गर्भपात-जरूरत या दुरुपयोग।

इस धरती पर मनुष्य जीवन का प्रादुर्भाव हुआ है, तब से हमेशा मनुष्य अपना जीवन बेहतर करने के लिए प्रयासरत रहा है ।यह प्रयास अभी निरंतर जारी है। इस बेहतर प्रयास में हमारा साथ विज्ञान दे रहा है।तकनीकी विकास दे रहा है। तकनीकी विकास का प्रयोग एक और जहां मनुष्य जीवन बेहतर बनाने के लिए हो रहा है ,वहीं दूसरी ओर इसका गलत प्रयोग भी धड़ल्ले से होने लग जाता है ,एवं हमारे जीवन में विसंगति आनी शुरू हो जाती है ।इसी विसंगति की तस्वीर आज हमार आंखों के सामने है। हम बात कर रहे हैं ,"गर्भपात "की ।गर्भपात वह प्रक्रिया है जिसमें गर्भ काल के दौरान ही शिशु को जन्म से पहले उसे समाप्त कर दिया जाता है ।विकसित हो रहे भ्रूण को विकसित होने से पहले ही रोक दिया जाता है ।

एक ऐसा था जब शिशु और माता मृत्यु दर बहुत अधिक था, इलाज के बेहतर साधन उपलब्ध नहीं थे। जिस कारण गर्भवती स्त्रियां और नवजात शिशु की मृत्यु दर अधिक थी ।जैसे जैसे समय बढ़ता गया इस क्षेत्र में तकनीकी विकास ने दौड़ लगाई और आज चिकित्सा जगत में इस संबंध में बहुत सारी तकनीकी व्यवस्थाएं उच्च कोटि की आ गई है ।जिस कारण गर्भवती महिला एवं नवजात शिशु की सुरक्षा बढ़ी है लोगों को इलाज कराने में सहूलियत हुई है। इस तकनीकी विकास में एक ओर जहां कुछ अच्छा हुआ है वहीं कुछ बहुत ही बुरा भी हो रहा है। जिसमें गर्भपात एक महत्वपूर्ण विषय है।
गर्भ धारण करना और गर्भपात कराना दोनों सामान्य  बात है, जब महिला की शारीरिक जरूरत हो ।गर्भधारण के दौरान महिला की जान खतरे में हो ,या होने  बच्चा मानसिक व शारीरिक विकलांग के साथ पैदा हो।या कोई बच्ची बलात्कार का शिकार होकर गर्भधारण कर लिया हो। इन सब परिस्थितियों में गर्भपात की यह तकनीक बहुत ही सहायता कारक और उपयोगी है। परंतु इस तकनीक का उपयोग मानसिक जीवन जीने वाले लोग ,अपनी मानसिक भूख मिटाने के लिए करने लगते है।जिसके परिणाम स्वरूप भारत में लड़का लड़की का लिंगानुपात असामान्य हो गया। 2001 के आंकड़ों के अनुसार भारत में प्रति हजार लड़कों  में 913 लड़कियाँ हैं ,जबकी 2001 में यह 925 था। लिगं की पहचान करने वाली तकनीक ने लोगो की मानसिक भूख मिटाने का बहाना मिल गया। प्रत्येक परिवार में पुत्र की इच्छा रखने वाले लोगों की, इच्छा पूरी होने लगी चाहे  1 पुत्र के बदले कई पुत्रियों को गर्भ में ही क्यों ना मारना पड़े। अनैतिकता में लिप्त लोगों के लिए भी यह तकनीक सहायक रहा है लोग गलत संबंधों के प्रति भी निडर हुए हैं ,जिस कारण गर्भपात कराने की संख्या में वृद्धि हुई है। इसी के परिणाम स्वरूप भारत में 56% गर्भपात असुरक्षित तरीके से किया जाता है। भारत में 8 पॉइंट 5% मामले असुरक्षित गर्भपात के कारण होते हैं, प्रतिदिन 10 महिलाएं मृत्यु को प्राप्त होती हैं एवं जिसकी संख्या बढ़कर 13 हो गई है।

भारत में गर्भपात की समस्या समाधान के लिए प्रेगनेंसी एक्ट 1917 लाया गया। एक एक्ट की धारा 2 के तहत गर्भधारण के अंदर गर्भपात की अनुमति दी गई,वो भी विपरीत परिस्थित में ,जब गर्भवती स्त्री को जान का खतरा हो,या होनेवाला शिशु समस्याग्रस्त हो।इस एक्ट में अविवाहित महिला एवं बिधवा महिला का जिक्र नही है।ये महिलाएं बिना पंजीकृत ठगनेवाले लोगो से असुरक्षित गर्भपात करवाती हैं ,या करवाने के लिए मजबूर हैं ।ऐसी दशा में इस कानून में बदलाव की अवश्यकता हैं ,साथ ही कई मामलो में 20सप्ताह के बाद गर्भधारण का पता चलता है,तो यह कानून यहाँ भी विचाणीय हैं।
महिला अधिकार mtp एक्ट अधिनियम में यह अधिकार दिया गया हैं  जिसमें महिलाओ को अधिकार दिया गया है कि, बच्चे को जन्म देना या न देना उनकी स्वेच्छा पर निर्भर करता हैं।पर गर्भपात की अनुमति नही दी गई हैं।एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 10 मिलियन महिलाएं गुपचुप तरीके से गर्भपात कराती हैं।

इस दिशा में ठोस कानून और जागरूक होने की अवश्यकता हैं। हमारे एक मित्र ने गर्भावस्था पर हमें एक पोस्ट भेजा था जिसने मुझे यह लेख लिखने के लिए विवश कर दिया।

गर्भस्थ बच्ची की हत्या का आंखों देखा विवरण अमेरिका में सन 1948 में एक सम्मेलन में हुआ था, नेशनल राइट टू लाइफ कन्वर्सेशन ।इस सम्मेलन में डॉक्टर बर्नार्ड नेथेशन के  द्वारा गर्भस्थ बच्ची की अल्ट्रासाउंड पर बनी शॉर्ट फिल्म (गूंगी चीख )साइलेंट स्कीम दिखाया गया ,इस फिल्म में जो विवरण दिया गया वह इस प्रकार था ,गर्भ में मासूम बच्ची अभी 10 सप्ताह की है, वह काफी चुस्त हैं एवं मां की कोख में खेल रही हैं, कभी अंगूठा चूस हैं , दिखाया गया कि उसकी दिल की धड़कन  भी उस समय साधारण 120 की गति से चल रही थी। सब कुछ बिल्कुल सामान्य था। किंतु जैसे हीश सक्शन पंप  गर्भाशय की दीवार को छुआ, वह मासूम बच्ची डर गई ,एकदम घूमकर सिकुड़ गई ,और उसकी दिल की धड़कन है काफी बढ़ गई। आगे क्या क्या हुआ होगा यह सोचकर मन बिचलित हो गया ।आप भी महसूस कर सकते है कि ,जानबूझकर गर्भपात कराना जघन्य अपराध से कम नहीं है ,और मानवता को सर्मसार करता है ।इसके प्रति हर एक माता पिता को जागरूक होना बहुत जरूरी है। विशेषकर उन लोगों को इस विषय में जानना अधिक जरूरी है जिनकी नई-नई शादी हुई है।इस दिशा में ठोस कानून का होना भी आवश्यक हैं।

रिपोटर : चंद्रकांत  पूजारी

 

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