फिर लौटा अगिया रोग, किसान त्रस्त प्रॉपीकॉनाजोल 25 प्रतिशत ईसी से किया जा सकता है नियंत्रित

फिर लौटा अगिया रोग, किसान त्रस्त प्रॉपीकॉनाजोल 25 प्रतिशत ईसी से किया जा सकता है नियंत्रित - पूर्णतया खत्म करने का नहीं हैै कोई कारगर उपाय

बस्ती: धान की फसल में इन दिनों अगिया रोग के फैलने का खतरा बढ़ गया है। इसे लेकर जिले के किसान परेशान नजर आ रहे हैं। उनका कहना है कि एक बार अगिया लग जाने के बाद यह पूरी फसल खराब हो जाती है। कवकनाशी का छिड़काव भी इसके फैलाव को कम नहीं कर पा रहा है। अगिया लगने से फसल के दाने काले पड़ जाते हैं, जिससे इसे सरकारी क्रय केंद्र भी खरीदने से आनाकानी करता है।

किसान बताते हैं कि पिछले साल की तरह इस बार भी अगिया तेजी से धान की फसलों को अपनी चपेट में ले रहा है। अगिया के कारण फसल के दाने काले पड़ जाते हैं और उनकी गुणवत्ता खराब हो जाती है। जिससे उपज बेंचने में किसानों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। यह रोग संकर प्रजाति के धान में सबसे अधिक लगता है। आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कुमारगंज आयोध्या के धान विशेषज्ञ डॉ.सौरभ दीक्षित बताते हैं कि लगने के बाद अगिया रोग को पूर्णतया खत्म नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। किसान ग्रसित पौधों को सुबह के समय सावधानीपूर्वक खेत से निकलकर मिट्टी के नीचे दबा दें। इसके बाद नियंत्रण के लिए प्रॉपिकॉनाजोल (25 प्रतिशत ईसी) एक लीटर की प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। यह क्रम 15 दिन के बाद दोहराते रहें। ऐसा करने से अगिया रोग के फैलाव को नियंत्रित किया जा सकता है।

reporter : Alok Srivastava

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