बाराबंकी: हाथ धोना केवल एक आदत नहीं, बल्कि जीवन रक्षक प्रणाली है

मसौली / बाराबंकी: हाथ धोना केवल एक आदत नहीं, बल्कि जीवन रक्षक प्रणाली है। कोरोना ने हमें यह शिक्षा दी कि हाथ धोना स्वयं के स्वास्थ्य की रक्षा के साथ ही अपने समुदाय और पूरी समष्टि की सुरक्षा के लिए नितांत आवश्यक है।

उक्त बातें वुधवार को कम्पोजिट विद्यालय करपिया में यूनिसेफ के तत्वावधान में आयोजित ग्लोबल हैंड वाशिंग दिवस पर बच्चो एव शिक्षक एव शिक्षिकाओं को हाथ धोने के प्रति जागरूक करते हुए यूनिसेफ के विकास सिंह ने कही उन्होंने कहा कि ग्लोबल हैंडवाशिग डे, हाथ धोने की आदतों को बढ़ावा देने के लिए मनाया जाता है, परंतु आज भी दुनिया की तीन बिलियन आबादी ऐसी है, जिनके पास बुनियादी हैंडवाशिग की सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।

भारतीय संस्कृति में स्वच्छता का बड़ा महत्व है, स्वच्छता सिर्फ जैविक आवश्यकता नहीं बल्कि जीवनशैली है। श्री सिंह ने कहा कि स्वच्छता एक व्यवहार है और जीवन का एक अहम हिस्सा भी है। राष्ट्र निर्माण हेतु स्वस्थ नागरिकों की जरूरत होती है, इसलिए स्वच्छता राष्ट्र निर्माण की आधारशिला और अनिवार्यता है। स्वच्छता की तुलना ईश्वर भक्ति से की।

कम्पोजिट विद्यालय के प्रधानाध्यापक अवधेश कुमार पांडेय ने कहा कि स्वच्छता, स्वास्थ्य महायज्ञ है, बिना स्वच्छता के उत्तम स्वास्थ्य की कल्पना नहीं की जा सकती। साबुन के साथ हाथ धोना (हैंडवाशिग) बीमारियों से बचाव के लिये नितांत आवश्यक है, परंतु विशेष रूप से कोरोना के समय में जीवन को बचाने के लिए समय-समय पर हाथों को 20 सेकेंड तक साबुन और पानी के साथ धोना सबसे आसान, प्रभावी और किफायती तरीका है इस मौके पर विद्यालय के बच्चों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए साबुन और पानी के साथ हाथ धोने का अभ्यास कर स्वस्थ रहने का संदेश दिया गया।

इस मौके पर शिक्षक संजय श्रीवास्तव ,सर्वेश कुमारी. गरिमा.  अंकिता.  मंजू.  बृजेश. रश्मि एवं अजरा खातून सहित अन्य लोग मौजुद रहे।


रिपोर्टर : सरवर अली

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