भोजन केवल जीवित रहने के लिए नहीं बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए किया जाता है -मुकुंद साव

चौपारण : हजारीबाग ऐसा कोई भी पदार्थ जो कार्बोहाइड्रेड, वसा,जल,तथा प्रोटीन से बना हो और जीव जगत द्वारा ग्रहण किया जा सके उसे भोजन कहते है,जीव न केवल जीवित रहने के लिए बल्कि स्वस्थ और सक्रिय जीवन बिताने के लिए भोजन करते है,भोजन में अनेक पोषक तत्व होते है,जो शरीर का विकास करते है,उसे स्वस्थ रखते है, और शक्ति प्रदान करते है,भोजन में ऊर्जा का त्वरित श्रोत है,उक्त बाते आज एक स्वास्थ गोष्ठी में एनआरएलएम के पूर्व प्रशिक्षक सह प्रखंड साक्षरता समिति चौपारण के प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक मुकुंद साव ने कहा, उन्होंने कहा कि संध्या के समय भोजन नहीं करना चाहिए ,भोजन की थाली गोद में रखकर भोजन नहीं करना चाहिए ,टूटे हुए बर्तन में भोजन कभी भी नहीं करना चाहिए ,बिस्तर पर बैठकर भोजन नहीं करना चाहिए, खाली हाथ में लेकर भोजन नहीं करना चाहिए।

थाली आसन पर रखकर भोजन नहीं करना चाहिए, भोजन करते समय बात नहीं करना चाहिए, तथा चलते घूमते टहलते हुए भोजन नहीं करना चाहिए,आगे श्री साव ने कहा कि दही गरम एवं रात में नहीं खाना चाहिए, कांसे के बर्तन में घी नहीं खाना चाहिए, रात में फल ,दही ,सत्तू ,मूली और बैंगन नहीं खाना चाहिए ,दूध और दही एक साथ नहीं खाना चाहिए, खिचड़ी और खीर एक साथ नहीं खाना चाहिए,यात्रा करते समय भी भोजन का ध्यान रखना चाहिए जैसे जब भी यात्रा करना हो तो रविवार को पान,छोले भटूरे खाए पर लाल साग,अदरक और मसूर दाल वर्जित है,,सोमवार को दर्पणदेखकर यात्रा पर निकले पर चीनी का सेवन न करे, तथा राजमा चावल खाना चाहिए,,मंगलवार को गुड मिक्स वेज,रोटी, का सेवन करे पर घी वर्जित है,बुधवार को धनिया सरसो तेल,का सेवन करे पर हरी सब्जी वर्जित है,गुरुवार को जीरा कढ़ी,का सेवन करे पर दूध और केला वर्जित है,शुक्रवार को दही बिरयानी का सेवन करे पर खट्टी चीज वर्जित है,तथा शनिवार को अदरक तथा काले चने का सेवन करे पर सरसो तेल वर्जित है,उपरोक्त बातों को ध्यान में रखकर  यात्रा पर निकले यात्रा शुभ होगा,माह में भी भोजन का ध्यान रखना चाहिए,जैसे चैत्र में चना और नीम की पत्ती खाना चाहिए पर गुड, मिश्री,खट्टे फल,और सादा दूध वर्जित है,उसी प्रकार बैशाख में बेल,चावल,सत्तू का सेवन करे पर तेल न लगाए,जेठ में बेल और दोपहर में न चले,आषाढ़ में खूब खेले तथा पका हुआ बेल और हरी सब्जी नहीं खाए,,श्रावण में हर्रे का सेवन करे पर साग वर्जित है,,भादो में तिल का सेवन लाभकारी है पर दही, छाछ वर्जित है,अश्विन में गुड़ खाए पर करेला और दूध वर्जित है,,कार्तिक में मूली ,सकरकंद,गाजर खाए पर दाल,बैंगन,जीरा और दही वर्जित है,सरसो तेल भी नही लगाना चाहिए,, अगहन में तेल का सेवन लाभकारी है पर जीरा वर्जित है,पुस में दूध का सेवन करे,पर मिश्री और धनिया वर्जित है,माघ में घी खिचड़ी खाना चाहिए पर मूली धनिया और मिश्री वर्जित है,और फाल्गुन में रोज सुबह स्नान करे,पर चना नही खाए,,तिथि के अनुसार भी भोजन करने का बताया गया है जैसे प्रथमा को पेठा,कद्दू, कोहंडा,नही खाना चाहिए उसी प्रकार द्वितीया को कटहल और बैंगन, तृतीया को परवल,चतुर्थी को मूली,पंचमी को बेल,षष्ठी को नीम का दतवन या नीम का पत्ता,सप्तमी को ताड का फल या ताड़ी,अष्टमी को नारियल,नवमी को लौकी,दशमी को कलंबी,एकादसा को सीम और बैंगन,द्वादशी को पाई और बैंगन,त्रयोदशी को बैगन,तथा चतुर्दशी,अमावस्या और पूर्णिमा को स्त्री सहवास,तिल का तेल,लाल रंग का साग,उपरोक्त सभी वर्जित है,नही खाना चाहिए,परहेज करना चाहिए,भोजन सुबह और शाम ही करना नियमित भोजन है,पीने का पानी हमेशा तांबे के बर्तन में रखना चाहिए,और तांबे के ग्लास में पानी पीना चाहिए,वर्षा का पानी,उत्तम,नदी का पानी मध्यम,और तालाब तथा कुवे का पानी निम्नतम है,पर जो भी पानी पिए छानकर और हल्का गर्म कर पानी पीना चाहिए,गोष्ठी जिला युवा परिषद के तत्वाधान में हुआ था,गोष्ठी की अध्यक्षता भाजपा मंडल अध्यक्ष मुकेश सिन्हा ने किया जबकि संचालन सामाजिक कार्यकर्ता शिक्षाविद बिराज रविदास ने किया,गोष्ठी में मुकुंद साव,बालेश्वर साव,रामसेवक कुमार दांगी, बिनोद कुमार सिंह,रंजित पांडे,संदीप कुमार सिंह,अर्जुन राणा ने अपने विचार रखे,गोष्ठी में सैकड़ों किशोर किशोरिया शामिल थे।

रिपोर्टर : मुकेश सिंह 

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