वन्य जीव सप्ताहीक संरक्षण दिवस पर छात्रों ने नगर भ्रमण कर वन्यजीव बचाने के लिए अपील की

वन्य जीव सप्ताहीक संरक्षण दिवस पर छात्रों ने नगर भ्रमण कर वन्यजीव बचाने के लिए अपील की

हाई सेकेंडरी स्कूल वाड्रफनगर के वन्य जीव संरक्षण दिवस पर मौजूद बच्चे।

बलरामपुर वन परिक्षेत्र वाड्रफनगर में शुक्रवार को वन्य जीव संरक्षण दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें मौजूद छात्र छात्राओं को वन्य जीवों के बारे में जानकारी दी गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता अशोक तिवारी ने की। इस दौरान वक्ताओं ने वन्य जीवन को प्रकृति की अमूल्य देन बताया।

कार्यक्रम के दौरान वन परिक्षेत्रा अधिकारी अशोक तिवारी ने कहा कि वन्य जीव संरक्षण दिवस का मुख्य उद्देश्य सभी को वन्यप्राणी, पशु-पक्षियों और पौधों के बारे में जानकारी देकर उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रेरित करना है। सरकार ने कुछ क्षेत्रों को अभयारण्य या राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया है। साथ ही कानून बना कर सभी जंगली जानवरों और पक्षियों आदि के शिकार पर रोक लगाई गई है। प्रतिबंध का उल्लंघन करने वालों के लिए सजा का प्रावधान भी किया गया है।

प्रकृति के अनुसार मानव, पर्यावरण और वन्यजीव एक दूसरे से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। मानव शरीर व मस्तिष्क को स्वस्थ रखने, शुद्ध ऊर्जा प्राप्त करने के लिये पर्यावरण को शुद्ध व साफ सुथरा रखना बेहद जरूरी है। पर्यावरण से ही मानव का जीवन संभव है। वन व वन्यजीवों की सुरक्षा भी जरूरी है। विद्यालय के प्रबंधक  ने कहा कि वन्य जीवन प्रकृति की अमूल्य देन है।

औद्योगीकरण के इस युग में दिन प्रति दिन पर्यावरण पर बढ़ते संकट को नियंत्रित करने के उद्देश्य से भारत में सर्वप्रथम 7 जुलाई 1955 को वन्य प्राणी दिवस मनाया गया।  श्रीवास्तव ने कहा कि देश में वन और वन्य जीवों को भारतीय संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। केंद्रीय मंत्रालय वन्य जीव संरक्षण संबंधी नीतियों ओर नियोजन के संबंध में दिशा निर्देश देने का कार्य करता है। राष्ट्रीय नीतियों को कार्यान्वित करने की जिम्मेदारी राज्य वन विभागों की होती है। इस मौके पर वन परिक्षेत्रा अधिकारी अशोक तिवारी एवं वन विभाग के टीम सहित सभी शिक्षक, शिक्षिकाएं व छात्र छात्राएं मौजूद रहे

संवाददाता : चन्द्रकान्त साहू

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