हरतालिका तीज व्रत ,जाने महत्वपूर्ण नियम एवं विशेष पूजा विधि

इस साल 2021 का हरतालिका व्रत 9 सितंबर दिन गुरुवार को पड़ा रहा है. इस सुहागिन महिलाएं हरतालिका तीज का व्रत अखण्ड़ सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन की प्राप्ति के लिए यह व्रत रखती हैं.

पंचांग के अनुसार, हरतालिका तीज का व्रत हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन रखा जाता है. इस साल ये तिथि 9 सितंबर 2021 को पड़ रही है. इस लिए सुहागिन महिलाएं 9 सितंबर को हरतालिका तीज का निर्जला व्रत रखेंगी और देवी माता पार्वती का पूजन कर अपने पति की दीर्घायु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करेंगी.

हरतालिका का अर्थ

हरतालिका शब्द दो शब्दों के मेल से बना है. पहला शब्द है हरिण, जिसका अर्थ हरना या हरण करना होता है वहीँ तालिका का अर्थ सखी के मेल से बना है. एक पौराणिक कथा के अनुसार, इस तिथि को देवी माता पार्वती की सखियां ने उनके पिता हिमालय के घर से हरण करके जंगल ले कर आई थी. जहां पर देवी माता पार्वती ने कठोर तप किया और भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में प्राप्त किया.

हरतालिका तीज व्रत के नियम

1.    हरतालिका तीज व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं भगवान शिव, देवी पार्वती और श्री गणेश जी की पूजा करती हैं. पूजा के लिए महिलाएं इन देवी-देवताओं की कच्ची मिट्टी से मूर्ति बनती हैऔर इनकी विधि-विधान से पूजन करती हैं.

2.    इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है. व्रत में किसी प्रकार का अन्न और जल ग्रहण नहीं किया जाता है. व्रत के अगले दिन महिलाएं व्रत का पारण जल पीकर करती हैं और व्रत समाप्त करती हैं.

3.    हरतालिका तीज के व्रत में आठो पहर पूजन का विधान है. इस लिए इस व्रत में रात्रि -जागरण करते हुए शिव-पार्वती के मंत्रों का जाप या भजन करना चाहिए.

4.    पूजन के दौरान हरतालिका तीज की व्रत कथा का श्रवण जरूर करना चाहिए. यह विशेष फलदायी होता है.

5.    धार्मिक मान्यता के अनुसार, एक बार हरतालिका तीज का व्रत प्रारंभ कर देने के बाद जीवन भर ये व्रत नियमित रूप से रहना चाहिए

6.    इस व्रत में भगवान शिव और देवी पार्वती को रेशम का वस्त्र अर्पित करना उत्तम होता है.

7.    हरतालिका तीज व्रत की पूजा सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में करना सबसे शुभ माना जाता है.

 

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