विधिवत् पुजन अचर्न कर मेला का हुआ शुभआरंभ

शाहपुर :  बैतूल जिले में प्रसिद्ध श्री मनसुख दास बाबा समाधि स्थल पर प्रतिवर्ष पौष पूर्णिमा पर निशान चढ़ाकर विधिवत् पुजन अचर्न कर मेला का शुभआरंभ हुआ मेला के पहले दिन हजारों की सख्या मे श्रृद्वालु उमड पडे जिसमें जिले भर के आस पास के यादव समाज व वर्मा समाज के लोगो की मनसुख दास बाबा से  आस्था जुड़ी हुई है आजू बाजू के गांव सिलपटी ढाना भयाबाड़ी देशावाडी बांका खोदरी कुंडी कामठी रायपुर पहाड़ी पावर झंडा के लोग भी बड़ी संख्या में  बाबा मनसुख दास के मंदिर पर परसाद चढ़ने पहुंचे शाहपुर नगर के श्रद्धालु भी समाधि स्थल पर माथा टेकने पहुंचे।

शाहपुर तहसील मुख्यालय में  श्रद्धा, धार्मिक और आध्यात्मिक परंपरा के बीच पौष पूर्णिमा पर मनसुख दास बाबा समाधि स्थल पर श्रद्धालुओं ने माथा टेक कर अपनी मन्नतें मांगी। मान्यता है कि  बाबा मनसुख दास मंदिर व समाधि स्थल पर गुण व अनाज फल फ्रूट से तुला दान भी किया जाता है और सभी श्रद्धालु जाकर समाधि स्थल की परिक्रमा कराने पर वह प्रेत बाधा मुक्त हो जाता है। सदियों से यह चमत्कार लोग अपने सामने देखते आ रहे हैं। मनसुख दास बाबा दरबार पवित्र धार्मिक स्थल शाहपुर में विगत 250  से  अधिक वर्षो से पौष पूर्णिमा पर मेला लगता है। मेले में प्रदेश भर से लोग अपनी परेशानी लेकर पहुंचे हैं।


मनसुख दास दरबार में लगता है मेला जिसका निशान विधिवत हर वर्ष की तरह गुरु साहब बाबा के मालाजपुर से आता है और उनके चेले मनसुख दास बाबा पर वह दिशांत चढ़ाया जाता है मिली जानकारी के मुताबिक गुरु साहब बाबा मलाजपुर मेला और शाहपुर सुखदास मेला दोनों ही एक साथ लगते हैं पर गुरुसाहब बाबा ने मलाजपुर में सन् 1770 में किशोर अवस्था में जीवित समाधि ले ली थी। तब से यहां पिछले 400 वर्षों से हर साल विशाल मेला पौष  मास की पूर्णिमा से बसंत पंचमी तक लगता है। संपूर्ण दरबार व समाधि की देखरेख के लिए  महंत करते हैं। प्रेत बाधाओं से मुक्ति पाने वाले लोगों की मेले की प्रथम रात्रि से ही भारी भीड़ लगी रहती है। यहां पर जिले का सबसे बड़ा मेला भी लगता है।

गुड़ हैं पर मक्खी नहीं, शक्कर हैं पर चींटी नहीं साल भर गुरुसाहब बाबा की समाधि पर गुड़ चढ़ाने के लिए हजारों की संख्या में श्रद्धालु  यहां पहुंचते है तथा अपनी मनोकामना पूर्ण करते । भारी मात्रा में यहां तुलादान व चढ़ोत्तरी स्वरूप गुड़ व शक्कर चढ़ाया जाता है। मगर पूरे समाधि परिसर में मक्खी व चीटियां नहीं पाई जाती। पहले दिन भरता है भूतों का बाजार मलाजपुर के गुरुसाहब बाबा के दरबार में हर साल लगने वाले मेले का शुरु दिन भूतों के बाजार का दिन माना जाता है। मेले के प्रथम दिन पूस मास की पूर्णिमा को पूरे दिन व रात भर समाधि परिसर की परिक्रमा करते हजारों की संख्या में भूत-प्रेत बाधाओं से पीडि़त व्यक्ति क्या पुरुष-क्या महिलाएं किलकारी मारते और तरह-तरह की आवाजें निकालते, भागते-दौड़ते परिसर की परिक्रमा करते देखे जा सकते हैं। गुरु साहब बाबा समाधि स्थल परिसर में सैकड़ों साल पुराने नगाड़े एवं अन्य सामग्री आज भी संरक्षित है।

रिपोर्टर : शैलेंद्र गुप्ता 

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