कोरोना कर्फ्यू का सितम अब किसानों के सर , किसान खुद फसल नष्ट करने को मजबूर

कोरोना का कहर इंसानों पर बरस रहा है , आम आदमी जान बचाने की जद्दोजहत तो कर ही रहा है अब खेतों में काम करने वाले किसानों के सर नई आफत आ गयी है । कोरोना कर्फ्यू से जहाँ एक तरफ कोरोना के नए मामले कम हो रहे हैं ,वही दूसरी तरफ किसानों की फसलों को बचाने वाला कोई नही है। कहीं फसल को उचित दाम नही मिल रहा है तो कहीं फसल खेतों में लगे लगे खराब हो रही है तो कहीं किसान खुद अपनी फसल नष्ट करने पर मजबूर हैं। कोरोना कर्फ्यू में टमाटर की फसल का किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल पा रहा है। जिससे खेतों में टमाटर सड़ने लगा है। मंडियों में भी टमाटर की अधिक उपलब्धता होने से उठान नहीं हो रहा है। शामली मंडी में टमाटर की 23 किलो की कैरेट 30 रुपये में बिक रही है। कम कीमत होने के कारण फुटकर विक्रेता टमाटर का उठान नहीं कर रहा । कई जगह राजकीय फल संरक्षण केंद्र के प्रभारियों ने जिलों के किसानों को बताया कि टमाटर का कम मूल्य मिल जाने के बाद किसान खाद्य प्रसंस्करण विभाग से संपर्क करके अपने घर पर रहकर ही टमाटर से प्यूरी, सॉस और चटनी आदि खाद्य पदार्थ बना सकते हैं। इसी के साथ कोरोना कर्फ्यू में खेतों में ही फूलों की महक खत्म हो चुकी है। खेतों में महकते फूल किसी काम के नहीं रह गए हैं। कोरोना कर्फ्यू के कारण दिल्ली की आजादपुर मंडी बंद पड़ी है। ऐसे हालातों में फूल खेतों में ही सूखने लगे हैं। फूलों की खेती करने वाले किसानों को लागत भी नहीं मिलेगी। फूलों की खेती करने वाले किसान भी बर्बादी की मार झेल रहे हैं। पिछले साल लॉकडाउन लगने पर खेतों में ही फूलों की खेती बर्बाद हो गई थी। इस बार फिर से कोरोना कर्फ्यू लगने से फूलों की खेती करने वाले किसान बर्बादी के कगार पर पहुंच चुका है।

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