विकास की दौड़ में पीछे छूट गया चांदन प्रखंड गौरीपुर पंचायत के, भलूवाई गांव

महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज का सपना बांका जिले के चांदन प्रखंड गौरीपुर पंचायत क्षेत्र में भलूवाई गांव आज भी अधूरा है। आजादी के 7 दशक बीत जाने के बाद भी लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे है। ग्राम भलूवाई, दुधवा आदिवासी टोला,  आजाद नगर पूझार  आदि  गांव में आज भी मुख्य सड़क से जुड़ा हुआ नहीं है। प्रधानमंत्री आवास,वृद्धा पेंशन, राशन कार्ड जैसी सरकार के महत्वाकांक्षी योजनाओं में गड़बड़ी के कारण जरूरतमंदों के हाथ खाली है। लेकिन पंचायती राज में मुखिया का वोटर खराब नहीं हो जाए, इसके लिए पूर्णता संपन्नों  के घर इनका लाभ पहुंच रहा है। अगर मुखिया उसका शिकायत करता है, तो आने वाला चुनाव के समय उन संपन्न परिवारों का वोट नहीं मिलेगा। और वह व्यक्ति आर्थिक मजबूत रहने के कारण मुखिया के विरोध में खड़ा हो जाएगा। इसे ध्यान में रखते हुए कोई विरोध नहीं करता है। और विभागीय कार्यवाही भी नहीं होती है। इसलिए गरीब का अनाज अमीरों तक पहुंच रही है। लेकिन सरकार की रजिस्टर बता रही है कि मेरे शासनकाल में इतने गरीब को अनाज मुफ्त में दे रहा हूं। लेकिन गरीब की कहानी जस की तस है। इसे लेकर यहां की जनता जनप्रतिनिधियों से गुहार लगाते थक चुके है। अब तक निदान नहीं निकला। अधिकारियों तक भी मामले की गूंज पहुंची लेकिन सब का हाल ढाक के तीन पात जैसा निकला। गरीबों के लिए गृह निर्माण की समस्याएं यहां अभी भी मुंह बाए खड़ी है। भलूवाई गांव में पानी की सबसे बड़ी समस्या है, यहां के लोग बगल के नदी में जाकर रोज नई कूंआ का निर्माण करते हैं, उस कुंआ, चूंआड़ई से बरसात में रंगीन पानी , तो कभी सुखाड़ में काफी जद्दोजहद मेहनत करने के बाद साफ पानी निकल कर खाने पीने के लिए घर ले जाते हैं ऐसी स्थिति में उसी गांव में हमेशा पीलिया डायरिया जैसी कई बीमारियों का समस्या से घिरा हुआ रहता है। इस गांव के लोग अधिकतर मजदूर है। इनकी जीविका दैनिक मजदूरी पर टिका हुआ है। लेकिन विकास मद में यह गांव अति पिछड़ा है, जनप्रतिनिधियों के नजर में यह गांव हमें वोट नहीं देता है, इसी भावनाओं से आज भलुआही गांव पिछड़ा हुआ है। हर घर नल जल योजना का लाभ, गांव में  नहीं मिला है। लेकिन विभागीय खानापूर्ति में हर घर नल जल योजना से लोगों को लाभ मिल रही है। झुग्गी झोपड़ी वालों के लिए गैर अभी भी गांव में जस के तस दिखते हैं ऐसी कई समस्याएं हैं जिसे अब तक पूरा नहीं हुआ है। यह गांव मुख्य मार्ग से जुड़ा हुआ नहीं रहने के कारण रोग ग्रस्त, या प्रसव पीड़ा से पीड़ित महिलाओं को खाट में टांग कर मुख्य मार्ग तक लाना पड़ता है तब उनकी जानें बच पाती है। अन्यथा गांव में खाट टांगने वाला मजदूर या उनके परिवार के सदस्य घर पर नहीं रहने पर पीड़ित महिला को घर में ही भगवान भरोसे जीने को मजबूर रहना पड़ता है। ग्रामीण कांग्रेश राय, विजय कुमार राय, गीता देवी, कौशल्या देवी, रमन कुमार राय, कारू राय आदि ने बताया कि हम सभी लोग आम सभा में कई दफा गांव की समस्या रखा है लेकिन 7 दशक गुजर गया, लेकिन मुखिया, जनप्रतिनिधियों मेरे गांव के प्रति किसी प्रकार का विकास मध्य अछूता रखा है। विद्यालय है लेकिन पढ़ाई नदारद है। प्रधानमंत्री आवास से भी हम सब वंचित है।

रिपोर्टर: राकेश कुमार बच्चू

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