भौवापार के 1784 घरों में होगा कालाजार रोधी छिड़काव

भौवापार के 1784 घरों में होगा कालाजार रोधी छिड़काव

 01 अप्रैल से 30 अप्रैल तक अभियान के तौर पर भौवापार गांव में होगा छिड़काव

विश्व स्वास्थ्य संगठन के तकनीकी सहयोग से प्रशिक्षित हुए छिड़काव कर्मी

जनपद के पिपरौली गांव में वर्ष 2019 में मिला था कालाजार का प्रवासी मरीज

जिले के पिपरौली ब्लॉक स्थित भौवापार गांव के 1784 घरों को कालाजार बीमारी से सुरक्षित किया जाएगा। इस कार्य में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और स्वयंसेवी संगठन पाथ भी तकनीकी सहयोग देंगे। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने बताया कि एक अप्रैल से 30 अप्रैल तक गांव में अभियान के तौर पर कालाजार की जनक बलुई मक्खी निरोधक दवा का छिड़काव किया जाएगा। वर्ष 2019 में इस गांव से कालाजार का प्रवासी मरीज सामने आया था, इसलिए एहतियातन यहां लगातार तीन वर्षों तक दवा का छिड़काव होना है। यह दूसरे वर्ष के तीसरे चक्र का छिड़काव है। पिछले वर्ष दो बार छिड़काव हो चुका है। गांव में करीब दस हजार की आबादी को कालाजार से बचाना इस छिड़काव का लक्ष्य है।मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि इस संबंध में पिपरौली सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर अभियान से संबंधित लोगों को बुधवार को प्रशिक्षित किया गया। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. एके पांडेय, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. निरंकेश्वर राय और डब्ल्यूएचओ कोआर्डिनेटर डॉ. सागर ने संबंधित लोगों को प्रशिक्षित किया है। सभी प्रशिक्षुओं को बताया गया है कि शारीरिक दूरी का पालन करते हुए मॉस्क एवं ग्लब्स लगा कर छिड़काव कार्य सम्पन्न करेंगे। बालू मक्खी जमीन से छह फीट की ऊंचाई तक उड़ सकती हैं। ऐसे में सभी प्रशिक्षुओं को बताया गया है कि दवा का छिड़काव घर के अंदर तथा बाहर छह फीट तक कराना है। छिड़काव के बाद तीन माह तक छिड़काव स्थल पर पुताई नहीं होनी चाहिए। छिड़काव कार्य में एक आशा संगिनी और पांच आशा कार्यकर्ता लोगों को जागरूक करेंगी और बीमारी की पहचान के लिए घर-घर जाकर जानकारी इकट्ठा करेंगी।

कालाजार के लक्षण जिला मलेरिया अधिकारी ने बताया कि कि कालाजार बालू मक्खी से फैलने वाली बीमारी है। यह मक्खी नमी वाले स्थानों पर अंधेरे में पाई जाती है। यह तीन से छह फीट ऊंचाई तक ही उड़ पाती है। इसके काटने के बाद मरीज बीमार हो जाता है। उसे बुखार होता है और रुक-रुक कर बुखार चढ़ता-उतरता है। लक्षण दिखने पर मरीज को चिकित्सक को दिखाना चाहिए। इस बीमारी में मरीज का पेट फूल जाता है। भूख कम लगती है। शरीर पर काला चकत्ता पड़ जाता है।
 

वर्ष 2016 में भी निकला था मामला मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने बताया कि कालाजार का एक मामला वर्ष 2016 में सरदारनगर क्षेत्र में निकला था। वह मरीज भी जिले में बिहार के सिवान जिले से आया था। प्रोटोकॉल के मुताबिक संबंधित आबादी को वर्ष 2017, 2018 और 2019 में दवा का छिड़काव करवा कर प्रतिरक्षित किया गया। कालाजार का प्रकोप मुख्यतया कुशीनगर और देवरिया जनपद में पाया जाता है जो बिहार से सटे जिले हैं, लेकिन कुछ प्रवासी मामले जिले में भी आ जाते हैं। लिहाजा संबंधित इलाकों में एहतियातन छिड़काव करवाया जाता है। भौवापार का मरीज कुशीनगर जिले से आया प्रवासी मरीज था।

रिपोर्टर-हरिगोबिन्द चौबे

Leave a Reply



comments

Loading.....
  • No Previous Comments found.