कब होगी पंचायतों में लगे फर्जी बिलों की जांच

 कब होगी पंचायतों में लगे फर्जी बिलों की जांच, अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत 

गांव का होना था विकास , यहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही हुआ विकास 

फर्म के संचालक खुद ही पंचायत में कर रहे दिहाड़ी मजदूरी 

शाहपुर:- जनपद में हो रहे भ्रष्टाचार के कारनामें रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं, जहां जनपद विकास के नए आयाम स्थापित करने में लगी है, वहीं दूसरी ओर यह चमक वास्तविकता में कितनी है, इसकी जानकारी हैरान करने वाली है, शासन की योजनाओं में पैतरेबाजी करके शासन का पैसा निकाल लिया जाता है इसका उदाहरण शाहपुर जनपद की कई ग्राम पंचायतों में देखने को मिल जायेगा। शासन की जन कल्याणकारी योजनाए और ग्राम विकास मे लाखो रुपए पानी की तरह बहने वाले इन रुपयो मे अब सरपंच , सचिव और जिम्मेदार अधिकारी-कर्मचारियों ने जमकर मलाई खाई है,

इससे प्रक्रिया में जो गांव का विकास होना था, वहां केवल सरपंच-सचिव के साथ फर्जी फर्मों का ही विकास हुआ है। मामला जनपद पंचायत शाहपुर के पहावाड़ी पंचायत का है, जहां कुछ ऐसी फर्मों से सामग्री ली गई जो केवल यहां के लिए ही खुली और केवल पहावाड़ी पंचायत में सामान सप्लाई करके अपने साथ सचिव व सरपंचों का भला कर दिया।

लाखों का लगाया चूना
हर एक विभागो मे कार्य की गुणवत्ता के लिऐ अधिकारी-कर्मचारी नियुक्त किया जाता है, ताकि समय समय पर उस कार्य का निरीक्षण करके अच्छा और गुणवत्ता पूर्ण रूप से सम्पादित कर सके , जिससे भ्रष्टाचार की रोकथाम की जा सके। सूत्रों की माने तो जनपद पंचायत शाहपुर मे पदस्थ अधिकारी कर्मचारी और इंजीनियर सांठगांठ से बने कार्य पर ज्यादा विश्वास रखती है।

जिसका नतीजा पंचायत गुणवत्ता के मामले मे फिसड्डी साबित हो रही है, अनुपयोगी शौचालय, पंचायतो मे लगे फर्जी बिल की भरमार भ्रष्ट होने का सबसे बड़ा सबूत है। सूत्रों की माने तो पंचायत मे भी सब इंजीनियर की सन्लिप्ता मे फर्जी बिल लगाकर शासन को लाखो रूपए का चूना लगाने का काम कर रहे है, पंचायत मे विकासकार्य और सरपंच , सहायक सचिव और सब इंजीनियर के चल अचल सम्पत्ति की सूक्ष्म जाँच होने की आवश्यकता है, जिससे स्पष्ट हो जाऐगा की किस तरह भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है।

पंचायत में की दिहाड़ी मजूदरी

सचिव और सरपंच ने पंचायत में सामान सप्लाई के लिए कई लोगों को अपना हमराह बनाया। जनपद की अधिकांश पंचायतों में बेंडर बनाकर सप्लायर की भूमिका निभा रहे मुकेश वर्मा को पंचायत सचिव द्वारा मजदूर बनाकर 14 फरवरी 2019 को 15 दिवस मजदूरी कार्य के ₹6000 का भुगतान किया गया।सूत्रों की माने तो मैसर्स गणेश राव बारस्कर फर्म का फर्जी तरीके से गठन किया गया और पहावाड़ी सहित कई पंचायतों में कमीशन लेकर बिल देना शुरू कर दिया गया,

सूत्रों की माने तो अगर मैसर्स गणेश राव बारस्कर सहित अनेक फर्म के कारोबारी इतने बड़े व्यापारी हैं तो उन्होंने आज दिनांक तक न बिल में जीएसटी दिखाया और यहां तक की अगर उनकी फर्म पुरानी होती तो वह टिन नंबर वाले बिल जरूर पंचायत में देते, सूत्रों की माने तो इस फर्म का गठन किया गया और पंचायतों से जमकर मलाई लूटी गई। मजे की बात तो यह भी है इस फर्म के संचालक खुद ही पंचायतों में दिहाड़ी मजदूरी का काम भी करते हैं।

कमीशन में बटे बिल

जीएसटी लागू होने से पहले दावे किए जा रहे थे कि, पंचायतों के यह फर्जीवाड़े जीएसटी लागू होने के बाद खत्म हो जाएंगे, लेकिन यह सिर्फ भ्रम साबित हुआ। जीएसटी के बाद यह फर्जीवाड़े बंद नहीं हुए बल्कि सुरक्षात्मक ठगी हो गई है। पंचायत के सरपंच, सचिव व रोजगार सहायकों ने अपने परिचित या परिजनों के नाम से बिना जीएसटी के बिल लगाना शुरू कर दिया है। ऐसी फर्जी फर्में जिनका कोई अस्तित्व नहीं वह पंचायत में मनमाने दामों में सप्लाई कर सरकारी को चूना लगा रहे हैं। सूत्रों की माने में तो पहावाड़ी पंचायत में ऐसे बिल भी लगे हैं, जिसकी पंचायत ने खरीदी नहीं की, सिर्फ कमीशन देकर बिल लगा लिये गये।जागरूकजनों ने कलेक्टर व जिला पंचायत सीईओ से मांग की है कि पंचायतों में हो रहे भ्रष्टाचार की जांच कराकर दोषी फर्म संचालक सहित जिम्मेदार अधिकारियों और कर्मचारियों पर उचित कार्यवाही करें।

इनका कहना है… पंचायत में किसी भी प्रकार के गलत बिल नहीं लगे है, हमारे यहां नियमों के तहत कार्य हुए है।

रिपोर्टर : शैलेन्द्र गुप्ता 

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