त्याग और वीरता की मूर्ति थे श्री गुरु गोबिंद सिंह जी, प्रकाश पर्व पर पढ़िए उनके दिए संदेश
नानक शाही कैलंडर के अनुसार प्रत्येक वर्ष पौष महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती मनाई जाती है. गुरु गोबिंद सिंह जी सिखों के दसवें गुरु हैं. सिख समुदाय के लोग गुरु गोबिंद सिंह जी के जन्मदिन को बड़े ही श्रद्धा के साथ मनाते हैं. गुरु गोबिंद सिंह जी की जयंती को प्रकाशपर्व के रूप में मनाया जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रति सच्ची श्रद्धा और उनके जीवन के दर्शन के लिए जयंती से पहले ही जगह-जगह फेरियां निकाली जाती हैं. गुरु गोबिंद सिंह ने गुरु ग्रंथ साहिब को सिखों का गुरु घोषित करते हुए गुरु परंपरा को खत्म किया था. इसके लिए साल 1699 में उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी. सिखों के लिए ये घटना सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है. इस बार 9 जनवरी 2022 को गुरु गोबिंद सिंह की जयंती है. 10वें गुरु गुरु गोबिंद सिंह एक बहादुर योद्धा और आध्यात्मिक महापुरुष थे. गुरु गोबिंद जी सत्य के पुजारी थे. उन्होने कई ग्रंथों की रचना भी की उन्हे कई भाषाओं का ज्ञान था. हमेशा उन्होने सत्य, प्रेम आपस मे एकता और परमपिता परमेश्वर की भक्ति का लोगों को संदेश दिया. वे अपनी मधुरता, सहनशीलता, सौम्यता के कारण पहचाने जाते थे. प्रकाश पर्व के अवसर पर आइए जानते हैं गुरु गोबिंद सिंह जी के कुछ अनमोल संदेश -
1.असहाय लोगों पर अपनी तलवार चलाने के लिए ज्यादा उतावले मत हो, अन्यथा ईश्वर आपका खून बहाएगा.
2.जब सभी बाकी तरीके असफल हो जाएं तो हाथ में तलवार उठाना बिल्कुल सही है.
3.अगर आप सिर्फ भविष्य के बारे में सोचते रहंगे तो आप वर्तमान को भी खो देंगे.
4.अगर आप वास्तविक शांति प्राप्त करना चाहते है तो आपको अपने अंदर से अपने अहंकार को मिटाना होगा.
5.में सिर्फ उन्हीं लोगों को पसंद करता हूं, जो हमेशा सत्य के मार्ग पर चलते है.
6.हे भगवान, मुझ पर यह आशीर्वाद बनाए रखना कि में कभी भी सही कर्म करने में संकोच ना करूं.
7.सवा लाख से एक लड़ाऊं, चिडियन ते में बाज तूडाऊं, तबै गुरु गोबिंद सिंह नाम कहाऊं.
8.ईश्वर के नाम के अलावा कोई भी आपका दोस्त नही है, ईश्वर के सेवक इसी का चिंतन करते है और ईश्वर को ही देखते है.
9.मुर्ख आदमी पूरी तरह से अंधा होता है, वह कीमती चीजों का सम्मान नही करता है.
10.सच्चे गुरु की सेवा करने से ही स्थाई शांति प्राप्त होती है, जन्म और मृत्यु के कष्ट मिट जाएंगे
11.भगवान ने हमको जन्म दिया है, ताकि हम संसार में अच्छे काम करे और बुराई को दूर करे.
12.सबसे बड़ी सुख सुविधाएं और स्थाई शांति तब मिलती है, जब आपके अंदर से स्वार्थ समाप्त हो जाता है.
13.मुझे तुम लोग ईश्वर का सेवक समझो, और इसमें कोई संदेह मत रखो.
14.प्राणियों से सच्चा प्रेम करना ही ईश्वर की सच्ची भक्ति और सच्ची साधना है.
15.ईश्वर ने हमेशा अपने अनुयायियों को आराम दिया है, और हर समय उनकी सहायता की है.
16.आपको हमेशा अपनी कमाई का दसवां हिस्सा दान में दे देना चाहिए.
17.गुरुबानी को आपको पूरी तरह से कंठस्थ कर लेना चाहिए.
18.अपने काम को लेकर कभी लापरवाह ना बने और खूब मेहनत करें.
19.आपको अपनी जवानी, जाति और कुल धर्म को लेकर कभी भी घमंडी नही होना चाहिए.
20.विदेशी नागरिक, दुखी व्यक्ति, विकलांग और जरूरतमंद इंसान की हमेशा हृदय से सहायता करे.
21.अपने द्वारा किये गए सारे वादों को हमेशा पूरा करने की कोशिश करें.
सिख संप्रदाय की स्थापना का उद्देश्य मुख्य रूप से हिन्दुओं की रक्षा करना था. इस संप्रदाय ने भारत को कई अहम मौकों पर मुगलों और अंग्रेजों से बचाया है. सिखों के दस गुरु माने गए हैं, जिनमें से आखिरी गुरु थे गुरु गोबिंद सिंह. खालसा पंथ के संस्थापक दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी को एक महान स्वतंत्रता सेनानी और कवि माना जाता है. गुरु गोबिंद सिंह जी को त्याग और वीरता की मूर्ति भी माना जाता है. उनकी सबसे बड़ी विशेषता उनकी बहादुरी थी. उनके लिए यह शब्द इस्तेमाल किए जाते हैं ‘सवा लाख से एक लड़ाऊँ, तभै गांबिद सिंह नाम कहांऊ’ उनके अनुसार शक्ति और वीरता के संदर्भ में उनका एक सिख सवा लाख लोगों के बराबर है.
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