नाकाम प्रशासन बेखौफ रेत माफिया

 

मुंगावली - मध्यप्रदेश शासन के मुखिया शिवराज सिंह चौहान द्वारा माफियाओं को मध्यप्रदेश छोड़ने की सलाह देने के बावजूद भी उसके अपने पीएचई राज्यमंत्री  बृजेन्द्र सिंह यादव के अशोकनगर जिले में रेत माफिया इतने ताकतवर है कि प्रशासन भी उनके सामने नतमस्तक है अशोकनगर जिले की मुंगावली तहसील में बेतवा नदी केथन नदी पर अवैध रेत उत्खनन जोरों पर चल रहा है बेतवा नदी पर मल्हारगढ़ निसई घाट क्षेत्र में होने वाले अवैध उत्खनन को क्षेत्र में लोग रेत माफियाओं के गढ़ के नाम से जानने लगे है

अवैध रूप से चल रहे इस रेत कारोबार से शासन को करोड़ों रुपए की राजस्व की हानि तो हो ही रही है साथ ही रेत माफियाओं को इस अवैध उत्खनन के कारोबार से करोड़ों रुपए का लाभ भी हो रहा है जो कहीं ना कहीं सत्ता, प्रशासन की मिलीभगत की ओर इशारा करता है खनिज विभाग, जिला प्रशासन को भी इस बात की पूर्ण जानकारी है मुंगावली बहादुरपुर क्षेत्र में करोड़ों रुपए की रेत का अवैध उत्खनन होकर प्रतिवर्ष करोड़ों रुपए का व्यवसाय होता है फिर भी जिला प्रशासन द्वारा इन माफियाओं पर कार्रवाई नहीं की जाती।

काली रेत की काली कमाई का गणित क्षेत्र में निकलने वाली काली रेत बाजार में 4000 से 4500 रुपये प्रति ट्राली बिकती है वही खदान पर 2500 से 3000 प्रति ट्राली तक में मिलती है जबकि नदी से रेत निकालने में 800 से ₹1000 तक खर्चा आता है इसके बाद यदि प्रशासन को रायल्टी ना देना पड़े तो बाकी की राशि इन अवैध खनन कर्ताओं को बचत के रूप में प्राप्त होती है जो अवैध उत्खनन को बढ़ावा देती है एक खदान से प्रतिदिन 100 से 150 ट्राली रेत निकाली जाती है जिसका सीधा सा गणित है कि अवैध उत्खनन कर्ता को प्रतिदिन 1 लाख से 2 लाख प्रति दिन, महीने में 30 लाख से 40 लाख प्रति माह सारे अवैध खर्चे काटकर बच जाते हैं जो सत्ता और प्रशासन के गठबंधन को अवैध खनन को बढ़ावा देने के लिए पर्याप्त है।

कुछ समय पूर्व प्रशासन द्वारा अवैध उत्खनन पर कार्रवाई भी की गई थी जिसमें मौके पर पहुंचकर प्रशासन द्वारा 3 वोटों को मौके पर ही आग के हवाले भी किया गया था इसके बावजूद भी रेत माफिया एक बार फिर से सक्रिय हो गए हैं और खुलेआम इस अवैध रेत उत्खनन का कारोबार कर रहे हैं जिला प्रशासन द्वारा बाकायदा अवैध उत्खनन पर रोक लगाने के लिए समिति भी बनाई गई है इसके बावजूद भी प्रशासन अवैध उत्खनन पर रोक लगाने में नाकाम साबित हो रहा है अवैध उत्खनन की निगरानी समिति कागजों तक ही सिमट कर रह गई है

रिपोर्टर : ओमप्रकाश  पंत

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