"श्रावणी पर्व का महत्व" पर गोष्ठी सम्पन्न

गुजरात :      पकंचकुला  3 अगस्त 2022(चंद्रकांत सी पुकारी) केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के तत्वावधान में "श्रावणी पर्व का महत्व" विषय पर ऑनलाइन गोष्ठी का आयोजन किया गया । यह कॅरोना काल मे 425 वां वेबिनार था । वैदिक प्रवक्ता डॉ. नरेंद्र आहुजा विवेक(पूर्व राज्य औषधि नियंत्रक हरियाणा सरकार) ने कहा कि श्रावणी सुनने सुनाने और पढ़ने पढ़ाने का पर्व है, वर्षा ऋतु में प्राचीन समय में आवागमन बन्द हो जाता था उस समय विद्वान लोग वेद शास्त्रों के स्वाध्याय पर जोर देते थे ।

उन्होंने कहा कि श्रावणी श्रवण श्रुति से सिद्ध हुआ है। परमपिता परमात्मा द्वारा श्रुति अर्थात वेद ज्ञान ईश्वरीय वाणी  चार ऋषियों के माध्यम से सृष्टि में रहने वाले समस्त प्राणियों को दिया गया और यह वेद ज्ञान श्रुति परम्परा से आगे बढ़ा। पर्व शब्द का प्रयोग गन्ने की दो फांकों को जोड़ने वाली गांठ के भी होता है। अर्थात समाज के सभी अंगों को जोड़ने वाला जो हमें आपस में जोड़ दे उसे पर्व कहते हैं। जुड़ने के बाद दोनों तरफ मीठा ही मीठा मतलब पर्व मनाने वाले समाज में समरसता की मिठास। इसे परिवार समाज में उत्साह का संचार करने के कारण उत्सव भी कहा जाता है। बरसातों के प्रारम्भ होते ही पर्वतों की गुफाओं, जंगलों में बने आश्रम आदि से स्वाध्याय शील विद्वान सन्यासी वानप्रस्थी मुनि आदि शहरों गावों आदि में आकर सामान्य गृहस्थी लोगों को अपने अनुभव स्वाध्याय उपासना से अर्जित वेद ज्ञान बांटते थे। ज्ञान देना प्रारम्भ करने से पूर्व वेद ज्ञान रक्षा सूत्र या यज्ञोपवीत सामान्य लोगों को धारण करवाया जाता था। यह श्रावणी पर्व के रूप में जाना जाता था। आज भी मन्दिरों गुरुकुलों आदि में श्रावणी पर्व के दिन सामूहिक यज्ञोपवीत कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
श्रावणी पर्व श्रवण और श्रुति से सिद्ध हुआ है। वेद ज्ञान ईश्वरीय वाणी श्रुति परम्परा से ही आम लोगों तक पहुंचाया जाता है। इसीलिए श्रावणी पर्व के दिन वेद रक्षा सूत्र बांधे यज्ञोपवीत धारण करें और सुने हुए वेद ज्ञान के अनुरूप चलने का संकल्प लें, इसी से हमारी संस्कृति की रक्षा हो पाएगी। वेद ज्ञान ईश्वरीय ज्ञान ब्रह्म ज्ञान होने के कारण समस्त विज्ञान का ज्ञान है। अर्थात विज्ञान के समस्त सूत्र पूर्व से वेद ज्ञान में निहित हैं। वेद का पढ़ना पढ़ाना और सुनना सुनाना हम सभी का परम धर्म है। अपने वैदिक धर्म के सिद्धांतों की रक्षा करके ही हम अपनी रक्षा कर सकते हैं।
केन्द्रीय आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल आर्य ने संचालन करते हुए कहा कि हमें आर्ष साहित्य के पढ़ने की ओर ध्यान देना चाहिए और ज्ञान की व्रद्धि करनी चाहिए।
अध्यक्ष आर्य नेता प्रेम सचदेवा ने यजिये परंपरा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया । राष्ट्रीय मंत्री प्रवीन आर्य ने कहा कि पुस्तकें सच्ची  मित्र हैं ।
गायक प्रवीना ठक्कर, रविन्द्र गुप्ता, ईश्वर देवी,रजनी गर्ग, कमलेश चांदना,रजनी चुघ,कमला हंस,अंजु आहुजा, प्रतिभा कटारिया, विजय वधावन आदि के मधुर भजन हुए। शिक्षा विद डी ए वी के उपप्रधान तिलक राज गुप्ता के निधन पर शोक व्यक्त किया गया ।

रिपोर्टर : चंद्रकांत पुजारी

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