एक रेकी बदल सकती है आपकी लाइफ , जानें कैसे होता है ये चमत्कार

कहते हैं परेशानियां आती हैं तो अपने साथ उसका समाधान भी लेकर आती हैं. मानसिक तनाव , परेशानी, चिंताओं में अब हमारे पास ऐसी बहुत सी थेरेपी हैं जो काफी हद तक आपके अंदर पॉजिटिविटी भर देती है . उन्ही में से एक है रेकी हीलिंग . रेकी एक जापानी शब्द है, इसका शाब्दिक अर्थ सार्वभौमिक ऊर्जा है. इस शब्‍द का उच्‍चारण 'रे' और 'की' से किया जाता है. 'रे' का अर्थ 'सार्वभौमिक' और 'की' का अर्थ 'ऊर्जा है. रेकी एक ऐसी थैरेपीहै जिससे आदमी मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ होता है. इस तकनीक के अनुसार प्रत्येक आदमी के अंदर एक प्राण चक्र होता है और पूरा जीवन इसी पर चलता है. बच्चा जब जन्म लेता है तो उसके अंदर यह शक्ति होती है, लेकिन धीरे-धीरे इस शक्ति को ग्रहण करने की क्षमता कम हो जाती हैं . जब ये पावर कम होने लगती है तब जाकर इंसान को परेशानी का अनुभव होना शुरू हो जाता है . जिसके बाद परेशानियों , तनाव ,और बीमारी को दूर करने के लिए रेकी हीलिंग काम आती है . कभी- कभी इंसान वो सब बाते सोचकर परेशान होने लगता है जो पहले न हुई ना आगे होगीं बस परेशानी का अनुभव होने लगता है . ऐसे में रैकी बहुत हद तक काम आती है . रेकी हीलिंग से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है. रेकी हीलिंग से  कई रोगों का इलाज आदमी अपने-आप कर सकता है. इस चिकित्सा पद्धति का विकास उन्नीसवीं शताब्दी में जापान में हुआ था. भारत में यह चिकित्सा पद्धति बीसवी सदी में आयी. शारीरिक एवं भावनात्मक रूप से शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आपके शरीर में इस उर्जा को संतुलित रूप से बंटा रहना चाहिए. किसी भी कारण से इस उर्जा के प्रवाह में बाधा आने से आपका शरीर कई बीमारियों का शिकार होने लगता है. साथ ही व्‍यक्ति के नकारात्मक विचार द्वारा यह शक्ति कम होती है. रेकी हींलिग को कैसे करना है इसके तरीके हर इंसान के हिसाब से अलग – अलग होती है. लेकिन बेसिक प्रोसेस एक जैसा ही होता है .

  • रेकी को शांत माहौल में करना सबसे बेहतर रहता है, हालांकि इसे किसी भी जगह पर किया जा सकता है. प्रक्रिया को शुरु करने के लिए मरीज को लेटने या बैठने को कहा जाता है .अगर मरीज को पसंद हो तो हल्की आवाज में कोई मधुर संगीत भी बजाया जा सकता है.
  • प्रक्रिया के दौरान प्रैक्टिशनर अपने हाथों को हल्के से मरीज के सिर, ललाट, धड़ या बाहों पर रखते हैं और हर 2 से 5 मिनट के भीतर अपने हाथों की आकृति को बदलते रहते हैं. रेकी के दौरान हाथों को मरीज के शरीर पर 20 अलग-अलग जगहों पर रखा जा सकता है.
  • रेकी के प्रैक्टिशनर मरीज के शरीर के किसी विशेष क्षेत्र के ऊपर अपने हाथ रखते हैं या हल्के से त्वचा को छूते हैं, तो ऊर्जा संचारण प्रक्रिया शुरू हो जाती है.
  • इस समय मरीज को प्रैक्टिशनर के हाथ हल्के गर्म लग सकते हैं या उनसे झुनझुनी महसूस हो सकती है. हाथ को एक पॉजिशन में तब तक एक जगह रखा जाता है, जब तक प्रैक्टिशनर को यह ना लगे कि ऊर्जा संचारित होना बंद हो गई है.
  • जब प्रैक्टिशनर को ऐसा महसूस होता है कि उनके हाथों में ऊर्जा या गर्मी कम हो गई है, तो वे अपने हाथों को शरीर के किसी दूसरे क्षेत्र पर लगा लेते हैं

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