चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 37 वी ई संगोष्ठी सम्पन्न
मध्यप्रदेश /भोपाल : जेजे एक्ट में बुनियादी बदलाब समय की मांग:शताब्दी पांडे
सरकारी योजनाएं आकाशीय नही धरातलीय हो:वर्णिका शर्मा
चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 37 वी ई संगोष्ठी सम्पन्न
छत्तीसगढ़ राज्य बाल सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष श्रीमती शताब्दी पांडे ने कहा है कि जेजे एक्ट में कुछ बुनियादी बदलाव की आवश्यकता है। क्षेत्र विशेष की आवश्यकताओं औऱ परिस्थितियों के अनुरूप एकीकृत बाल सरंक्षण स्कीम को डिजाइन किया जाना चाहिए क्योंकि देश भर में इस स्कीम को महिला बाल विकास या समाज कल्याण महकमों के अधीन करके रखा गया है।इस स्थिति में जेजे एक्ट की मूल भावना और उद्देश्यों के अनुरूप काम नही हो पा रहा है।श्रीमती पांडे ने आज चाईल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 37 वी ई संगोष्ठी को संबोधित करते हुए बाल सरंक्षण का पृथक संचालनालय बनाये जाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि आईसीपीएस में भर्ती किये किये जाने वाले सरकारी कार्मिकों को मिशन मोड़ पर काम करने की आवश्यकता है क्योंकि बाल सरंक्षण विशुद्ध सरकारी मानसिकता वाली कार्य संस्कृति से संभव नही है इसलिए तत्काल स्थानीय परिवेश केंद्रित दक्षता संवर्धन कार्यक्रम भी अमल में लाये जाने चाहिये।उन्होंने कहा कि पिछले कुछ समय से सरकारों का जोर पश्चिमी अवधारणाओं पर अधिक आश्रित है जिसके चलते मैदानी स्तर पर जेजे एक्ट की प्रस्तावना के मुताबिक वांछित परिणाम समाज में नजर नही आ रहे है इसके लिए हमें नीतिगत स्तर पर भारतीय समाज रचना को केंद्र बनाकर नीतियां बनानी होंगी।श्रीमती पांडे ने कहा कि बच्चों के शिक्षण औऱ सरंक्षण के समानांतर समाज में 'बेहतर अभिभावक' निर्माण की भारतीय अवधारणा पर भी काम करना होगा क्योंकि मूल संस्कृति संस्कारवान सन्तति की वकालत करती है
इसलिए जबाबदेह एवं संस्कारित अभिभावक निर्माण पर ध्यान देना भी आवश्यक है।श्रीमती पांडे ने जनजातीय क्षेत्रों में बालकों की तस्करी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि भयंकर गरीबी और वस्तु विनिमय आर्थिकी के कारण इन क्षेत्रों में जनजातीय अभिभावक धन के प्रति लालच को नही रोक पाते है इसका फायदा मानव तस्करी में लगे गिरोह उठा रहे है।छतीसगढ़ का जसपुर औऱ बस्तर का इलाका इस समय बाल तस्करी का नया केंद्र बन गया है यहां से हजारों की संख्या में बालकों को तस्करी कर दक्षिणी राज्यों में ले जाया जा रहा है।इन राज्यों में बहुत ही अमानवीय परिस्थितियों में इन्हें रखा जाता है।जनजातीय स्वभाव का फायदा उठाने वाले इन तत्वों के विरुद्ध कानून सम्मत कारवाई के अतिरिक्त मैदानी स्तर पर योजनाओं के अभिसरण पर प्रमाणिकता से काम किये जाने की आवश्यकता है।
ट्राइबल स्टडी सेंटर की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ वर्णिका शर्मा ने भी इस संगोष्ठी को संबोधित किया।श्रीमती शर्मा ने बताया कि जनजातीय जीवन बहुत ही विविधताओं एवं जटिलताओं से भरा रहता है इसलिए इनसे जुड़े हुए मसलों को सामान्यीकरण के साथ क्रियान्वित नही किया जा सकता है।उन्होंने बताया कि जनजातीय जीवन को माओवादियों ने बड़ी गहराई से प्रभावित किया है उनके अंदर शिक्षा और जागरूकता को नियोजित ढंग से अवरुद्ध कर रखा है।उन्होंने बताया कि भरिया,भील,बैगा,मारिया,मुड़वा जनजाति बच्चों की मूल प्रवर्ती बहुत ही सशक्त होती है यानी वे एक जन्मजात प्रतिभा के साथ पैदा होते है लेकिन माओवादियों ने एक भय और भृम खड़ा कर दिया है कि पढ़ने के बाद भी बच्चों को खेती मजदूरी ही करनी पड़ेगी इसलिए वे व्यवस्था के विरुद्ध खड़े हो।इस भ्रामक प्रचार ने इस समाज को गहरे से पकड़ रखा है।श्रीमती शर्मा ने अपने मैदानी अध्ययन के आधार पर बताया कि जनजातीय बच्चे संकल्पशील होते है और उनमें सीखने की क्षमताएं अन्य वर्गों की तरह ही होती है लेकिन माओवाद ने उन्हें एक तरह के भावनात्मकता कुप्रभाव में लेकर पैन पैंसिल औऱ ब्लेकबोर्ड से दूर कर रखा है।उन्होंने कहा कि इस समस्या को पृथक 'भू स्थातिक समाधान' के माध्यम से ही निराकृत किया जा सकता है।
श्रीमती शर्मा के अनुसार बस्तर,नारायणपुर जैसे सुदूर वनांचल के जनजातीय बच्चों में स्वामी विवेकानंद औऱ महात्मा गांधी को लेकर गजब का आकर्षण है लेकिन वे इस आकर्षण को आगे निरन्तरता नही दे पा रहे है इसलिए सरकारी शिक्षण ढांचे को स्थानीय परिवेश में ढालकर काम कराए जाने की आवश्यकता है।उन्होंने बताया कि आज भी इन इलाकों में पदस्थापना को कार्मिक वर्ग सजा मानकर चलता है और जब तक यह मनोविज्ञान नही बदला जाता तब तक वांछित परिवर्तन संभव नही है।श्रीमती वर्णिका ने स्पष्ट कहा कि जनजातीय बच्चों के व्यवहारिक कौशल को उभारने की नीति पर मिशन मोड़ वाले सरकारी तंत्र की आज आवश्यकता है।सरकार की योजनाएं आकाशीय नही धरातलीय होंगी तभी देश की जनजातीय प्रतिभा देश की मुख्यधारा में अपना अपेक्षित योगदान सुनिश्चित कर सकेगी। ई संगोष्ठी को चाईल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र ने संबोधित करते हुए कहाकि फाउंडेशन इस डिजिटल नवाचार के माध्यम से आये सभी सुझावों का दस्तावेजीकरण कर सरकार को प्रेषित करेगा।
फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने इस 37 वी ई संगोष्ठी का सफल संचालन करते हुए बताया कि सीसीएफ़ आईसीपीएस में व्यवहारिक बदलाब से जुड़े पक्षों पर सुझाव के लिए काम कर रहा है। अतिथियों का धन्यवाद उज्जैन बाल कल्याण समिति के अध्यक्ष लोकेंद्र शर्मा ने व्यक्त किया। संगोष्ठी में मप्र,छत्तीसगढ़,हरियाणा,बिहार,बंगाल,असम,उत्तराखंड,यूपी,दिल्ली,झारखंड के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।यह पुरी जानकारी हमारे संवाददाता चंद्रकांत सी पूजारी ने पुछा झाबुआ बालकल्याण समिति अध्यक्ष श्रीमती निवेदिता मुकुल सक्सेना जी को तब कुछ ईस तरह बताई यह जानकारी
रिपोटर चंद्रकांत सी पूजारी
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