'जहन्नुम जाना मंजूर, पाकिस्तान नहीं' – जावेद अख्तर का ट्रोल्स को करारा जवाब

बेबाक बयानों से सुर्खियों में रहने वाले जावेद अख्तर

जाने-माने कवि, गीतकार और लेखक जावेद अख्तर अपने बेबाक विचारों और सामाजिक-राजनीतिक मुद्दों पर स्पष्ट रुख के लिए प्रसिद्ध हैं। हाल ही में उन्होंने शिवसेना सांसद संजय राउत की किताब ‘नरकतला स्वर्ग’ के लॉन्च इवेंट में शिरकत की, जहां उन्होंने ट्रोलिंग, नफरत और सोशल मीडिया पर मिलने वाली गालियों को लेकर खुलकर बात की।

‘दोनों तरफ से पड़ती हैं गालियां’ – जावेद अख्तर

इवेंट के दौरान जावेद अख्तर ने बताया कि उन्हें सोशल मीडिया पर दोनों पक्षों – धार्मिक कट्टरपंथियों और सेक्युलर आलोचकों – से गालियां मिलती हैं। उन्होंने कहा,

“अगर आप सिर्फ एक पक्ष के लिए बोलते हैं, तो केवल दूसरा पक्ष नाराज़ होता है। लेकिन अगर आप सभी के लिए बोलते हैं, तो सभी पक्षों के लोग आपसे नाराज़ हो जाते हैं। यही मेरे साथ हो रहा है।”

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें जितनी तारीफ मिलती है, उतनी ही आलोचना भी झेलनी पड़ती है और यह संतुलन उन्हें यह विश्वास देता है कि वे कुछ गलत नहीं कर रहे।

'काफिर' और 'जिहादी' दोनों कहे जाते हैं

जावेद अख्तर ने ट्रोल्स द्वारा इस्तेमाल किए गए अपमानजनक शब्दों को साझा करते हुए कहा कि उन्हें कुछ लोग 'काफिर' कहते हैं और उन्हें 'जहन्नुम' में जाने की दुआ देते हैं, जबकि दूसरी ओर कुछ उन्हें 'जिहादी' कहकर पाकिस्तान भेजने की सलाह देते हैं।

‘अगर विकल्प केवल दो हैं, तो मैं जहन्नुम जाना पसंद करूंगा’
अपनी बात को तीखे अंदाज में रखते हुए जावेद अख्तर ने कहा:

“अगर मेरे पास केवल दो विकल्प हैं – या तो पाकिस्तान जाऊं या फिर जहन्नुम – तो मैं जहन्नुम जाना पसंद करूंगा।”

उनके इस बयान पर इवेंट में मौजूद लोगों ने जमकर सराहना की। यह जता दिया कि जावेद अख्तर आज भी विचारों के स्तर पर समझौता नहीं करते।

न सिर्फ कलम से, शब्दों से भी जावेद अख्तर का असर

अमिताभ बच्चन को डॉन बनाने वाली जोड़ी सलीम-जावेद के सदस्य रहे जावेद अख्तर न सिर्फ फिल्मों के जरिए, बल्कि समाज पर अपनी टिप्पणियों से भी आज लोगों के दिल और दिमाग पर असर डालते हैं। चाहे सराहना हो या आलोचना, वह हमेशा खुलकर बोलते हैं।

 

 

 

 

 

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