क्या ईरान पर फिर टूटेगा अमेरिका का कहर? मिले 5 चौंकाने वाले संकेत

चार महीने की खामोशी के बाद एक बार फिर मध्य-पूर्व में हलचल तेज़ हो गई है। ईरान पर अमेरिका और इज़राइल के संभावित हमले की चर्चा ज़ोरों पर है। वाशिंगटन से लेकर तेहरान तक तनाव की लहरें साफ महसूस की जा सकती हैं। संकेत साफ हैं — यह सिर्फ अटकलें नहीं, बल्कि किसी बड़ी रणनीति की शुरुआत है।

आइए, जानते हैं वो 5 संकेत जो इस खतरनाक मंजर की ओर इशारा कर रहे हैं:
1. डिप्लोमैसी के दरवाज़े बंद, अब सिर्फ शर्तें

ईरान के विदेश मंत्री ने यूरोपीय नेताओं के साथ अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप के दूत स्टीव विटकॉफ से मिलने की कोशिश की। मक़सद था—यूरेनियम संवर्धन पर बातचीत फिर से शुरू हो। लेकिन अमेरिका ने दरवाज़ा ही बंद कर दिया। विटकॉफ ने दो टूक कहा: "बात तभी होगी जब ईरान यूरेनियम संवर्धन पूरी तरह रोक देगा। और अब बात सिर्फ यूरेनियम की नहीं, मिसाइलों की भी होगी।" यानी ईरान के हथियारों पर भी अब अमेरिका की निगाह है। यह रुख तेहरान के लिए बड़ा झटका है।

2. फिर से हवा में मंडराए बमवर्षक

अमेरिका ने अपने KC-135 स्ट्रैटोटैंकर विमानों को एक बार फिर मध्य-पूर्व में भेजा है। पिछली बार जून 2025 में ईरान पर हमले से ठीक पहले यही मॉडल तैनात किए गए थे। इसके बाद बी-2 बॉम्बर ने तीन बड़े ठिकानों को निशाना बनाया था। इतिहास खुद को दोहराने की तैयारी में दिख रहा है।

3. नेतन्याहू का दावा—हम जानते हैं यूरेनियम कहां छिपा है

इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने हाल ही में बेहद अहम बयान दिया: "हमें पता चल चुका है कि ईरान ने संवर्धित यूरेनियम कहां छुपा रखा है।" यह एक खुला इशारा है—इज़राइल अब सिर्फ चेतावनी नहीं देगा, एक्शन के लिए तैयार है। जानकारों का मानना है कि ईरान के पास इतना यूरेनियम है कि 10 परमाणु बम बनाए जा सकते हैं। खतरे की गूंज अब तेज़ हो चुकी है।

4. ईरान की राजधानी बदलने की तैयारी?

ईरान के राष्ट्रपति ने सुप्रीम लीडर खामेनेई को प्रस्ताव भेजा है—तेहरान को राजधानी के रूप में हटाया जाए। भले ही कारण ‘पानी की समस्या’ बताया गया हो, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि यह असल में संभावित हमले की तैयारी है। राजधानी को सुरक्षित स्थान पर ले जाने की कवायद किसी बड़े खतरे की आहट है।

5. फिर लौट रहा है शाह का साया

मोहम्मद रज़ा शाह पहेलवी—जिसे इतिहास ने पीछे छोड़ दिया था—फिर से सुर्खियों में हैं। वो विपक्षी दलों को एकजुट कर रहे हैं, और लगातार अमेरिका व इज़राइल से संपर्क में हैं। उनका मकसद साफ है—खामेनेई को हटाकर सत्ता में वापसी। इज़राइल भी इसी रणनीति को आगे बढ़ा रहा है। क्या एक और सत्ता परिवर्तन की पटकथा लिखी जा रही है?

पर्दे के पीछे बहुत कुछ पक रहा है। हथियार तैनात हो रहे हैं, बयान तीखे होते जा रहे हैं, और राजनैतिक मोहरे फिर से बिछाए जा रहे हैं। अगर संकेतों को नजरअंदाज किया गया, तो अगली सुबह एक नई जंग की दस्तक दे सकती है।क्या यह सिर्फ कूटनीतिक दबाव है? या फिर वाकई जंग का बिगुल बजने ही वाला है?

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