हरदोई : धुव्र की अटल भक्ति के आगे भगवान भी झुकें। अनूप ठाकुर महाराज

 हरदोई के ग्राम रामपुर धर्मपुर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में असलापुर धाम से पधारे प्रसिद्ध कथावाचक अनूप ठाकुर महाराज द्वारा ध्रुव चरित्र की कथा का प्रसंग बड़े ही रोचक ढंग से प्रस्तुत किया गया। इस दौरान ध्रुव चरित्र की कथा सुन श्रोता भावविभोर हो गए। अनूप महाराज ने ध्रुव चरित्र की कथा का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि उत्तानपाद की दो पत्नियां सुरुचि और सुनीति थी। सुरुचि के पुत्र का नाम उत्तम और सुनीति के पुत्र का नाम ध्रुव था मौसी द्वारा अपमानित होने पर देवर्षि नारद के बताये गये मार्ग पर चलकर ध्रुव ने अटल भक्ति की जिसके आगे भगवान को भी प्रकट होना पड़ा। अनूप महाराज ने कहा कि जीव मात्र उत्तानपाद है। माता के गर्भ में रहने वाले सभी जीव उत्तानपाद हैं। जीव मात्र की दो पत्नियां होती हैं। सुरुचि और सुनीति। इंद्रियां जो भी मांगे उन विषयों का उपयोग करने की इच्छा ही सुरुचि है। उत्तम का भाव है उद माने ईश्वर और तम माने अंधकार, अज्ञान ईश्वर के स्वरूप का अज्ञान ही उत्तम का स्वरूप है। इंद्रियों के दास होने पर ईश्वर स्वरूप का ज्ञान नहीं हो सकता, क्योंकि वह सुरुचि में फंसा है और विलासी जीवन जीता है। वह ईश्वर को नहीं पहचान सकता। इसी तरह सुनीति का पुत्र ध्रुव है जो अविनाशी, अनंत और ब्रह्मानंद हैं, जो कभी नष्ट नहीं होने वाला है। ध्रुव अटल है मनुष्य यदि सुनीति के आधीन है तो सदाचारी बनता है। पहला क्षणिक सुख देता है और दूसरा अंत में सुख देता है। कार्यक्रम के दौरान श्याममोहन सिंह, विमल सिंह, भूपेंद्र सिंह, ज्ञानू कुशवाहा, रनवीर कुशवाहा समेत हजारों की संख्या में श्रोता मौजूद रहें।

रिपोर्टर : प्रशांत तिवारी

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