धूमधाम से मनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती

 धूमधाम से मनाई गई राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जयंती 

- याद किए गए पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री 

- कलेक्ट्रेट परिसर में हुआ कार्यक्रम जिलाधिकारी ने किया नमन 

- जिलाधिकारी ने कहा दोनों महान विभूतियों की जीवनी को आत्मसात करने की आवश्यकता  राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 152 वीं एवं पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती आज पूरे जनपद में समारोह एवं विविध कार्यक्रमों के साथ मनायी गई। सरकारी/गैर सरकारी भवनों पर ध्वज फहराने के साथ उनके चित्र पर पुष्प अर्पित किए गए और उनके प्रिय भजनों का पाठ किया गया। लोगों ने स्वच्छता का संकल्प भी लिया।

जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने कलेक्ट्रेट सभागार में महात्मा गांधी एवं लाल बहादुर शास्त्री जी को श्रद्धा सुमन अर्पित किया। इस अवसर पर आयोजित गोष्ठी को संबोधित करते हुए जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने कहा कि आज के दिन देश के दो महानतम विभूतियों का जन्म हुआ है। इन दोनों महान सपूतों के जीवनी को आत्मसात करने की आवश्यकता है। गांधीजी के योगदान की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका में उन्होंने गुलाम देश का नागरिक होने के दर्द को झेला था। जब वे देश वापस आए तो उन्होंने देश की सामाजिक- आर्थिक- राजनीतिक पृष्ठभूमि को समझने के लिए पूरे देश का भ्रमण किया। इसके बाद उन्होंने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने का प्रयास किया।

उन्होंने कहा कि गांधी जी ने जिन प्रतीकों का प्रयोग किया वे अद्भुत थे। खादी के माध्यम से स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने का विचार प्रस्तुत किया। भक्तिकालीन कवियों के ऐसे भजनों को चुना, जिनसे आम जनमानस पहले से ही परिचित था और जो गांव-गांव गाये जाते थे। गांधीजी ने इन गीतों को स्वतंत्रता आंदोलन से जोड़ दिया। गांधीजी दूरद्रष्टा थे। वह मनुष्य को मनुष्य से अलग करने वाली विघटनकारी संरचनाओं को समझते थे और पूरा जीवन उन्होंने उसे तोड़ने का प्रयास किया। उन्होंने दरिद्र में भी ईश्वर को देखा और उसे दरिद्र नारायण कहा। गांधी जी ने सत्याग्रह और अहिंसा से दुनिया के सबसे बड़े साम्राज्यवादी शक्ति को भी झुका दिया।

देश के दूसरे प्रधानमंत्री स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री को याद करते हुए जिलाधिकारी ने कहा कि शास्री जी का कद भले छोटा हो, किंतु, उनका व्यक्तित्व बहुत ऊँचा था। 1965 के युद्ध में उनके नेतृत्व में देश विजयी हुआ। उन्होंने जय जवान और जय किसान का नारा दिया। हरित क्रांति की शुरुआत की, जिसकी परिणति है कि आज भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर है। गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य राजस्व अधिकारी अमृतलाल बिंद ने कहा के महात्मा गांधी सत्य अहिंसा और त्याग की प्रतिमूर्ति थे। अंग्रेज भी उनसे डरते थे। एडीएम (वित्त/राजस्व) नागेंद्र कुमार सिंह और एडीएम (प्रशासन) कुँवर पंकज ने भी गोष्ठी को संबोधित किया।

कार्यक्रम के दौरान जिलाधिकारी आशुतोष निरंजन ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों एवं उनके आश्रितों को माल्यार्पण एवं अंग वस्त्र प्रदान कर सम्मानित किया। मधुरेंद्र श्रीवास्तव एवं कस्तूरबा गांधी विद्यालय की छात्राओं ने गांधी जी के प्रिय भजन 'रघुपति राघव राजा राम' और 'वैष्णव जन' का गायन किया। कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने स्वच्छता की शपथ भी ली। जिलाधिकारी ने गांधी जयंती के अवसर पर आयोजित फिट इंडिया रन में भागीदारी करने वाले प्रतिभागियों को  प्रमाण पत्र भी दिया। इस दौरान डीजीसी नवनीत मालवीय क्रीड़ा अधिकारी केके पांडे सहित कई अधिकारी एवं कर्मचारी मौजूद थे।

संवाददाता: दुर्गेश जायसवाल 

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