कोरोना के बाद किसान बेहाल , बरसात ने और डाला मुश्किल में

किसानों की परेशानियों का सबब नहीं रहा है .. पिछले साल से चल रहे किसीन आंदोलन के बीच किसान को कोरोना की मार झेलनी पड़ी , लॉकडाउन ने किसानों की कमर चोड़ दी. जा जाने कितने किसानों ने फसलों का उचित मूल्य ना मिल पाने के कारण अपनी ही फसलों को बर्बाद कर दिया , अब ये भी कम नहीं था कि बारिश और ओला ने किसानों के सामने एक ओर मुसीबत लाकर खड़ी कर दी है . हिमाचल प्रदेश में बारिश और बर्फबारी ने करीब 6.5 लाख बागवानों की कमर तोड़ दी है. बागवानों को 254.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. अकेले अप्रैल और मई में ही बागवानी फसलों को 26 करोड़ रुपये की चपत लगी है. हालांकि, इसमें अभी प्रदेश के जनजातीय जिला लाहौल स्पीति, किन्नौर और चंबा में हुए नुकसान का आंकड़ा भी जुड़ना है. जल्द ही इन तीनों जिलों की रिपोर्ट भी आ जाएगी, जिसके बाद विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपी जाएगी.

अभी तक की रिपोर्ट में राज्य में प्राकृतिक आपदा से कुल 27171.76 मीट्रिक टन फलों को नुकसान का उल्लेख किया गया है. इसके अलावा 17102.964 हेक्टेयर क्षेत्र 33 फीसदी से कम जबकि 8136.95 हेक्टेयर क्षेत्र 33 फीसदी से ज्यादा प्रभावित बताया गया है.बागवानी निदेशक जेपी शर्मा ने बताया कि तीन जिलों से नुकसान की रिपोर्ट आना बाकी है. उन्होंने बताया कि शीघ्र ही सरकार को विस्तृत रिपोर्ट सौंपी जाएगी.

इसके अलावा कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में लोगों के संक्रमित होने के मद्देनजर लॉकडाउन होने के कारण कई वर्गों को तो वर्तमान में नुकसान करना पड़ रहा है, मगर किसानों को भी कुछ माह बाद नुकसान का सामना करना पड़ेगा. दरअसल, मार्केट बंद होने के कारण उन्हें गोभी एवं धान की पौध तैयार करने के लिए उच्च कोटी का बीज नहीं मिल सका. इसके अलावा उन्हें गोभी की अगेती फसल के लिए पौध की रोपाई के लिए भी मजदूरों की कमी का सामना करना पड़ रहा है.लिहाजा, इस साल उनकी आय पर प्रभाव पड़ने की आशंका हो गई है.

 

 

 

 

 

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