बोधेगांव के किसान कर रहे सफलतापूर्ण मशरूम का उत्पादन

फुलंब्री तहसील के बोधेगांव में एक किसान ने पारंपारिक फसलो से हटकर मशरूम उगाने का एक नया सफलतापूर्ण प्रयोग किया हैं. मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. एंटी-ऑक्सीडेंट्स, प्रोटीन, विटामिन डी, सेलेनियम और जिंक से भरपूर मशरूम का इस्तेमाल कई दवाइयां बनाने के लिए किया जाता है. इसमें मौजूद पोषक तत्व आपके शरीर को कई खतरनाक बीमारियों से बचा कर रखते हैं, इसके अलावा इसका सेवन इम्यून सिस्टम को भी मजबूत करता है.

मशरूम उगाने के लिए कडी मेहनत कि जरुरत हैं,इसको सही समय पर ध्यान देना होता हैं.  मशरूम एक प्रकार का फफूंद या कवक एक प्रकार के पौधे हैं जो अपना भोजन सड़े गले म्रृत कार्बनिक पदार्थों से प्राप्त करते हैं, इसे कुकुरमुत्ता,खुम्ब, खुंबी के नाम से भी जाना जाता है, जो दिखने में छाते कि तरह दिखाई देते हैं. यह एक मृतोपजीवी जीव है जो हरित लवक के अभाव के कारण अपना भोजन स्वयं संश्लेषित नहीं कर सकता है.इसका शरीर थैलसनुमा होता है जिसको जड़, तना और पत्ती में नहीं बाँटा जा सकता है. इसका सेवन मानव सेहत के लिए रामबाण माना जाता है. मशरूम खाने में स्वादिष्ट होने के साथ-साथ सेहत के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है. मशरूम में कार्बोहाइड्रेट्स की मात्रा कम होने के कारण यह ब्लड शुगर लेवल को कंट्रोल करने में मददगार होते हैं. सेलिनियम से भरपूर मशरूम इम्यून पॉवर को बढ़ाने के साथ-साथ सर्दी-खांसी और जुकाम जैसी समस्याओं को शरीर से दूर रखते हैं.

मशरूम को तैयार करने का तरीका 

मशरूम उगाने के लिए गेहूं या धान की भूसी की जरूरत होती है. भूसी में कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट का उपयोग किया जाता है फिर इसमें मशरूम का बीज डाला जाता है. एक किलो मशरूम के बीज से

10 किलो भूसे की ग्रो कीट तैयार हो जाती है.

मशरूम का बीज महज 120 रुपए किलो मिलता है. 10 किलो बीज से एक बार में लगभग 10 किलो ड्राय (सूखा) मशरूम प्राप्त होता है यह क्वालिटी अनुसार 500 से 700 रुपए किलो तक बिकता है. एक बार मशरूम को तोड़कर सुखाने के बाद हफ्ते या 10 दिन में ही दूसरी उपज तैयार हो जाती है. इसका उत्पादन 25 से 30 दिन के अंदर शुरू हो जाता है, जो 2 माह तक चलता है. एक किलोग्राम मशरूम को तैयार करने में लगभग 50 रुपए का खर्च आता है. 500 वर्ग फीट के कमरे में लकड़ी के रैक पर रखे 1200 से 1300 मशरूम बैग रखे जा सकते हैं.चूंकि प्रत्येक बैग में 2 किलो मशरूम होता है, इसलिए एक चक्र में 500 वर्ग फीट के कमरे से 2600 किलोग्राम मशरूम का उत्पादन होता है. "किसान साल में पांच बार फसल काट सकते हैं क्योंकि एक फसल लगभग दो से 2.5 महीने में तैयार हो जाती है. "एक बैग में करीब डेढ़ से पौने दो किलो तक मशरूम का उत्पादन होता है. एक बैग पर खाद और बीज सब मिलाकर लगभग 100 रुपये का खर्च आता है. यदि किसी किसान ने 200 बैग लगाए हैं, तो उसकी लागत 20,000 हजार रुपये आएगी इससे औसतन 350 किलो मशरूम का कम से कम एक से डेढ लाख रुपये का उत्पादन होगा"..

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