झोला छाप डॉक्टरों पर कार्यवाही के बिना कोरोना अभियान नही होगा सफल
शाहपुर - इन दिनों कोरोना महामारी में झोलाछाप डॉक्टर गांव में फिर से सक्रिय हो गये है । कुछ महीने पहले झोला छाप डॉक्टर भूमिगत हो गये थे अब यह डॉक्टर फिर से दुकानदारी के मैदान में आ गये है । यह झोला छाप डॉक्टर ग्रामीणों को सरकारी दवाई का सेवन करने का डर बताकर डरा रहे हैं और अपनी दुकानदारी चला रहे हैं । जबकि सरकारी दवाई हर मर्ज में कारगर सिद्ध है । इन झोला छाप डॉक्टरों पर कार्यवाही होना आवश्यक हो गई है । यह लोग गांव गांव में घूमकर ग्रामीणों का इलाज कर रहे हैं ।आज भी देश की अस्सी प्रतिशत जनता गाँवो में निवास कर रही है वही ग्रामीण लोगो के दिमाग मे कोरोना के सरकारी इलाज से डर उत्तपन्न कर रहे हैं जिसके चलते ग्रामीण जन वेक्सिनेशन कराने का रुख नही कर रहे हैं ।तहत तरह की भ्रान्तिया ग्रामीणों के दिमाग मे इन झोला छाप ने भर रखि हैं ।
विदित हो की इन डॉक्टरों के पास शासन से प्राप्त डिग्री नही होती और दवाखाने संचालित करने का रजिस्ट्रेशन नही होता है । यह डॉक्टर बिना डिग्री और रजिस्ट्रेशन के बेख़ौप प्रेक्टिस कर रहे है मरीजो को बाकायदा एलोपैथिक दवाई इंजेक्सन दे रहे है । गांव में आशा कार्यकर्ता एएनएम द्वारा दी गई दवाई की किट खाने से मना करते है । झोलाछाप डॉक्टर के हाथ कई मरीजो के केश बिगड़ चुके है । जिन्होंने अपनी समय रहते अपनी जान बचाई ।
ब्लॉक के दूरस्त ग्रामो में जन स्वास्थ्य रक्षक भी काट रहे चाँदी
समाजसेवी सुरेंद्र यादव निवासी कॉजीतलाब ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा गांव गांव नियुक्त जन स्वास्थ्य रक्षक की कोरोना काल मे नही चूक रहे कमाई करने में । इन लोगो के द्वारा भी एलोपैथिक इलाज किया जा रहा है जिसके एवज में पैसे लिये जा रहे हैं । जबकि जन स्वास्थ्य रक्षक का कार्य सरकारी दवाइयों को मरीजो को देने का है लेकिन मौके का फायदा उठाने वह भी नही चूक रहे ।
ब्लॉक मुख्यालय के ग्राम मेढ़ाखेडा, बीजादेही , फोफल्या , डाबरी , देशावाड़ी , खोकरा , रामपुरमाल , टाँगनामाल , टिमरनी , ढोढरा महू आदि दर्जनों ग्रामो में बिना डिग्री झोलाछाप डॉक्टरों की दुकान मोटरसाइकिल से धड़ल्ले से संचालित हो रही है जिस पर कोई कार्यवाही करने के लिये स्वास्थ्य विभाग मौन बैठा हुआ है । कोरोना बचाव रोकथाम कार्यक्रम एवँ जागरूकता में सबसे बड़े रोड़ा झोला छाप ही बने हुये है ।इन पर कार्यवाही होती है तो कोरोना रोकथाम कार्यक्रम तब ही सफल होगा । यह वही हो जो ग्रामीण जनों के मन मे वेक्सिम के प्रति डर उत्तपन्न कर रहे हैं ।
इन फर्जी डॉक्टरों के पास एलोपैथिक दवाईयो का जखीरा है ये डॉक्टर अपने पास से दवाई मरीजो को देते है और सरकारी दवाई का सेवन करने का परहेज बताते हैं ।
रिपोर्टर : शैलेंद्र गुप्ता
No Previous Comments found.