जानिए खरमास में क्यों नहीं करने चाहिए कोई शुभ कार्य
आज से खरमास शुरू हो जाएगा । खरमास 15 दिसंबर की रात 3 बज के 42 मिनट से शुरू होंगा । खरमास 14 जनवरी 2022 की दोपहर 2 बज के 28 मिनट तक रहेगा । खरमास के दौरान आप कोई भी मांगलिक कार्य जैसे शादी-विवाह आदि नहीं कर सकते है । खरमास के समय कोई भी शुभ कार्य करना अशुभ माना जाता है । जैसे हर किसी व्रत या पूजा करने के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा होती है । उसी तरह खरमास को अशुभ मानने के पीछे एक पौराणिक कथा है।
कथा
पुराणों के अनुसार जब एक बार सूर्य देवता अपने सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर ब्राह्मांड की परिक्रमा कर रहे थे। तब निरंतर चलते रहने के कारण उनके रथ में जुते घोड़े बहुत थक गए और सभी घोड़े प्यास से व्याकुल हो रहे थे। घोड़ों की यह स्थिति देखकर सूर्य देव बहुत दुखी हुए और उनकी चिंता होने लगी। रास्ते में उन्हें एक तालाब दिखाई दिया जिसके पास दो खर यानी गधे खड़े थे। भगवान सूर्यनारायण ने प्यास से व्याकुल अपने घोड़ों को राहत देने के लिए उन्हें खोल कर दो गधों को अपने रथ में बाँध लिया। लेकिन खरों के चलने की गति धीमी होने के कारण रथ की गति भी धीमी हो गई। फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा हो गया।
उधर तब तक घोड़ों को काफी आराम मिल चुका था। इस तरह यह क्रम चलता रहता है। इसी वजह से इस महीने का नाम खर मास रखा गया। इस प्रकार पूरे पौष मास में खर अपनी धीमी गति से भ्रमण करते हैं और इस माह में सूर्य की तीव्रता बहुत कमजोर हो जाती है, पौष के पूरे महीने में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में सूर्य का प्रभाव कमजोर हो जाता है।चूंकि सनातन धर्म में सूर्य को महत्वपूर्ण कारक ग्रह माना जाता है, ऐसे में सूर्य की कमजोर स्थिति को अशुभ माना जाता है इस कारण खरमास में किसी भी तरह के मांगलिक कार्यों पर रोक लगा दी जाती है।
खरमास के नियम
धार्मिक मान्यता के अनुसार खरमास के महीने में पूजा-पाठ,तीर्थ यात्रा, मंत्र जाप, भागवत गीता, रामायण पाठ और विष्णु भगवान की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। खरमास के दौरान दान, पुण्य, जप, और भगवान का ध्यान लगाने से जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। इस मास में भगवान शिव की आराधना करने से कष्टों का निवारण होता है। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत होकर तांबे के लोटे में जल, रोली या लाल चंदन, शहद लाल पुष्प डालकर सूर्यदेव को अर्घ्य दें। इस महीने में सूर्यदेव को अर्घ्य देना बहुत फलदाई है।
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