IAS की पढ़ी लिखी गोल्फर बेटी ,वैष्णवी सिन्हा ने लिखी पशुपालन की नई परिभाषा

 

कहते हैं सफलता उन्ही लोगों को मिलती है,जो रिस्क लेना बखूबी जानते है ,और इस बात को बड़ी शिद्धत के साथ सिद्ध किया है एक आईएएस अफसर  की विदेश की मिट्टी में पढ़ी लिखी गोल्फर बेटी वैष्णवी सिन्हा ने ,जो आज इस देश की सफल गौपालक हैं .लखनऊ में  जन्म लेने वाली वैष्णवी ने अपने जीवन के कई साल अमेरिका में गुजारे और कई देशों में प्रोफेशनली गोल्फ मैच खेले लेकिन भारत वापसी पर उन्होंने एक ऐसा निर्णय लिया जिसकी वजह से आज इस देश में उनकी अपनी  पहचान है .पिता की सलाह पर वैष्णवी में नोयडा में 10 गायों के साथ गौपालन शुरू किया साथ ही साथ जीरो बजट ऑर्गेनिक फार्मिंग पर भी फोकस किया और अब सफलता का आलम ये है कि आज वैष्णवी के पास बड़ी तादाद में गायें है और गाय के गोबर से खाद बनाकर उसी से जीरो बजट आर्गेनिक फार्मिंग करती हैं, और डबल मुनाफा कमाती  हैं. साथ ही लोगो को भी आर्गेनिक खेती करने के लिए  प्रोत्साहित करती हैं. तो आइये विस्तार से जानते हैं विदेश से आयी वैष्णवी की एक   गौपालक के रूप में सफलता की कहानी-

यूपी के लखनऊ की रहने वाली वैष्णवी 5 साल से ज्यादा समय अमेरिका के शिकागो में रही. वैष्णवी सिन्हा ने प्रोफेशनल तौर पर गोल्फ खेला लेकिन इंडिया लौटकर वो खेती कर रही हैं. आगे की स्लाइड्स में देखिए आखिर वैष्णवी क्यों करने लगीं खेती.वैष्णवी का जन्म 6 दिसंबर 1990 को लखनऊ में हुआ. उनके पिता आलोक सिन्हा IAS ऑफिसर हैं और मां प्रीति हाउस वाइफ. वैष्णवी 2 बहनें हैं. छोटी बहन शाम्भवी का खुद का स्टार्टअप है.वैष्णवी बताती हैं कि वो शुरू से पढ़ने में काफी अच्छी थी. डीपीएस नोएडा से 2008 में 12वीं पास किया. फिर आगे की पढ़ाई के लिए शिकागों के परड्यू यूनिवर्सिटी चली गई. 5 साल तक वहां पढ़ाई की, साथ में गोल्फ की प्रैक्टिस भी करती रही.ग्रेजुएशन करने के बाद वो अमेरिका में ही 2 साल तक प्रोफेशनली गोल्फ खेला. 2015 में वैष्णवी शिकागो से इंडिया वापस गई. एक दिन परिवार के साथ खाना खाते वक्त उनके पापा ने लीक से हटकर काम करने की सलाह दी.

वैष्णवी के पिता ने नोएडा में 40 एकड़ से ज्यादा की जमीन ली थी। उनके पिता को देसी गाय बहुत पंसद थी. उन्होंने गाय खरीदकर बिजनेस करने को कहा. जिसके बाद 2017 में 10 गायें खरीदी. अभी उनके पास पास 21 गायें हैं जो हर रोज 50 से 60 लीटर दूध देती हैं. इस बीच वैष्णवी ने जीरो बजट ऑरग्रेनिक फार्मिंग के बारे में सुना और उस पर काम करना शुरू किया. आज गाय के गोबर से खाद बनाकर उसी से जीरो बजट प्राकृतिक खेती करती हैं.

 

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