खोखली जाँच की घुट्टी पिलाकर रामराज्य के सपने को मिट्टी में मिलाता करतबबाज तंत्र

गोरखपुर : जिस राज्य का शासन किसी निष्पक्ष न्याय व्यवस्था की बजाय पुलिस या सेना के बल पर टिका होता है, उस राज्य को पुलिस स्टेट कहा जाता है । कुछ बेलगाम पुलिसियों  के पुलिसिया बेअंदाजी से पुलिस स्टेट की परिकल्पना को बल मिलता है और इस वजह से स्थितियां कई बार अनियंत्रित होती दिखाई देती हैं । राज्य सरकार द्वारा इन स्थितियों में अपनी आँखे बंद कर लेना जनता के बीच भय पैदा करता है जबकि  राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि उसके शासन में जनता निर्भीक और भयमुक्त होकर अपना जीवन यापन कर सके । बाबाजी के शहर गोरखपुर में पुलिस की कार्यशैली के तीन उदाहरण यहाँ प्रस्तुत हैं जो यह बताने के लिए पर्याप्त हैं कि वर्दी की खोल में छिपे बैठे  आपराधिक मानसिकता वालो ने अपनी दमदार कनेक्टिवीटी की बदौलत अपने खिलाफ हुई हर जाँच को पंगु साबित किया है । यही वजह है कि जाँच के नाम पर    खेले जा रहे खेल से जनता का भरोसा अब टूटता जा रहा है ।

1. महिला अपराध से जुड़े व अन्य आपराधिक साजिश रचने वाले एक आरोपी को शरण देने वाले दरोगा जी को बतौर इनाम जब थानेदारी मिली तो दरोगा जी फूल मालाओं से लाद दिए गए । सोशल मीडिया के जरिये बात खुली तो जाँच बैठी लेकिन दारोगा जी के रसूख के आगे जाँच की आँच फड़फड़ा कर ठंडी पड़ गयी । आज तक पता नही चला कि जाँच का अंजाम क्या हुआ ? महत्वपूर्ण थाना होने के बावजूद सिकरीगंज थाने में आज तक किसी योग्य इंस्पेक्टर को थानेदारी की कमान न मिलना और दागी दरोगा जी का थाना प्रभारी बने रहना इसी ओर इशारा करता है कि गोरखपुर पुलिस में काबिल थ्री स्टारों का अकाल है या फिर दागी दरोगा जी का कनेक्टिविटी जुगाड़ काफी तगड़ा है ।

2. दूसरे वाले दरोगा जी जगदीशपुर चौकी पर तैनात हैं । ये दरोगा जी क्षेत्र में कच्ची शराब जैसे जहरीले धंधे को निपटाने की बजाय धंधे का विरोध करने वालो को ही निपटा देते हैं । दरोगा जी के इन कारनामो का विरोध करने वाले एक पत्रकार और महिला के सनसनीखेज आरोपों का पिटारा जब खुला तो इन दरोगा जी पर भी जाँच बैठ गयी लेकिन नतीजा सिफर और धंधा फिर चालू ! 

3. अभी आज ही पता चला कि अपने अधिकारी का आदेश न मानने वाले खोराबार थाने में एक और नायाब टाइप के दरोगा जी तैनात हैं जिन्हें एक कैंटीन संचालक द्वारा कोल्ड ड्रिंक का पैसा माँगना इतना नागवार गुजर गया कि उन्होंने उसे लट्ठ मार मार कर उसका सिर फोड़ दिया । रही सही कसर उनके कारिंदों ने पूरी कर दी । दरोगा जी मुफ्तखोर है या फिर उनके पास कोल्ड ड्रिंक के पैसे नही थे  इस मामले की तह तक भी जिम्मेदार जाएंगे । जाँच भी बैठेगी और हमेशा की तरह इस जाँच में भी कुछ न उखड़ेगा । साबित हो जाएगा कि घटना के दिन दरोगा जी को जबरदस्त जुकाम था और कोल्ड ड्रिंक उनके लिए विष के समान था ।

गोरखपुर पुलिस के जिम्मेदार शायद यह भूल चुके हैं कि बेलगाम और मनबढ़ किस्म के  वर्दीधारियों की गलतियों पर पर्दा डालते रहने जैसी पक्षपाती मानसिकता ने ही सी एम साहब के शहर में व्यापारी मनीष गुप्ता जैसे जघन्य हत्याकाण्ड की पटकथा लिख डाली थी । जिस राज्य के सैनिकों की कार्यशैली से आमजन के बीच भय का माहौल व्याप्त होने लगे और जिस राज्य के सैनिक पक्षपाती, बेईमान, भ्रष्टाचारी, मनबढ़ और क्रूर हो जाएं उस राज्य में रामराज की परिकल्पना कभी साकार नही हो सकती । जनता जनार्दन के लिए हमदर्द पुलिस का फलसफा  आज भी दूर की कौड़ी है । वैसे भी इस दुनियां में कोई किसी का हमदर्द नहीं है । लाश को श्मशान की भूमि पर रखने वाले अपने ही लोग अक्सर पूछने लगते हैं कि अभी और कितना वक्त लगेगा ?

रिपोर्टर : सत्येंद्र कुमार

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