जहां कभी तीन नक्सली संगठनों का राज था, आज वहीं विकास की नई उजियारी लिख रही है नई कहानी

लातेहार का बेंदी—जहां कभी तीन नक्सली संगठनों का राज था, आज वहीं विकास की नई उजियारी लिख रही है नई कहानी


लातेहार - जिले का बेंदी पंचायत कभी नक्सलवाद की सबसे भयावह चपेट में था, जहां एक साथ माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी जैसे तीन संगठन राज करते थे।आज उसी पंचायत में सड़क, स्वास्थ्य, पंचायत भवन, पुल और रेलवे जैसी सुविधाएं तेजी से बहाल हो रही हैं। ग्रामीण कह रहे अब डर नहीं, विकास की राह दिख रही है।

लातेहारः कभी नक्सलवाद की विभीषिका से कांपने वाला लातेहार जिला आज विकास की रोशनी में नई दिशा प्राप्त कर रहा है। पिछले दो दशकों तक लातेहार जिले के कई ऐसे ग्रामीण इलाके थे, जहां सरकारी योजनाओं के नाम पर सिर्फ कागज़ पर काम होता था, लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता था। कारण था—नक्सलवाद का गहरा साया। डर और खौफ का ऐसा माहौल था कि कोई सरकारी कर्मचारी इन इलाकों में कदम रखने से पहले कई बार सोचता था।
लेकिन वक्त बदला, हालात बदले, और प्रशासन तथा सुरक्षा बलों की सतत कार्ययोजना के कारण आज वही इलाके विकास की मुख्यधारा से जुड़ने लगे हैं। लातेहार जिले का बेंदी गांव इसी सकारात्मक बदलाव का जीवंत उदाहरण बनकर उभरा है।

माओवादी जेजेएमपी टीएसपीसी नक्सली संगठनों का गढ़ था बेंदी पंचायत

कुछ साल पहले तक बेंदी पंचायत ऐसा क्षेत्र था, जहां एक नहीं बल्कि तीन-तीन नक्सली संगठनों का दबदबा था। माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी का यहां का वर्चस्व इतना मजबूत था कि वे खुलेआम लोगों को धमकाते, सरकारी योजनाओं को रोकते और हिंसक घटनाओं को अंजाम देते थे।
इलाकावासियों के लिए यह रोजमर्रा की हकीकत थी कि कब किस संगठन की बैठक होगी, किसकी मांग पर गांव को बंद कराया जाएगा और किसकी धमकी का पालन करना पड़ेगा।
नक्सलियों के इस त्रिकोणीय प्रभाव के कारण बेंदी पंचायत में विकास का नामोनिशान नहीं था।
न सड़क न स्वास्थ्य सुविधा न शिक्षा न बिजली
न कोई सरकारी सेवा
गांव मानो दूसरे समय का टुकड़ा लगते थे, जहां जिंदगी भय से घिरी हुई थी।


नक्सलवाद कमजोर पड़ा, विकास ने गांव में दस्तक दी

जैसे-जैसे सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होती गई और नक्सलियों पर शिकंजा कसता गया, वैसे-वैसे बेंदी पंचायत में बदलाव आने लगा। प्रशासन ने गांव-गांव में जनसंपर्क कार्यक्रम शुरू किया और धीरे-धीरे सरकारी योजनाएं गांव तक पहुंचने लगीं।

आज बेंदी पंचायत के कई गांवों में विकास साफ दिखाई देता है—विशेषकर बेंदी, लेधपा और चुरिया गांव में।

सड़कें, पुल, स्वास्थ्य केंद्र, पेयजल व्यवस्था, पंचायत भवन—ये सब अब सिर्फ योजना की फाइलों में नहीं, बल्कि जमीन पर वास्तविक रूप में दिखाई देने लगे हैं।

स्थानीय ग्रामीण प्रकाश परहिया, बीरबल सिंह सहित कई लोगों ने बताया कि पहले जिस सड़क पर चलना मुश्किल था, वहां अब वाहन आराम से चल पा रहे हैं। नदी पर पुल बनने से गांव का संपर्क मजबूत हो गया है। रेलवे स्टेशन की व्यवस्था भी पहले की तुलना में अधिक बेहतर व सुचारु हो चुकी है।


स्वास्थ्य सुविधा में बड़ा सुधार — अब गांव में ही मिल रहा इलाज

बेंदी पंचायत के स्वास्थ्य केंद्र की व्यवस्था भी अब पूरी तरह बदल चुकी है।स्वास्थ्य विभाग में एमपीडब्ल्यू के रूप में कार्यरत संजोग कुमार ने बताया
“पंचायत मुख्यालय में वैलनेस सेंटर का संचालन अब बहुत बेहतर तरीके से हो रहा है। नॉर्मल डिलीवरी तक की सुविधा उपलब्ध है। यदि किसी मरीज की हालत गंभीर हो, तो उसे तत्काल सदर अस्पताल भेजने की व्यवस्था भी की गई है।”
कुछ वर्ष पहले जहां बीमार होने पर मरीज को कंधे पर लादकर कई किलोमीटर पैदल ले जाना पड़ता था, वहीं आज स्वास्थ्य सेवा गांव की चौखट तक पहुंच चुकी है। यह बदलाव गांव की जीवनशैली को पूरी तरह बदल रहा है।

 

ग्रामीणों के मुताबिक रात में डर का माहौल कम हो गया है।
ग्रामीणों के जीवन में आया बड़ा परिवर्तन
बच्चों को पढ़ाई के लिए बेहतर माहौल मिल रहा है।
महिलाओं को स्वास्थ्य और सुरक्षा की सुविधाएं बढ़ी हैं।
सरकारी कार्यालय और पंचायत भवन सुचारु रूप से संचालन होने लगे हैं।


कभी लोग पंचायत भवन में कदम रखने से डरते थे, आज वहीं बैठकर सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे हैं।   एसपी कुमार गौरव

 

एसपी कुमार गौरव का स्पष्ट संदेश—नक्सली कभी किसी के हितैषी नहीं
नक्सलवाद को समाप्त करने में लातेहार पुलिस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जिले के एसपी कुमार गौरव ने कहा—

“नक्सली कभी भी ग्रामीणों के हितैषी नहीं हो सकते। उनका मकसद सिर्फ हिंसा फैलाना और विकास के कार्यों को बाधित करना है। मैं ग्रामीणों से अपील करता हूं कि किसी भी परिस्थिति में नक्सलियों का सहयोग न करें।”
उन्होंने साफ कहा कि प्रशासन की प्राथमिकता है कि गांव तक सभी विकास योजनाएं पहुंचे और ग्रामीणों का जीवन बेहतर हो।

विकास की रोशनी से जगमगाता बेंदी—भविष्य की नई कहानी लिख रहा

आज बेंदी पंचायत वह इलाका है, जिसे देखकर यह विश्वास होता है कि यदि इच्छाशक्ति हो तो बदलाव संभव है।
जहां कभी तीन कुख्यात नक्सली संगठन राज करते थे, वही इलाका अब सड़क से जुड़ रहा है
पुल निर्माण से आवाजाही बेहतर हुईस्वास्थ्य केंद्र में इलाज मिल रहा रेलवे स्टेशन सक्रिय हो रहा
पंचायत भवन खुल रहा

ग्रामीण योजनाओं का लाभ ले पा रहे हैं अब


यह सिर्फ विकास की कहानी नहीं, बल्कि डर से आत्मविश्वास की ओर बढ़ते ग्रामीणों की कहानी है। बेंदी पंचायत यह साबित कर रहा है कि जब नक्सलवाद का अंधेरा हटता है, तो विकास की रोशनी सबसे पहले गांव में ही चमकती है।

बेंदी पंचायत का पुनर्जीवन लातेहार जिले के लिए महत्वपूर्ण संकेत है। प्रशासन, सुरक्षा बलों और ग्रामीणों के सामूहिक प्रयास ने असंभव को संभव बना दिया है। आने वाले वर्षों में यह पंचायत विकास का मॉडल बनकर उभर सकता है—जहां पहले गोली चलती थी, आज वहीं विकास की आवाज गूंज रही है।

यह कहानी सिर्फ बेंदी की नहीं, बल्कि उस भविष्य की है जिसमें नक्सलवाद नहीं, विकास और शांति का राज होगा।

संवाददाता - बब्लू खान 

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