जगत जननी माँ दुर्गा के नौ रूप

जगत जननी मॉ दुर्गा के नौ रूप हैं। माँ दुर्गा  इस सृष्टि की आदि शक्ति हैं। पितामह ब्रह्म, भगवान विष्णु, भोले शिव उन्हीं की शक्ति से सृष्टि की उत्पत्ति, पालन पोषण व संहार करते हैं। अन्य देवता भी उन्ही की शक्ति से शक्तिमान हो कर सारे कार्य करते हैं।

मॉ भगवती के प्रगटीकरण पर नगर के पंडित अजीत द्विवेदी बताते हैं कि पुराणों के अनुसार असुरों के अत्याचार से तंग आकर देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से सुना कि दैत्यराज को यह वरदान प्राप्त है कि उनकी मृत्यु किसी कुंवारी कन्या से होगी। तो सब देवताओं ने अपने सम्मलित तेज से देवी के इन रूपों को प्रगट किया। विभिन्न देवताओं के देह से निकले हुए तेज से ही देवी के विभिन्न अंग बने। उन्होंने बताया कि शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान भोले शिव ने उस महाशक्ति को अपना त्रिशूल दिया, लक्ष्मी जी ने कमल, विष्णु ने चक्र, अग्नि ने शक्ति व वाणो से भरा तरकश, प्रजापति ने स्फटिक व मर्णियो की माला, वरूण ने दिव्य शंख, वीर हनुमान जी महाराज ने गदा, शेषनाग ने मर्णियो से सुशोभित नाग, इन्द्र ने ब्रज, भगवान श्री राम ने धनुष, ब्रम्हा जी ने चारों वेद व हिमालय पर्वत ने सवारी के लिये सिंह प्रदान किया। पंडित अजीत द्विवेदी बताते हैं कि नवरात्र में मॉ भगवती दुर्गा का पूजन एवं व्रत विशेष फलदायी है।

रिपोर्टर : संदीप जायसवाल

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