मंदिर का इतिहास 5 हजार साल पुराना
दुनिया भर में कई प्राचीन मंदिर हैं लेकिन कुछ 'रहस्यमयी' भी हैं। जिसको विज्ञान भी आज तक नहीं सुलझा पाया है। इसी सिलसिले में आज हम आपको एक ऐसी ही रहस्यमयी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके आगे विज्ञान ने भी घुटने टेक दिए...हम बात कर रहे है यूपी के कानपुर जिले में एक ऐसा मंदिर है, जहां पर मंदिर की छत से चिलचिलाती धूप में अचानक पानी की बूंदे टपकने लगती हैं. बारिश की शुरुआत होते ही इन बूंदों का टपकना बंद हो जाता है. यह मंदिर यूपी की औद्योगिक नगरी कहे जाने वाले कानपुर जिले के भीतरगांव इलाके से ठीक तीन किलोमीटर की दूरी पर बेहटा गांव में स्थित है. इस प्राचीन मंदिर में भगवान जगन्नाथ की पूजा होती है.
आज भी है एक राज
बताते हैं कई बार वैज्ञानिक और पुरातत्व विशेषज्ञों ने मंदिर से गिरने वाली बूंदों की पड़ताल की. लेकिन, सदियां बीत गई हैं इस रहस्यर को, आज तक किसी को नहीं पता चल सका कि आखिर मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों का राज क्यास है.
मंदिर का इतिहास 5 हजार साल पुराना
कहा जाता है कि इस मंदिर का इतिहास 5 हजार साल पुराना है. इस मंदिर में भगवान जगन्नाूथ, बलदाऊ और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं. इनके अलावा मंदिर में पद्मनाभम की भी मूर्ति स्थारपित है.
टपकने वाली बूंदों के हिसाब से ही बारिश
स्थाेनीय निवासियों के अनुसार सालों से वह मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों से ही मानसून के आने का पता करते हैं. कहते हैं कि इस मंदिर की छत से टपकने वाली बूंदों के हिसाब से ही बारिश भी होती है.
मंदिर के पुजारी ने कही ये बात
इस मंदिर के गुंबद से जब बूंदे कम गिरीं तो यह माना जाता है बारिश भी कम होगी. इसके उलट अगर ज्याैदा तेज और देर तक बूंदे गिरीं तो यह माना जाता है कि बारिश भी खूब होगी. मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस बार बारिश कम होगी. क्योंकि दो दिन से छोटी बूंदे टपक रही हैं.
पुरी जगन्नाथ मंदिर की तरह निकलती है रथ यात्रा
जगन्नाथ मंदिर पुरातत्व के अधीन है. जैसी रथ यात्रा पुरी उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर में निकलती है वैसे ही रथ यात्रा यहां से भी निकाली जाती है. पुरातत्व विभाग कानपुर के एक अघिकारी के मुताबिक मंदिर का जीर्णोद्धार 11वीं शताब्दी के आसपास हुआ था. मंदिर 9वीं सदी का हो सकता है.
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