कोरोना वैक्सीन से ही जीतेगें कोरोना की जंग

एक तरफ है कोरोना वायरस बीमारी से जुझता भारत और एक तरफ है वैक्सीनेशन के सहारे इस बीमारी से लड़ता भारत ..स्थिति अभी भी असमंजस की ही है लोग एक तरफ कोरोना की हाहाकर से तो डर ही रहे हैं साथ ही कोरोना की वैक्सीन को लेकर फैली अफवाओं के बाजार से भी कुछ लोगों में डर है , जिसकी वजह से लोग अपना वैक्सीनेशवन  कराने से डर रहे हैं . लेकिन ये स्थिति देश के लिए सही नहीं है ...एक्सपर्ट्स से लेकर सरकार लगातार लोगों से अपील कर रही है और चेता रही है कि हमारे पास कोरोना से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार केवल वैक्सीन है ...इसी के सहारे कोरोना की जंग में जीत मिल सकती है ... कुछ मुश्किलों के बाद कोरोना वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरु हो चुका है, मगर अब भी लोगों के मन में वैक्सीन को लेकर तरह-तरह की चिंताएं और भ्रांतियां हैं. यही वजह है कि लोग वैक्सीन लगवाने खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं.

दिल्ली स्थित लोकल सर्किल के एक सर्वे में यह बात सामने आई है लोग कोरोना की वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे हैं, इसके दो मुख्य कारण सामने आए हैं. पहला ये कि सितंबर के बाद संक्रमण के मामले तेजी से कम हुए हैं जबकि दूसरा कारण ये है कि लोग वैक्सीन के साइड इफेक्ट से चिंतित हैं दरअसल, यह सर्वे 18,000 लोगों पर किया गया है. जारी किए गए के सर्वे के आंकड़ों के मुताबिक कई भारतीय कोरोना का टीका लगवाने में संकोच कर रहे हैं. सर्वे में पाया गया कि लगभग 69% लोगों ने बताया कि टीकाकरण करने की कोई तत्काल आवश्यकता नहीं है. लोकल सर्किल्स ने एक बयान में कहा कि ऐसा लगता है कि हिचकिचाहट के कुछ प्रमुख कारणों में साइड-इफेक्ट्स, संक्रमण में गिरावट और यह विश्वास कि कोरोना उनका कुछ खास नहीं बिगाड़ पाएगा, शामिल हैं. 

कोविड महामारी की गंभीरता को देखते हुए टीकों से जुड़ा किसी भी तरह का भय जल्द दूर करना जरूरी होगा। लोगों के सामने साफ तस्वीर होगी और अगर उन्हें यह समझ में आ जाए कि कोविड की चपेट में आने के बजाय एक-दो दिन का बुखार बर्दाश्त कर लेने में समझदारी है, तो वे टीकाकरण के विरोधियों की बात पर ध्यान नहीं देंगे।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि कुछ साइड इफेक्ट्स होना सामान्य बात है.अगर किसी को टीके का डोज लेने के बाद कुछ मामूली साइड इफेक्ट्स दिखें तो बहुत घबराना नहीं चाहिए। ऐसा होने का मतलब यह भी तो है कि टीका काम कर रहा है। अब सवाल यह है कि टीकों से रिएक्शन होता ही क्यों है? दरअसल हमारा इम्यून सिस्टम अपने आसपास अजनबियों को पसंद नहीं करता। चाहे वायरस हो या वैक्सीन, हमारा इम्यून सिस्टम उनको निशाने पर ले लेता है। इस रिएक्शन से जो बाई-प्रॉडक्ट्स बनते हैं, वे ज़ाहिर है कि हमारे खून में ही सर्कुलेट होते हैं। इससे स्किन पर चकत्ते बनने और सिर दर्द होने जैसे लक्षण भी दिख सकते हैं। फाइजर और मॉडर्ना के टीकों के साइड इफेक्ट्स एक दूसरी वजह से भी दिख सकते हैं। ये टीके mRNA को आधार बनाकर तैयार किए गए हैं। ये टीके लिपिड यानी फैट में लिपटे हुए mRNA को शरीर में पहुंचाते हैं। इम्यून सिस्टम को यह बात कतई रास नहीं आती। और इसीलिए ऐसा होता है.

कोरोनो की जंग में वैक्सीनेशन का हथियार ही एक मात्र सहारा है ...इसको जिम्मेदाराना रवैये के साथ हमे समझना होगा ...हांलाकि अगर आपको या आपके परिवार मे किसी को कोई गंभीर स्वास्थ परेशानी है तो वैक्सीन लगवाने से पहले अपने डॉ से इस विषय मे सलाह ले लें ..इससे आपके मन का डर भी दूर होगा ,,और शरीर के लिहाज से वैक्सीन लगवा पाएगें ..

 

 

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