इजरायल से आया कृषि सुधार, भारत में फल-सब्जी उत्पादन की बढ़त

इजरायली कृषि तकनीकों ने भारत में फल और सब्जियों के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की है। इज़राइल और भारत के बीच कृषि क्षेत्र में सहयोग 2006 से जारी है, जब दोनों देशों ने कृषि में द्विपक्षीय साझेदारी स्थापित की थी। इस साझेदारी के तहत, भारत में विभिन्न राज्यों में 'कृषि उत्कृष्टता केंद्र' (CoEs) स्थापित किए गए हैं, जो इजरायली तकनीकों का प्रशिक्षण और प्रसार करते हैं।
उत्पादन में वृद्धि के आंकड़े
हरियाणा: ग़रौंदा में स्थित Indo-Israel Centre of Excellence में इजरायली तकनीकों के उपयोग से टमाटर, खीरा और शिमला मिर्च की पैदावार में 2010 से 2024 तक 37% की वृद्धि हुई है।
तमिलनाडु: रेड्डीयारचत्रम में स्थित Centre of Excellence में पॉली ग्रीनहाउस तकनीक के माध्यम से टमाटर की पैदावार में लगभग चार गुना वृद्धि हुई है।
उत्तर प्रदेश: मिर्जापुर, बुंदेलखंड और बाराबंकी में स्थापित CoEs में ड्रैगन फ्रूट, खजूर और सिट्रस फलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है।
इजरायली तकनीकों की प्रमुख विशेषताएँ
ड्रिप इरिगेशन और फर्टिगेशन: पानी और उर्वरकों का कुशल उपयोग, जिससे जल उपयोग में 65% तक की कमी आई है।
प्लग-सीडलिंग तकनीक: छोटे, तैयार पौधों का उपयोग, जिससे पैदावार में 5 से 10 गुना वृद्धि हुई है।
नेट-हाउस और पॉली-हाउस खेती: कृषि के मौसम को नियंत्रित करने के लिए, जिससे विभिन्न फसलों की खेती संभव हुई है।
नवीन किस्मों का विकास: चैरी टमाटर और रंगीन शिमला मिर्च जैसी नई किस्मों का परिचय, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हुई है।
इजरायली तकनीकों के माध्यम से भारतीय किसानों ने न केवल उत्पादन में वृद्धि की है, बल्कि जल और संसाधनों का कुशल उपयोग भी सुनिश्चित किया है। इन तकनीकों के माध्यम से, भारत में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति की शुरुआत हुई है, जो किसानों की आय में वृद्धि और कृषि क्षेत्र की स्थिरता की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
No Previous Comments found.