इस बार प्याज की खेती किसानों के सारे गम मिटा सकती है
हमारे देश के किसान पिछले काफी महिनों से बहुत परेशान चल रहे थे चाहे वो आंदोलन को लेकर हो या फिर कम खरीदी या फसल बर्बादी को लेकर हों . लेकिन किसानों की चिंता कम होने का नाम नहीं ले रही थी . लेकिन अब किसानों के लिए एक खुशी की खबर सामने आई है .इस बार किसानों को प्याज की खेती से बहुत फायदा हो सकता है .या यूं कहे कि प्याज की खेती इस बार किसानों के लिए वरदान साबित हो सकती है. जीं हां पूर्वांचल के किसानों ने अगर रुचि दिखाई तो इस क्षेत्र को प्याज की महंगाई से तो निजात मिलेगा ही, किसानों की आय में भी वृद्धि होगी. साथ ही गन्ने में लगने वाले पिहिका रोग से भी निजात मिलेगी, जिससे गन्ने की औसत उपज भी बढ़ जाएगी. यह सब कुछ संभव हो जाएगा, केवल गन्ने के साथ प्याज की बोआई से. किसानों को इसके लिए न तो अतिरिक्त खेत की जरूरत होगी और न ही अतिरिक्त संसाधन की. बोआई का तरीका भी कठिन नहीं है. यानी कि अगर नई तकनीक का प्रयोद किया जाए तो प्याज की खेती से किसान अपना आय दोगुनी कर सकते हैं और यहां तक की अपनी खुशी भी दोगुनी कर सकते हैं .
शरदकालीन गन्ना की बोआई नवंबर में होती है. आमतौर पर इस गन्ने की पेड़ी की सिंचाई व गुड़ाई का काम जनवरी के अंत में शुरू होता है.यही समय प्याज की बोआई का होता है. गन्ने की दो क्यारियों के बीच की खाली जगह में प्याज की बोआई कर देने से खेत में खर पतवार कम होंगे. अप्रैल में जब गन्ने के पौधों पर मिट्टी चढ़ाने का वक्त होता है, उस वक्त प्याज निकाली जाती है. लिहाजा यही मिट्टी पौधे की जड़ पर चढ़ाने के काम आ जाएगी. इससे एक ही मजदूरी में किसानों का दो काम हो जाएगा.
- प्रति एकड़ साढ़े चार किलो बीज की होगी जरूरत
- गन्ने के साथ प्याज की बोआई के लिए प्रति एकड़ साढ़े चार किलो बीज की जरूरत पड़ेगी
- गन्ने के साथ प्याज की बोआई करने पर प्रति एकड़ 60 से 70 क्विंटल उपज होती है
- फसल तैयार होने में 135 से 145 दिन तक लगते हैं
- बाजार में डिमांड होने के चलते फसल तत्काल बिक जाएगी, जिससे किसानों को फायदा मिलेगा
- अंतिम जुताई के समय खेत में गोबर की खाद को अच्छी प्रकार से मिला दें.
- बोआई से पहले खेत में 75 किलोग्राम एनपीएस तथा 30 किग्रा पोटाश मिलाएं.
- नर्सरी में तैयार प्याज के पौधों को जनवरी के दूसरे सप्ताह से फरवरी के प्रथम सप्ताह तक रोपाई करें
- दो पौधों के बीच में 10 सेमी की दूरी रखें, रोपाई के 30 से 45 दिन पर गुड़ाई कर खर पतवार निकाल दें, समय-समय पर हल्की सिंचाई करें.
प्याज में कुछ विशेष प्रकार के एंजाइम पाए जाते हैं जिनकी वजह से प्याज काटते समय आंख से आंसू निकलने लगते हैं. एंजाइम की गंध से गन्ने में लगने वाले पिहिका रोग के जिम्मेदार कारकों पर भी नियंत्रण मिलता है. इसलिए जिस खेत में गन्ना के साथ प्याज की बोआई होती है, उसमें कीटनाशकों का कम प्रयोग करना पड़ता है.
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