कौन सुनेगा ....किसको सुनाए ....इसलिए चुप रहते है

आज मौजूदा परिस्थितियों में यह भली भांति पता चला कि भ्रष्टाचार नाकामी और कामचोरी ही सिस्टम है। मीडिया ही सुतिया है क्योंकि  आज सुतियों का  ही मीडिया है । इतनी लाशें गिरने के बाद नींद से जागे कुछ लोग अपनी विधायक या सांसद निधि से लाखों का चेक देकर यह दर्शा रहे हैं कि उन्होंने आज बड़े पुण्य का काम किया है । जनता का पैसा जनता को देकर सोशल मीडिया के सहारे खूब प्रचार किया जा रहा है । लेकिन किसी ने  आज तक यह नही बताया कि इस वीभत्स समय मे जनता के चुने हुए प्रतिनिधियों ने अपनी कमाई से अब तक लाचार जनता की क्या मदद की । 

अपने माननीयों को तो यह भी पता नही है कि उनके मोबाइल फोन की जिम्मेदारी संभालने वाले उनके प्रतिनिधि इस वीभत्स समय मे भी अपनी तिजोरियां ही भरने में लगे है । 

एक तरफ देश मे कोरोना बेकाबू होकर लोगो के सिर पर नंगा नाच रहा है  तो दूसरी तरफ आई पी एल में चीयर लीडर्स बेहयाई से नाच रही है ।वर्तमान हालात में एक ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर एंड्रू टॉय है जिसने हमे आईना दिखाया । ये आईपीएल में राजस्थान रॉयल्स की ओर से खेलते हैं, तेज़ गेंदबाज है। इन्होंने इस बात पर आईपीएल छोड़ दिया है कि भारत में कोरोना से लाखों लोग मर रहे हैं, उन्हें अस्पताल नहीं मिल रहा है फिर बीसीसीआई, कंपनियां और फ्रेंचाइजी  इतना पैसा खर्च कर आईपीएल कैसे करवा सकती है?

 हमारे दुख दर्द से दूर आज बॉलीवुड हमे यह बताने में लगा है कि सलमान ही राधे है और राधे ही सलमान है और अब तो ट्रेलर भी आ गया है । आपकी अर्थियों को कंधा तो सलमान देंगे नहीं और न आपको ऑक्सीजन देंगे लेकिन आप अपनी जेब ढीली कर के भाई की फिल्म ज़रूर देखिये ।

वहां से पैसे बचें तो आईपीएल देख लीजिये । सचिन के कहने पर पे टी एम पर जुआ खेल लीजिये क्योंकि उनको या उनके परिवार को जब ऑक्सीजन या अस्पताल चाहिए होगा तो बड़ी आसानी से मिल जाएगा । किसी सेलेब्रेटी को कोरोनो हुआ तो इसलिए हुआ कि वो सुतियापा वाले मीडिया की सुर्खियां बन सके । जैसे अमिताभ बच्चन को कोरोना हुआ । ठीक होते ही जनाब लगभग 4 हजार ट्वीट करते हुए यह बताते हैं कि उनके स्वर्गीय पिता ने कौन सी कविता लिखी थी । अगर हरिवंश राय आज जिंदा होते तो पछताते कि क्या बवासीर पैदा  कर दिया मैंने ।

कुछ लोगो को हमेशा सिस्टम में खामी नजर आती है । पिछले साल के कोरोना काल से अब तक बहुत कुछ सुधरा है और आगे भी सुधरेगा । इसलिए सिस्टम को दोष देना और गाली देना बंद कीजिये। आज पूरी दुनिया में अपना डंका बज रहा है और आप है कि सरकार की बजा रहे हैं। ये देशद्रोह नहीं तो और क्या है? कुछ तो शर्म कीजिये । 

आज इन हालात में हमारा डेटा और बेटा कब धोखा दे जाए पता नही लेकिन हम भी बहुत भोले तो  है नही । हम सब जानते है ।  तभी तो कोरोना लहर और लॉक डाउन की खबर सुनते ही हम इतने मासूम बन जाते हैं  कि शराब की दुकानों पर टूट पड़ते हैं, और पेटी पेटी शराब उठा लाते है ।  5 रुपये में 3 बिकने वाला नींबू हम 20 रुपये में 4  बेचने लगते हैं  और तो और मौका मिलते ही विटामिन सी जैसी बेगैरत दवा की जमाखोरी भी हम शुरू कर देते है । बस ऐसे ही है हम...और हमारा सिस्टम भी।

रिपोर्टर : सत्येंद्र 

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