ईद पर पढ़े कुछ दिल को छूने वाली पंक्तियां

आज ईद का त्यौहार पूरे देश में मनाया जा रहा है ..लेकिन कोरोना की वजह से ईद में भी रंगत में कमी आई है ...कई परिवार के लोग लॉकडाउन के चलते अकेले अलग अलग शहरों में है ...अगर आप भी उनमें से हैं और आज ईद पर अकेला महसूस कर रहे हैं तो हम आपको लिए लेकर आए हैं ..कुछ फेमस लिखने वालों की ईद पर कुछ पंक्तियां जिन्हे पढ़कर आप अपना समय गुजार सकते हैं ....

 

कहते हैं ईद है आज अपनी भी ईद होती

हम को अगर मयस्सर जानां की दीद होती

 

ग़ुलाम भीक नैरंग

 

हम ने तुझे देखा नहीं क्या ईद मनाए

जिसने तुझे देखा हो उसे ईद मुबारक

 

लियाक़त अली आसिम

 

माह-ए-नौ देखने तुम छत पे न जाना हरगिज़

शहर में ईद की तारीख़ बदल जाएगी

 

जलील निज़ामी

 

जो लोग गुज़रते हैं मुसलसल रह-ए-दिल से

दिन ईद का उन को हो मुबारक तह-ए-दिल से

 

ओबैद आज़म आज़मी

 

आज यारों को मुबारक हो कि सुब्ह-ए-ईद है

राग है मय है चमन है दिलरुबा है दीद है

 

आबरू शाह मुबारक

 

ख़ुशी के फूल खिलेंगे हर इक घर में तो ईद समझूँगा
धनक के रंग बिखरेंगे हर इक घर में तो ईद समझूँगा
बुलबुलें गाती नहीं हैं अभी कोयल कूकने से डरती है
जब सर से उतरेगा ये ख़ौफ़े-अलम तो ईद समझूँगा
भूख की आँखों में रोटियों का सपना अभी अधूरा है
जब चूल्हा जलेगा हर इक घर में तो ईद समझूँगा
हामिद की निगाह अब भी चिमटे पे जमी रहती है
कि वो भी ख़रीदेगा जब खिलौने तो ईद समझूँगा
ख़ुदा क़फ़स में उदास बैठा है शैतान खिलखिलाते हैं
जो निज़ाम कायनात का बदलेगा तो ईद समझूँगा
भूल कर नफ़रत-अदावत रंज़ो-ग़म शिकवे-गिले
सब भेजेंगे जब सबको सलाम तो ईद समझूँगा

अकबर रिज़वी

 

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.