ञान का उपदेश दिया । कथा सुनाते हुए भीष्म पितामह महाराज ने कहा कि भगवान ब्रह्मा के मानस पुत्र दक्ष प्रजापति की कन्या सती से भगवान शंकर का विवाह हुआ । दक्ष प्रजापति का विवाह मनु की पुत्री  प्रसूति से हुआ था । कथा के दौरान महंत हनुमान गढ़ी महेंद्र दास, सदर विधायक पल्टूराम, जिला मंत्री बृजेन्द्र तिवारी भाजपा मीडिया प्रभारी डी पी सिंह 'बैस', शासकीय अधिवक्ता पवन शुक्ला सहित आदि लोग उपस्थित रहे।

रिपोर्टर : संदीप

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