दुमका: भारत सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा स्थित स्टेडियम में धूमधाम से मनाया गया सोहराय

भारत सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा स्थित स्टेडियम में धूमधाम से मनाया गया सोहराय संताल विद्रोह के पूर्व कार्तिक महीने में मनाया जाता था सोहराय स्वामी नित्यव्रता नंद महाराज की अगुवाई में हुई गोट पूजा

 रानीश्वर/दुमका: भारत सेवाश्रम संघ दुमका शाखा के पाथरा स्थित स्टेडियम में गुरुवार को गोट पूजा के साथ एक दिवसीय सागुन सोहराय पर्व मनाया गया।आश्रम के स्वामी नित्यब्रता नंद महाराज के अगुवाई में नायकी शिबू सोरेन,  पिरूल मरांडी परानी ,चुंडा हेम्ब्रम नायकी एवं बिशु हेम्ब्रम जग माझी ने गोट पूजा किया।तत्पश्चात यहां संताली नृत्य, गीत, कविता पाठ किया गया।वर्ग प्रथम के छात्र जयंत मुर्मू ने संताली कविता पाठ कर लोगो को मंत्र मुग्ध कर दिया । प्रणबा नंद बिद्या मंदिर बरमसिया के छात्राओं ने संताली नृत्य गीत प्रस्तुत किया ।मुख्य अतिथि के रूप में सामाजिक कर्मी सच्चिदानंद सोरेन, राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित सेवा    निबृत शिक्षिका भारती चट्टोपाध्याय, चंचल पांडा, बकुल मुखर्जी फिलिप सोरेन, अकिल पवरिय मौजूद थे ।कार्यक्रम में प्रसेनजित माल, स्नेहलता सोरेन, आशीष सोरेन, सुकमोहन हेम्ब्रम,रूपलाल बास्की, अजय अमर किस्कु, दिबु सोरेन, सागुन हांसदा, जयदेव दे, रंजीत राउत, अभिनंदन मुर्मू, सुदीप चक्रबर्ती ,हरेंद्र माझी मौजूद थे ।सामाजिक कार्यकर्ता सच्चिदानंद ने बताया हैं कि संताल परगना क्षेत्र में जनबरी महीना में सोहराय मनाया जाता हैं।संताल विद्रोह के पूर्व कार्तिक महीना में सोहराय पर्व मनाने की परंपरा थी । 22 दिसंबर 1855 में संताल विद्रोह के बाद बीरभूम जिला को खंडित कर संताल परगना स्वतंत्र जिला बनाया गया था ।उस बर्ष यहां सोहराय पर्व नहीं हुआ था।बाद में यहां जनवरी महीना में सोहराय मनाने की परंपरा शुरू हुई| अन्य राज्य में कार्तिक महीना में ही सोहराय मनाया जाता हैं|इसे बांदना भी बोला जाता हैं । कार्तिक महीना को सोहराय चंदू महीना बोला जाता हैं।स्वामी नित्यब्रता नंद ने बताया  कि यहां के आश्रम में जनजाति छात्र छात्राएं पड़ाई करते हैं ।चूंकि यह पर्व संतालों का महापर्व हैं, इस लिये आश्रम में सोहराय मनाया जाता हैं।

 

रिपोर्टर : गियासुद्दीन अंसारी रानीश्वर

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