बेखौफ चल रहा है जिस्म फरोसी का धंधा.... होटल मे लगती नाबालिग लड़कियों की बोली

कुशीनगर। जिले मे पुलिस की सांठगांठ से बेखौफ जिस्मफरोशी का कारोबार चल रहा है। होटल व ढावा इस अवैध कारोबार के सूत्रधार है। इस धंधे मे ग्राहक की डिमांड पर होटल मालिकों द्वारा आसपास जिलो के अलावा राज्यों की काॅलगर्लो को बुलाया जाता है। मजे की बात यह है कि गंदा है पर धंधा है कि तर्ज पर चलने वाला यह अवैध कारोबार पुरी तरह पुलिस की जानकारी मे संचालित हो रहा है। होटल और ढाबा मालिको का हौसला बुलंद है। इन धंधेबाजो को न तो पुलिसिया कार्रवाई का खौफ है और न सामाजिक हनन की चिंता। तभी तो इस धंधे मे लिप्त धंधेबाज बडी ही निर्लजता से कहते है साहब " गंदा है पर धंधा है। काबिलेगोर है कि राष्ट्रीय राजमार्ग-28 के किनारे बसा कुशीनगर व कसया क्षेत्र में दर्जनों की संख्या में छोटे बड़े होटल, ढाबा और रेस्टोरेंट संचालित होता है जहां पुलिस संरक्षण मे बेखौफ जिस्मफरोशी का धंधा तो चलता ही है नाबालिग बच्चियों की बोली भी लगती है और यह सब कुछ यहा के होटल व ढाबा मालिको द्वारा किया जाता है। कहना न होगा कि होटल, ढाबा व रेस्टोरेंटो मे चल रहे इस कारोबार को समय समय पर पूर्व में यहा के पुलिस प्रशासन द्वारा छापेमारी कर जिश्मफरोसी के अवैध धंधे का पर्दाफाश किया जाता रहा है। जानकार बताते है कि समय समय पर इन होटलो व ढाबो पर छापेमारी करना पुलिस प्रशासन के कार्यवाही का सुनियोजित हिस्सा होता है। ताकि खाकी और धंधेबाजो का याराना चहुओर चर्चा का विषय न बने। यही वजह है कि इन होटल और ढाबो पर जब पुलिसिया कार्रवाई का डण्डा चलता है तो दो-चार दिन तक हडकंप मचा रहता है फिर उसके बाद क्या गंदा है पर धंधा के तर्ज पर नाबालिग लड़कियों के बोली के साथ जिस्मफरोशी का धंधा ऐसे शुरू हो जाता है जैसे कभी बंद ही न हुआ हो। यही कारण है कि होटल व्यवसाय की आड़ में देह व्यापार का सिलसिला रुकने के बजाय दिनों दिन बढ़ता ही जा रहा है। होटल व्यवसाय से जुड़े जानकर बताते है कि राष्ट्रीय राज मार्ग 28 पर जनपद की सीमा से लेकर बिहार बार्डर तक दर्जनों होटलों व ढाबों पर मल्टीपर्पज तरीके से जिस्मफरोशी का कारोबार चल रहा है। रात के अंधेरे की बात कौन करे यहाँ दिन के उजाले में ही लडकियो के जिस्म की बोली लगती है। इसके अलावा देर रात में पेशेवर महिलाएं व युवतियों के आने का सिलसिला शुरू होता है। पूरी रात यह धंधा चलता रहता है और सुबह होते ही पेशेवर महिलाए व युवतियां अपने घरों को वापस चली जाती हैं। जिनके ग्राहकों में ट्रक ड्राइवर, रात में घूमने वाले खाते पीते घरों के युवा व अधेड़ भी शामिल हैं। इसमें काफी मोटी एकम ली व दी जाती है। और इसमें शामिल लोगों को उनका हिस्सा पूरी ईमानदारी से मिल जाता है। इस काम मे होटलों व ढाबों के मालिक, पेशेवर महिलाएं हैं जो पैसे, शान शौकत के लिए गरीब घर की लड़कियों को इस धंधे में धकेलती हैं। ???? *दुसरे जनपद व अन्य राज्यों से बुलाई जाती है कम उम्र की लड़कियां* होटल व ढाबा व्यवसाय से जुड़े जानकर बताते है कि ग्राहकों के डिमांड के अनुरूप लड़कियां मंगाई जाती है। ग्राहकों का सबसे ज्यादा डिमांड कम उम्र की पढ़ने वाली लड़कियों का रहता है। मंडल के कई जनपद सहित बिहार प्रान्त व नेपाल से कम उम्र की लड़कियां बुलाई जाती है, जो पूरे दिन इन होटलों, ढाबा व स्टोरेंट में रहती है। हर लड़की का एक रेट फिक्स है। इस रेट से अधिक यदि कोई ग्राहक देता है तो वह उन्ही के साथ चली जाती है। कई होटलों में एक ही समय कई ग्राहक मौके पर पहुँच जाते है और जिस्म की बोली लगनी शुरू हो जाती है। इस धंधे का ट्रेंड भी बदल गया है। मोबाइल मैसेज व कोड वर्ड का इस्तेमाल धंधे से जुड़े व ग्राहक भी करते हैं, जैसे छोटी मछली, बड़ी मछली, चलहवा आदि नाम लिए जाते है ताकि किसी को शक न हो। ???? *धंधे में स्थानीय पेशेवर लड़कियों को ज्यादा मिलती है तरजीह* होटलों में जिस्म की खरीद फरोख के धंधे में स्थानीय पेशेवर महिलाओं व लड़कियों को होटल व्यवसायों द्वारा ज्यादा तहजीब दी जाती है। इस एक वजह यह भी है कि ग्राहक के डिमांड पर कम समय के अंदर यह महिलाए व लडकिया होटल में उपलब्ध हो जाती है। जिसका ज्यादा मुनाफा होटल मालिक को मिलता है। इसके साथ ही तहजीब का एक कारण यह भी है कि इनके भेजने का कोई इंतजाम होटल प्रबधन द्वारा नही किया जाता है क्योंकि इन्हें शहर व कस्बे के सड़को, आने जाने वाले वाहन, पुलिस स्टेशन सहित सभी जानकारियां होती है। जिससे यह अपनी सुरक्षा का इंतजाम स्वयं करती है। इतना ही नही इनके द्वारा होटल में आर्थिक तकगी से जूझ रही ग्रामीण अंचल की लड़कियों व महिलाओं को उमीद की किरण दिखाकर सप्लाई किया जाता है। . . . . रिपोर्टर, हरिओम तिवारी

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