स्वच्छ एवं विकसित राष्ट्र हेतु स्वच्छता अभियान सबसे पहले भारत की राजनीति में जरूरी?? या सड़कों पर??

स्वच्छ एवं विकसित राष्ट्र हेतु स्वच्छता अभियान सबसे पहले भारत की राजनीति में जरूरी?? या सड़कों पर??

लेखिका सुनीता कुमारी की मन की बात- "स्वच्छ राजनीति" श्रेष्ठ भारत के लिए आवश्यक

भारत  में स्वच्छता अभियान का आरंभ नरेंद्र मोदी जी के द्वारा 2014 में की गया था, भारत को साफ सुथरा  देखना गांधीजी का सपना था। गाँधी जी भारत को साफ और स्वच्छ देखना चाहते थे ।लेकिन शायद गांधीजी को जरा भी आभास  ना हुआ होगा कि, भविष्य में भारत को सिर्फ साफ सफाई वाली स्वच्छता अभियान के साथ-साथ ,राजनीतिक स्वच्छता, सामाजिक स्वच्छता ,सांस्कृतिक स्वच्छता ,धार्मिक स्वच्छता , मानसिक स्वच्छता इन सब स्वच्छता अभियान की आवश्यकता भारत को होगी ।अगर उन्हें आज की परिस्थित का आभास  हुआ होता तो ,उपर्युक्त सारे स्वच्छता  अभियान का गाँधी जी  सपना जरूर देखते ।
क्योंकि, 2014 के स्वच्छता अभियान में नेताओ एवं सरकार के आदेशानुसार विभिन्न संस्थानों के लोगो ने  झाड़ू लगाते हुए मात्र फोटोशूट किया। जिसे सोशल मीडिया पर लगा  कर सब ने वाहवाही बटोरी। लेकिन स्वच्छ भारत अभियान का उद्देश्य इससे बिल्कुल भी पुरा नही  हुआ ।वक्त के साथ यह अभियान ठंडे बक्से  में चला गया। किसी ने भी स्वच्छ रहने की एवं भारत को स्वच्छ रखने की जिम्मेदारी उठाने की जहमत नहीं की ।यह अभियान मात्र अभियान नाम भर ही सीमित रहा। आज स्थिति जस की तस है।

आजादी के बाद भारत की राजनीति में जो विसंगती ,विकृति देखने के लिए मिलती आ रही है ,उसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी राजनीतिक स्वच्छता अभियान की हैं।राजनीतिक स्वच्छता से भी ज्यादा जरूरी हमारी मानसिक स्वच्छता है ।भारत स्वच्छ एवं विकसित राष्ट्र की श्रेणी  में तभी आ सकता है ,जब भारत की राजनीति स्वच्छ होगी।जिसकी कल्पना, अनेकों स्वतंत्रता सेनानियों ने देखा है,महापुरूषो ने देखा है,जिन्होंने देश की आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया। देश के लिए अपना तन मन जीवन अर्पण कर दिया। उनका यह सपना तभी पूरा हो सकता है जब भारत की  राजनीति में भी  राजनीति स्वच्छता अभियान चलाया जाएगा,ताकि राजनीति से वैसे नेताओं को बाहर निकाला जा सके जो मात्र सत्ता में बने रहने के लिए और अपनी तिजोरियां भरने के लिए सता के सिंहासन पर बैठकर उल्टे सीधे काम करना पाप कर्म करना बड़ी बड़ी गांधीछाप लेकर गलत लोगोंको बचाना राजनीति में सता के सिंहासन पर बैठकर एक्का दश बनाना या अपने आप को राजनीति में बनाए रखने के लिए राजनीति करते है।

भारत में राजनीति स्वच्छता अभियान के साथ-साथ आम जनता के बीच ,भी मानसिक स्वच्छता अभियान का होना आवश्यक है, ताकि, आम जनता  वैसे नेता को   वोट दे सके , जो देश के विकास में सहायक है,एवं देश का विकास करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है।आज तक जनता नेताओ से  गुमराह होती रही है ,एवं एक ही गलती बार-बार करती रही है, ऐसे नेताओं को एक के बाद दोबारा भी वोट देती रही है ,जो देश के विकास में सहायक  साबित  नही हुए हैं,या जिनके दर्शन चुनाव के वक्त ही होते है।

पूरे विश्व में राजतंत्र की तानाशाही एवं खामियों की वजह से लोकतंत्र की स्थापना के लिए विश्व की कई सारे देशों में क्रांति हुई । 1789 से 1799 तक फ्रांस की क्रांति हुई ।1917 में रूस की क्रांति हुई  जिसमें रूस के स्वेच्छाचारी जार का शासन समाप्त हुआ ।अमेरिका का स्वतंत्रता संग्राम 1763 से 1783 तक चला । जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका ने ब्रिटिश शासन से आजादी पाई ।  1911 में चीन में भी क्रांति हुई जिसमें चित्र राजवंश को समाप्त कर लोकतंत्र की स्थापना हुई। भारत में भी 1957 में पहला स्वतंत्रता संग्राम हुआ और लगभग 9  दशक तक, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष  आजादी की लड़ाई लड़ी गई, तब जाकर भारत 1947में आजाद हुआ।भारत में लोकतंत्र की स्थापना हुई।

भारत के साथ-साथ अमेरिका, फ्रांस, चीन ,रूस में  भी लोकतंत्र की स्थापना के लिए क्रांतियां हुई ,एवं लोकतंत्र की स्थापना हुई ।आज अमेरिका, फ्रांस ,रूस ,और चीन विकसित देश हैं ,जबकि भारत  आजादी के इतने सालो बाद भी अविकसित रह गया ,क्यों??
 यह एक बहुत बड़ा सवाल है। भारत में संसाधनों की कमी नही होते हुए भी क्यों ,भारत अविकसित रहा?? जबकि जापान की बात की जाए तो वहां प्रकृतिक संसाधन बहुत कम है फिर भी उसने टेक्नोलॉजी के दम पर अपने आप को विकसित कर लिया है । फिर भारत विकसित होने की श्रेणी से क्यों पिछड़ रहा है?? यह एक बहुत बड़ा प्रश्न है ।

भारत में कर्मठ लोगों एवं संसाधनों की कोई कमी नहीं है फिर भी यह विकसित  राष्ट्रों की श्रेणी से बाहर है क्यों??
इसका सबसे बड़ा कारण ,भारत की जनता का नेताओं के प्रति अंधा विश्वास है।
 भारत की जनता जिस राजनीतिक पार्टी से जुड़ जाती है ,उस राजनीतिक पार्टी के सभी नेतागण को वह सही मान बैठती है ।
जबकि अच्छे और बुरे नेता सभी पार्टी में हैं ।बस उन्हें पहचानने की जरूरत है ।आम जनता को राजनीतिक पार्टी के प्रति अंधभक्त न होकर देश के प्रति देशभक्त होना होगा।
 हर क्षेत्र में सांसद और विधायक उनके अपने क्षेत्र से चुने जाते हैं ,उनके बीच के ही लोग होते हैं ,इसीलिए हमें ऐसे लोगों को चुनाव में वोट देना होगा जो कर्मठ हो

राष्ट्रवादी हो,देश का विकास करना उनके जीवन का उद्देश्य हो, चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों  न हो या आपका अपना आजाद उमेदवार ही क्यों ना हो ।उनमें देश प्रति और अपने क्षेत्र के विकास करने का  करने का जज्बा हो, एवं वह पैसे का लोभी ना हो। देश के प्रति समर्पित हो ,हम जनता को ऐसे ही नेताओं को वोट देना होगा चाहे वह किसी भी पार्टी का क्यों ना हो ।हमारा वोट देश के प्रति समर्पित एवं सच्चे देशभक्त व्यक्ति के लिए होना चाहिए ना कि, किसी पार्टी से जुड़े भ्रष्टाचारी तानाशाही प्रवृत्ति वाले एवं देश को पीछे ले जाने वाले  दल बदलू नेताओं के लिए चाहिए।
भारत विकसित देशों की श्रेणी में खड़ा नही है ,इसका श्रेय हमारे नेताओं को भी जाता है, क्योंकि हमारे देश में नेताओं के वैसे तो बहुत सारे दल है और ऐसे दो मानसिकता वाले दो दल हैं,
 एक ऐसा दल है जो देश के प्रति समर्पित निष्ठावान एवं देश के विकास में अपना पूर्ण योगदान दे रहे हैं एवं, जनता के सामने मिसाल पेश कर रहे हैं ।नेताओ का एक दूसरा वर्ग ऐसा भी है, जिसे सत्ता में बने रहने  मात्र से मतलब है ।देश के विकास या उनके अपने क्षेत्र के विकास से दूर-दूर तक लेना देना नहीं है ऐसी मानसिकता वाले नेताओं को आज जनता यही कहती हैं यह गंदी राजनीति करनेवाले लोग और नेताओं धन रुपए  और रुपल्ला के दिवाने है । ऐसे भ्रष्टाचारी नेता  देश के लिए हानिकारक भी हैं, एवं देश के विकास में बहुत बड़े बाधक बने बैठे हैं । ऐसे नेताओ का  दल बदलना या विपक्षी में बैठकर सरकार के हर फैसले को गलत ठहराना ही एकमात्र उद्देश्य रह गया।है ।
ऐसे नेता देश का विकास न कर मात्र अपना विकास करते रहते हैं, और अच्छे नेताओं को भी, काम नहीं करने  देते हैं,जो  वास्तव में देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। देश का विकास करना चाहते हैं। देश को आगे ले जाना चाहते हैं। देश को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में खड़ा करना चाहते हैं ।यह सारी स्थितियां भारत की राजनीति में बहुत बड़ी बाधक है ।क्योंकि नेताओ की स्वार्थ लोलुपता  का ही परिणाम है कि,  भारत में कभी अल्पमत की सरकार होती है या,देश को मध्यावधि चुनाव का सामना करना पड़ता है ,या फिर तानाशाही का राज चलता है।
भारत के विकास में जातिवाद एवं परिवारवाद भी बाधक रहा है। देश के विकास को पीछे ले जाने में परिवारवाद का भी बहुत बड़ा हाथ रहा है।लोकतंत्र जनता का,जनता के द्वारा ,जनता के लिए शासन है ,और जनता की पूरी भागीदारी आवश्यक है। और जनता को राजनीति को राजनेताओं को और गंदी राजनीति करवाले लोग और नेता और पार्टीयों को जानना पड़ेगा जो जनता आपको अपने अच्छे दिन लाना चाहते हैं तो और अपने साथ साथ भारत मातृभूमि का कल्याण करना चाहते हैं और भारत को परम वैभव पर विश्वगुरु बना हुआ देखना चाहते हैं तो जनता को तरह तरह के वाद मतलब स्वार्थ वाद भाषा वाद जातिवाद प्रांतवाद लोभवाद लालच वाद ऐसे कहीं सारे वाद है फालतू जो यह गंदी राजनीति करनेवाले नेताओं की देन है उसमें से बहार निकलना पड़ेगा और सिर्फ सिर्फ राष्ट्रवाद को ध्यान में रखते हुए अपना वोट एक सच्चे सेवकों देना होगा और ग्रामपंचायत से लेकर लोकसभा चुनाव तक सभी चुनाव में जनता को अपने समय का बेस्ट देना होगा अपने साथ साथ गांव और देश की मातृभूमि के नवमे स्थान में अच्छे लोग आए बैठें जैसे मनुष्य की जन्मकुंडली में नवमा स्थान भाग्य स्थान कहां गया है वो अपने जन्म से लेकर मरण तक के लिए वो स्थान होता है उसमें खराब ग्रह बैठते हैं जन्म के समय वो अपने पिछले जन्म के पाप कर्म और पुण्य कर्म के हिसाब से बैठते हैं वैसे ही ग्राम पंचायत तहसील पंचायत जिलापंचायत अपने राज्य की विधानसभा और देश की लोकसभा यह हमारा आपका और देश भाग्य स्थान है पांच साल के लिए उसमें अच्छे सेवक भेजना और अपने अच्छे दिन लाना आपके हाथ में है हर चुनाव में जागृत रहकर जनजागृति का नेक काम करके खुद जागकर दुसरे को जगाकर अपना भाग्य स्थान अच्छा बनाना आपके हाथ में है और उसमें यह फालतू वाद में या निसक्रिय रहते हैं उसमें आपके साथ साथ औरों का भी भाग्य स्थान बिगड़ता है उसके जिम्मेदार आप ही हो जनता दूसरा कोई नहीं है और उसके लिए आपकी नेगेटिव सोच और अपना निजी स्वार्थ और आपकी निष्क्रियता ही जिम्मेदार है दूसरा कोई नहीं  किसी एक परिवार का भारत की राजनीति के सता के सिंहासन पर  लगातार बने रहना भी देश को आगे बढ़ने नहीं देता । राजनीतिक तानाशाही भारत की राजनीति में रही है,जिसने देश को पीछे ढकेल है।

अमेरिका की तरह ही भारत में भी दो चुनावी सत्र के बाद किसी नेता के लिए तीसरा चुनाव  लड़ने का हक   नहीं होना चाहिए । यह भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण है ,इसके लिए संविधान में संशोधन   करना होगा। तब राजनीति में स्वच्छता आएगी और भारत की राजनीति स्वस्थ होगी। देश का विकास होगा देश, विकसित होगा। देश की सुरक्षा चाक-चौबंद होगी गरीबी, बेरोजगारी, जैसी समस्याओं से देश को मुक्ति मिलेगी। स्वच्छ राजनीति से ही देश का चौतरफा विकास हो पाएगा। यह लेख लिखकर अपने मनकी बात रखना मेरा उद्देश्य सिर्फ उतना है देश की जनता अपना बेस्ट योगदान दे खुद जागृत बने दूसरे को जागृत बनाईये ,आप समझदार है तो आपके आसपास और संपर्क में रहनेवाले लोगों को भी समझाईये चलो आप हम सभी देशवासी मिलकर लाते हैं चलाते हैं राजनीति में स्वच्छता अभियान यही हमारी नैतिक जिम्मेदारी है यह समझें और अपना भाग्य स्थान नवमा बेस्ट बनाईये जय हिन्द जय वंदेमातरम भारत माता की जय ।

 

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